छिंदवाड़ा। पेंच टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में स्थित ग्राम आमाझिरी के निवासी रोहित सिरसाम 1 जनवरी 2023 से बाघों और जंगलों को बचाने के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश के सभी जिलों में साइकिल यात्रा कर रहे हैं. बुधवार के दिन वे छिंदवाड़ा पहुंचे. उन्होंने इसकी शुरुआत पेंच टाइगर रिजर्व के टुरिया गेट से की है. रोहित सिरसाम ने बताया कि, लगातार देखा जा रहा है कि जंगलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जिसकी वजह से छोटे जानवरों सहित बाघ मारे जा रहे हैं. बाघ और जंगलों को बचाने के लिए लोगों में जागरूकता आ सके. इसलिए वे साइकिल यात्रा कर रहे हैं.
लोगों को कर रहे हैं जागरूक: राजमिस्त्री युवक इसके चलते उनकी यात्रा के दौरान रास्ते में जो भी स्कूल आते हैं. सार्वजनिक स्थान होते हैं. वहां पर लोगों को उसके लिए जागरूक करते हैं. साथ ही अपनी साइकिल में उन्होंने पौधे रखे हैं. जिन्हें जगह-जगह पर भी रोपित भी करते हैं. रोहित ने बताया कि इसके पहले उन्होंने सिवनी से कन्याकुमारी और कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा भी लोगों को जागरूक करने के लिए की थी. रोहित सिरसाम पेशे से राजमिस्त्री हैं.
MP में इतने बाघों की मौत: मध्य प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व हैं. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की रिपोर्ट के मुताबिक 21 टाइगर की मौत इन्हीं टाइगर रिजर्व के अंदर हुई है. जबकि 11 टाइगर रिजर्व के बाहर मारे गए हैं. सर्वाधिक 7 टाइगर की मौत बांधवगढ़ नेशनल पार्क, 6 की पेंच नेशनल पार्क, 4 की कान्हा नेशनल पार्क, 2 की संजय नेशनल पार्क तथा पन्ना और सतपुड़ा के भीतर 1-1 टाइगर की इस साल मौत हुई है.
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बाघों की मौत के आंकड़े: कहा जा रहा है कि, ज्यादातर मौतों की वजह एक्सीडेंटल या टेरिटोरियल फाइट है. मध्य प्रदेश बाघों की मौत के मामले में देश में पहले स्थान पर है. यहां साल 2022 में 32 बाघों की मौत हुई है. यदि बाघों की मौत के आंकड़े देखें, तो पिछले चार साल में प्रदेश में 134 बाघों की मौत हुई है. इनमें से 35 मामले शिकार के हैं. जबकि आपसी लड़ाई, कुएं में गिरने या सड़क दुर्घटना में 80 बाघ मरे हैं.