छिंदवाड़ा. आयुष विभाग के अन्तर्गत छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज में दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम में राष्ट्रीय औषधि बोर्ड द्वारा स्वीकृत औषधीय पौधों (Medicinal plants) की खेती के संबंध में जिला आयुष विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. कार्यक्रम में जिले के 50 से अधिक किसानों और स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने हिस्सा लिया. इस दौरान जिला आयुष अधिकारी डॉ.दत्तात्रेय भदाड़े, कृषि विज्ञान केंद्र चंदनगांव के सीनियर साइंटिस्ट व प्रमुख डॉ.डी.सी. श्रीवास्तव, डॉ.आर.के.झाडे़ और नितेश गुप्ता के साथ अन्य वैज्ञानिक व विशेषज्ञ उपस्थित रहे.
ये औषधीय पौधे कर सकते हैं मालामाल
इस मौके पर जिला आयुष अधिकारी डॉ.भदाड़े ने बताया कि विशेषज्ञों में इंचार्ज सीनियर साइंटिस्ट पोआमा रिसर्च सेंटर के डॉ.विशाखा कुम्हारे, हॉर्टिकल्चर विभाग के अविनाश डेहरिया, विपिन मौर्य व नीरज शर्मा ने विभिन्न औषधीय पौधों के गुण और उनकी लाभदायक खेती के बारे में बताया. आयुर्वेद के नवरत्न जैसे अश्वगंधा, तुलसी, पारिजात, अलसी, अपराजिता, कोलियस, वन तुलसी, शतावरी, मूसली आदि के उत्पादन, प्रसंस्करण और पोस्ट मार्केटिंग में होने वाली समस्याओं के निदान और दुनिया में आयुर्वेदिक औषधि की उपयोगिता आदि विषयों पर भी किसानों को जानकारी दी गई.
कम लागत, अधिक मुनाफा
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ.प्रवीण रघुवंशी ने बताया कि दो दिनों के ट्रेनिंग प्रोग्राम में बताया गया कि परंपरागत खेती से हटकर किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. जैसे अलसी की खेती से कृषक कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकता है. अमेरिका आदि देशों में स्टीविया, गिलोय, अपराजिता के फूल ब्लू टी के नाम से प्रचलित हैं और उसकी बहुत अधिक डिमांड के साथ मूल्य भी है. उन्होंने बताया कि छिंदवाड़ा जिले का वातावरण औषधीय पौधों के अनुकूल व उपयुक्त है. आयुष विभाग द्वारा विभिन्न योजनायें जैसे देवारण्य योजना (Devranya) के माध्यम से भी किसानों को अवगत कराया गया कि किसान परंपरागत खेती से हटकर औषधीय पौधों की खेती कर शासन की योजना का लाभ ले सकते हैं.