छिंदवाड़ा। कागजों में तो छिंदवाड़ा जिला खुले में शौच मुक्त हो चुका है और जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. वर्ल्ड टॉयलेट डे के मौके पर ईटीवी भारत ने इस गांव की हकीकत जानी तो तस्वीर कुछ और ही नजर आई है. छिंदवाड़ा के तिवड़ा कामथ गांव में कई लोगों के घरों में शौचालय बने ही नहीं हैं. जिन घरों में शौचालय बने हैं वह किसी काम के नहीं हैं.
जिले में बने तीन लाख से ज्यादा टॉयलेट
सरकारी आंकड़ों की बात करें तो सरकार के स्वच्छ एमपी पोर्टल के हिसाब से पूरे जिले में करीब तीन लाख 25 हजार 746 शौचालय बने हैं और जिले को ODF घोषित कर दिया गया है. लेकिन हितग्राहियों का कहना है कि घरों में शौचालय बना तो दिए गए हैं लेकिन उनकी गुणवत्ता इतनी खराब है कि लोग उन्हें कुछ माह ही उपयोग कर सके और कुछ लोगों ने उसका उपयोग ही नहीं किया.
घर में टॉयलेट होने के बाद भी खुले में शौच जाने को मजबूर
पांढुर्ना विधानसभा के तिवड़ा कामथ गांव में जब ईटीवी भारत जमीनी हकीकत जानने पहुंचा तो वहां रहने वाली बुजुर्ग दंपत्ति ने बताया कि उनके घरों में ग्राम पंचायत की तरफ से शौचालय तो बना दिया गया है, लेकिन शौचालय का दरवाजा कुछ महीनों में ही खराब हो गया, सीट बर्बाद हो गई. जिसके चलते उन्होंने सीट के ऊपर अब पत्थर रखकर ढक दिया है. मजबूरन उन्हें इस उम्र में खुले में शौच करने जाना पड़ता है.
कुछ घरों में अभी तक नहीं बना शौचालय
शासन की योजना के बाद ग्राम पंचायत स्तर पर घटिया स्तर के शौचालय बनवा दिए. लेकिन कई घर आज भी ऐसे हैं, जहां शौचालय बने ही नहीं ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इस बारे में ग्राम पंचायत से चर्चा भी की लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं दिया गया.