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नई फसल के लिए खेत तैयार करने में जुटे किसान, मानसून का है अब इंतजार

छिंदवाड़ा में किसानों ने प्री-मानसून की दस्तक के बाद खरीफ फसल की खेती के लिए तैयारियां शुरु कर दी हैं. फिलहाल किसान अपने खेतों की जमीन जोत रहे हैं, साथ ही कई किसानों ने बोवनी शुरू कर दी है.

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Published : Jun 13, 2020, 11:08 AM IST

Updated : Jun 13, 2020, 11:37 AM IST

छिंदवाड़ा। लॉकडाउन के दौरान फसलों और सब्जियों में नुकसान उठाने के बाद एक बार फिर किसान अपने खेतों की जुताई में लग गया. मानसून आने में ज्यादा समय नहीं बचा है, जिसे ध्यान में रखते हुए किसान अपनी खेतों की जमीन को जोत रहा है. कहीं-कहीं तो किसानों ने बोवनी भी कर दी है. बता दें इस बार किसान मक्का छोड़ दूसरी फसलों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. जिस वजह से तुअर, सोयाबीन आदि के बीजों की मांग बढ़ी है.

तैयारी में जुटे किसान

जानें ये भी- घाटे में कॉर्न सिटी के किसान, नहीं करना चाहते मक्के की खेती

प्राकृतिक आपदा और लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ दी थी. लॉकडाउन के सब्जी किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है. वहीं अब किसान को जून के आखिरी तक मानसून आने की उम्मीद है, जिसको लेकर किसान फिर से अपने खेतों में जाकर तैयारी में जुट गया है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जून के आखिरी तक जिले में मानसून दस्तक दे देगा, जिसके मद्देनजर किसानों ने लगभग अपनी खेतों में जुताई कर ली है और दुकानों से बीज भी खरीद रहे हैं.
ये भी पढ़ें- मालवा के सोना 'सोयाबीन' पर मंडराया संकट, क्या पहले पायदान से नीचे उतर जाएगा मध्य प्रदेश

कृषि उपसंचालक जेआर हेड़ाऊ ने बताया कि किसान द्वारा बीज की मांग आ रही है. उन्हें बीज उपलब्ध कराया भी जा रहा है. लेकिन इस बार किसान मक्के की अपेक्षा सोयाबीन के बीज ज्यादा ले रहा है, उसे पिछले साल और इस साल हुए मक्के की फसल से नुकसान के चलते अब सोयाबीन और दूसरी फसलों की और रुझान बढ़ा है.

छिंदवाड़ा। लॉकडाउन के दौरान फसलों और सब्जियों में नुकसान उठाने के बाद एक बार फिर किसान अपने खेतों की जुताई में लग गया. मानसून आने में ज्यादा समय नहीं बचा है, जिसे ध्यान में रखते हुए किसान अपनी खेतों की जमीन को जोत रहा है. कहीं-कहीं तो किसानों ने बोवनी भी कर दी है. बता दें इस बार किसान मक्का छोड़ दूसरी फसलों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. जिस वजह से तुअर, सोयाबीन आदि के बीजों की मांग बढ़ी है.

तैयारी में जुटे किसान

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कृषि उपसंचालक जेआर हेड़ाऊ ने बताया कि किसान द्वारा बीज की मांग आ रही है. उन्हें बीज उपलब्ध कराया भी जा रहा है. लेकिन इस बार किसान मक्के की अपेक्षा सोयाबीन के बीज ज्यादा ले रहा है, उसे पिछले साल और इस साल हुए मक्के की फसल से नुकसान के चलते अब सोयाबीन और दूसरी फसलों की और रुझान बढ़ा है.

Last Updated : Jun 13, 2020, 11:37 AM IST
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