छिंदवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को एक विकास मॉडल कहा जा है. सीएम कमलनाथ और कांग्रेस नेता हर सभा में इस विकास मॉडल का गुणगान करते है और प्रदेश के हर जिले में विकास मॉडल को लागू करने की बात कहते हैं. लेकन सीएम के गढ़ में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे शायद यह विकास मॉडल झूठ लग सकता है. दरअसल आदिवासी अंचल हर्रई को बिजली तो नसीब नहीं हुई है. लेकिन बिजली बिल लगातार आ रहे हैं.
हर्रई के बालुसर गांव के ग्रामीण बिजली बिल लगातार आने की शिकायक लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. जहां ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 8-9 साल से उनके गांव में बिजली नहीं. लेकिन बिल बराबर आ रहा है. उनका कहना है कि बीच में एक बिजली के खंभे लगे भी थे. लेकिन वो भी क्षतिग्रसत हो चुके है. उसके बाद से गांव में बिजली का नामों निशान नहीं
हर्रई के बालुसर के ग्रामीणों का कहना की इसकी शिकायत कई बार जिम्मेदार अधिकारियों से भी तक चुके है. लेकिन अभी तक किसी ने भी इस मामले में संज्ञान लेना जरूरी नहीं समझा. वहीं बिजली बिल लगातार आने परेशान ग्रामीणों का कहना है कि स्थानिय विधायक से भी इसकी शिकायत कर चुके है. लेकिन शासन और प्रशासन दोनों ही आंखे मुंदे बैठे है. बता दें कि सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा से करीब 9 बार सांसद रहे है. इस बार पार्टी ने उनके बेटे को छिंदवाडा़ से मौका दिया है.ऐसे में उन्हीं के गढ़ में बिजला न होना बड़े आश्चर्य की बात है.