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दफ्तरों के चक्कर काट रहे दिव्यांग को मिला विकलांगता प्रमाण पत्र

दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर दिव्यांग थक गया था, जिसकी मदद के लिए ईटीवी भारत आगे आया. ईटीवी भारत की टीम ने बुजुर्ग का न सिर्फ विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाया बल्कि मशीन के लिए आवेदन भी करवाया.

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Published : Feb 22, 2021, 9:03 PM IST

Disabled got disability certificate
दिव्यांग को मिला विकलांगता प्रमाण पत्र

छिंदवाड़ा। जानकारी के अभाव में महीनों तक चौरई थाना क्षेत्र अंतर्गत करलई गांव निवासी दिव्यांग दफ्तरों के चक्कर काट रहा था, जिसे अब ईटीवी भारत की मदद से पेंशन और श्रवण मशीन मिल सकेगी.

साइकिल पर सवार होकर जिला मुख्यालय के चक्कर काटता था दिव्यांग
करलई गांव का रहने वाला दिव्यांग 73 साल का है, जिसे सुनाई देना बंद हो गया है. कान की मशीन के लिए बुजुर्ग साइकिल चलाकर दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक गया था. इसी पीड़ित की मदद करने के लिए ईटीवी भारत सामने आया. बुजुर्ग का न सिर्फ विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाया बल्कि मशीन के लिए आवेदन भी करवाया.

दफ्तर में भटकता था पीड़ित
जानकारी के अभाव में पीड़ित कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काटता रहा. इसके चलते उसे सही जानकारी नहीं मिल सकी. पीड़ित की परेशानी को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम उसे अस्पताल ले गई, जहां पर सभी सरकारी कार्रवाइयां करते हुए दिव्यांग का विकलांगता सर्टिफिकेट बनवाया गया. साथ ही कानों की मशीन के लिए आवेदन कराया गया.

दिव्यांग को मिला विकलांगता प्रमाण पत्र
बेटों ने नहीं की मदद, पीड़ित ने सुनाई आपबीतीपीड़ित बुजुर्ग ने बताया कि उसके पांच बेटे हैं. अपनी परेशानियां जब वह बेटे को बताता है, तो उसकी कोई नहीं सुनता. इसलिए मजबूरी में वह साइकिल पर सवार होकर कान की मशीन लेने के लिए जिला मुख्यालय आता था.

अब मिलेगी पेंशन
पीड़ित का विकलांगता प्रमाण पत्र बन गया, जिसके बाद अब बुजुर्ग को विकलांगता पेंशन के साथ ही कानों की मशीन भी मिल सकेगी.

छिंदवाड़ा। जानकारी के अभाव में महीनों तक चौरई थाना क्षेत्र अंतर्गत करलई गांव निवासी दिव्यांग दफ्तरों के चक्कर काट रहा था, जिसे अब ईटीवी भारत की मदद से पेंशन और श्रवण मशीन मिल सकेगी.

साइकिल पर सवार होकर जिला मुख्यालय के चक्कर काटता था दिव्यांग
करलई गांव का रहने वाला दिव्यांग 73 साल का है, जिसे सुनाई देना बंद हो गया है. कान की मशीन के लिए बुजुर्ग साइकिल चलाकर दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक गया था. इसी पीड़ित की मदद करने के लिए ईटीवी भारत सामने आया. बुजुर्ग का न सिर्फ विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाया बल्कि मशीन के लिए आवेदन भी करवाया.

दफ्तर में भटकता था पीड़ित
जानकारी के अभाव में पीड़ित कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काटता रहा. इसके चलते उसे सही जानकारी नहीं मिल सकी. पीड़ित की परेशानी को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम उसे अस्पताल ले गई, जहां पर सभी सरकारी कार्रवाइयां करते हुए दिव्यांग का विकलांगता सर्टिफिकेट बनवाया गया. साथ ही कानों की मशीन के लिए आवेदन कराया गया.

दिव्यांग को मिला विकलांगता प्रमाण पत्र
बेटों ने नहीं की मदद, पीड़ित ने सुनाई आपबीतीपीड़ित बुजुर्ग ने बताया कि उसके पांच बेटे हैं. अपनी परेशानियां जब वह बेटे को बताता है, तो उसकी कोई नहीं सुनता. इसलिए मजबूरी में वह साइकिल पर सवार होकर कान की मशीन लेने के लिए जिला मुख्यालय आता था.

अब मिलेगी पेंशन
पीड़ित का विकलांगता प्रमाण पत्र बन गया, जिसके बाद अब बुजुर्ग को विकलांगता पेंशन के साथ ही कानों की मशीन भी मिल सकेगी.

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