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यहां 400 साल पुराना है भगवान कृष्ण का 'चोर मंदिर', जानें कैसे पड़ा ये नाम

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Published : Aug 12, 2020, 6:54 PM IST

छिंदवाड़ा के नरसिंहपुर रोड पर भगवान कृष्ण का एक मंदिर स्थित है, जो चोर मंदिर के नाम से जाना जाता है. आखिर इसका नाम चोर मंदिर क्यों पड़ा, पढें पूरी खबर.

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भगवान कृष्ण का 'चोर मंदिर'

छिंदवाड़ा। भगवान कृष्ण को माखन चोर के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन क्या आपने सुना है कि कोई भगवान कृष्ण का ऐसा मंदिर है, जिसकी पहचान चोर मंदिर के नाम से होती है. करीब 400 साल पुराना ये मंदिर छिंदवाड़ा नरसिंपुर रोड पर स्थित है, जिसमें भगवान कृष्ण सहित राम, सीता, लक्ष्मण और मां दुर्गा भी विराजमान हैं. आस-पास के इलाके में ये मंदिर चोर मंदिर के नाम से मशहूर है.

भगवान कृष्ण का 'चोर मंदिर'

आखिर क्यों पड़ा ये नाम

मंदिर के पुजारी स्वामी महेशानंद बताते हैं कि एक समय यहां चोरों का आतंक था. आस-पास के इलाकों से चोरी करके चोर इसी मंदिर में धन का बंटवारा करते थे. एक तरह से ये मंदिर चोरों का अड्डा बन गया था. ऐसे में लोग इस मंदिर को चोर मंदिर के नाम से पुकारने लगे. तभी से ये नाम चला आ रहा है.

स्थानीय लोग भी बताते हैं कि उनके पूर्वज भी उन्हें इस मंदिर की यही कहानी बताते आए हैं. रवि भट्ट कहते हैं कि कहा जाता है कि एक समय में लोग शाम होते ही इस मंदिर के रास्ते नहीं गुजरते थे क्योंकि लूट और चोरी का डर सताता था.

हालांकि, इस मंदिर का इतिहास चार सदियों से भी पुराना है. कृष्ण मंदिर का निर्माण गोंड राजाओं ने करवाया था. मंदिर में अष्ट धातु से बनी प्रतिमा थी. लेकिन सालों पहले ये प्रतिमा यहां से चोरी हो गई. अब स्वामी महेशानंद ही इस मंदिर की देखभाल करते हैं.

छिंदवाड़ा। भगवान कृष्ण को माखन चोर के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन क्या आपने सुना है कि कोई भगवान कृष्ण का ऐसा मंदिर है, जिसकी पहचान चोर मंदिर के नाम से होती है. करीब 400 साल पुराना ये मंदिर छिंदवाड़ा नरसिंपुर रोड पर स्थित है, जिसमें भगवान कृष्ण सहित राम, सीता, लक्ष्मण और मां दुर्गा भी विराजमान हैं. आस-पास के इलाके में ये मंदिर चोर मंदिर के नाम से मशहूर है.

भगवान कृष्ण का 'चोर मंदिर'

आखिर क्यों पड़ा ये नाम

मंदिर के पुजारी स्वामी महेशानंद बताते हैं कि एक समय यहां चोरों का आतंक था. आस-पास के इलाकों से चोरी करके चोर इसी मंदिर में धन का बंटवारा करते थे. एक तरह से ये मंदिर चोरों का अड्डा बन गया था. ऐसे में लोग इस मंदिर को चोर मंदिर के नाम से पुकारने लगे. तभी से ये नाम चला आ रहा है.

स्थानीय लोग भी बताते हैं कि उनके पूर्वज भी उन्हें इस मंदिर की यही कहानी बताते आए हैं. रवि भट्ट कहते हैं कि कहा जाता है कि एक समय में लोग शाम होते ही इस मंदिर के रास्ते नहीं गुजरते थे क्योंकि लूट और चोरी का डर सताता था.

हालांकि, इस मंदिर का इतिहास चार सदियों से भी पुराना है. कृष्ण मंदिर का निर्माण गोंड राजाओं ने करवाया था. मंदिर में अष्ट धातु से बनी प्रतिमा थी. लेकिन सालों पहले ये प्रतिमा यहां से चोरी हो गई. अब स्वामी महेशानंद ही इस मंदिर की देखभाल करते हैं.

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