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छिंदवाड़ा में सड़क हादसे के ये आंकड़े डराते हैं, लापरवाही बड़ी और जिम्मेदार मौन - छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा में नेशनल हाइवे का निर्माण किया गया, लेकिन उनके रखरखाव और लापरवाही के चलते हर दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है.छिंदवाड़ा जिले में पिछले 3 सालों के सड़क हादसों की बात की जाए तो वह आंकड़ा लगातार बढ़ा है.

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छिंदवाड़ा में एक्सीडेंट
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Published : Dec 19, 2020, 2:41 PM IST

Updated : Dec 19, 2020, 2:54 PM IST

छिंदवाड़ा। सड़क परिवहन को ठीक करने के लिए छिंदवाड़ा में सड़कों का जाल बिछाया गया, नेशनल हाइवे का निर्माण किया गया, लेकिन उनके रख-रखाव और लापरवाही के चलते हर दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है. लोग मौत के मुंह में जा रहे हैं. हाईवे के किनारे बने ढाबों और दुकानों में बेतरतीब खड़े वाहन दुर्घटना के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में देखिए किस तरह आए दिन लोग हादसों को शिकार हो रहे हैं.

लापरवाही से हो रही मौत

हाईवे की दुकानों में सड़क किनारे खड़े वाहनों के चलते होती है दुर्घटनाएं

अधिकतर देखा जाता है कि हाईवे के किनारे ढाबे, पेट्रोल पंप या दूसरी दुकानें होती हैं. वाहन चालक इन्हीं दुकानों के सामने सड़क के किनारे वाहन पार्क करते हैं. जिसकी वजह से दूसरे वाहनों को दिक्कत होती है और ज्यादातर रात के अंधेरे में देख नहीं पाते. जिसके कारण सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं और इन्हीं में मौतें भी होती हैं.

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इस साल के आकड़े

3 सालों में लगातार बढ़े सड़क हादसों के मामले

छिंदवाड़ा जिले में पिछले 3 सालों के सड़क हादसों की बात की जाए तो वह आंकड़ा लगातार बढ़ा है. वहीं इस साल कोरोना को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण सड़क हादसों में कमी आई, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद जैसे ही अनलॉक लागू हुआ वैसे ही सड़क हादसों में तेजी आ गई. इस साल अप्रैल से जून के बीच 56 मौतें हुई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 120 मौतें तक आंकड़ा पहुंच गया था.

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इस साल के आकड़े

सबसे ज्यादा बाइक सवार होते हैं दुर्घटना का शिकार

हाईवे के किनारे बेतरतीब खड़े वाहनों की वजह से सबसे ज्यादा बाइक सवार दुर्घटना के शिकार होते हैं. सामने खड़े सड़क के किनारे वाहन बाइक सवार को दूर से दिख नहीं पाते हैं, जिसकी वजह से वह सीधे आकर खड़े वाहनों में टकरा जाते हैं.

Trucks parked on the highway
हाइवे पर खड़े ट्रक

एनएचएआई और पुलिस की लापरवाही भी एक बड़ा कारण

नेशनल हाईवे में अधिकतर स्थानों में एनएचएआई के पेट्रोलिंग वाहन और एंबुलेंस के साथ ही पुलिस चौकी भी होती है. सड़कों में दुकान के किनारे भारी-भरकम वाहन खड़े रहते हैं, लेकिन ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी इस ओर ध्यान नहीं देते, जिनकी लापरवाही के चलते दुर्घटनाएं होती है.

पिछले 2 सालों में जिले में सड़क हादसों की स्थिति

साल दुर्घटनाएं मृतक घायल

2018 1505 381 1421

2019 1310 354 1409

साल 2020 में सड़क हादसों की स्थिति

महीने दुर्घटनाएं मृतक घायल

जनवरी 124 33 123

फरवरी 120 38 97

मार्च 92 31 78

अप्रैल 21 06 15

मई 42 20 30

जून 99 30 74

जुलाई 85 28 81

अगस्त 105 31 75

सितंबर 88 34 56

ढाबे और पेट्रोल पंप भी दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण

हाईवे के किनारे के ढाबे और पेट्रोल पंप भी सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण है. ईटीवी भारत जब नेशनल हाईवे 547 के तंसरामाल गांव के पास हकीकत जानने पहुंचा तो स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले 1 महीने में चार लोगों की जाने सड़क दुर्घटनाएं में एक ही जगह गई है. दरअसल इस जगह में एक तरफ पेट्रोल पंप है तो दूसरी तरफ ढाबा है. जहां पर बड़े वाहन सड़क के किनारे ही पार्क किए जाते हैं. जिसकी वजह से दूसरे वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते हैं और लोगों की मौत हो रही है.

छिंदवाड़ा। सड़क परिवहन को ठीक करने के लिए छिंदवाड़ा में सड़कों का जाल बिछाया गया, नेशनल हाइवे का निर्माण किया गया, लेकिन उनके रख-रखाव और लापरवाही के चलते हर दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है. लोग मौत के मुंह में जा रहे हैं. हाईवे के किनारे बने ढाबों और दुकानों में बेतरतीब खड़े वाहन दुर्घटना के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में देखिए किस तरह आए दिन लोग हादसों को शिकार हो रहे हैं.

लापरवाही से हो रही मौत

हाईवे की दुकानों में सड़क किनारे खड़े वाहनों के चलते होती है दुर्घटनाएं

अधिकतर देखा जाता है कि हाईवे के किनारे ढाबे, पेट्रोल पंप या दूसरी दुकानें होती हैं. वाहन चालक इन्हीं दुकानों के सामने सड़क के किनारे वाहन पार्क करते हैं. जिसकी वजह से दूसरे वाहनों को दिक्कत होती है और ज्यादातर रात के अंधेरे में देख नहीं पाते. जिसके कारण सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं और इन्हीं में मौतें भी होती हैं.

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इस साल के आकड़े

3 सालों में लगातार बढ़े सड़क हादसों के मामले

छिंदवाड़ा जिले में पिछले 3 सालों के सड़क हादसों की बात की जाए तो वह आंकड़ा लगातार बढ़ा है. वहीं इस साल कोरोना को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण सड़क हादसों में कमी आई, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद जैसे ही अनलॉक लागू हुआ वैसे ही सड़क हादसों में तेजी आ गई. इस साल अप्रैल से जून के बीच 56 मौतें हुई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 120 मौतें तक आंकड़ा पहुंच गया था.

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इस साल के आकड़े

सबसे ज्यादा बाइक सवार होते हैं दुर्घटना का शिकार

हाईवे के किनारे बेतरतीब खड़े वाहनों की वजह से सबसे ज्यादा बाइक सवार दुर्घटना के शिकार होते हैं. सामने खड़े सड़क के किनारे वाहन बाइक सवार को दूर से दिख नहीं पाते हैं, जिसकी वजह से वह सीधे आकर खड़े वाहनों में टकरा जाते हैं.

Trucks parked on the highway
हाइवे पर खड़े ट्रक

एनएचएआई और पुलिस की लापरवाही भी एक बड़ा कारण

नेशनल हाईवे में अधिकतर स्थानों में एनएचएआई के पेट्रोलिंग वाहन और एंबुलेंस के साथ ही पुलिस चौकी भी होती है. सड़कों में दुकान के किनारे भारी-भरकम वाहन खड़े रहते हैं, लेकिन ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी इस ओर ध्यान नहीं देते, जिनकी लापरवाही के चलते दुर्घटनाएं होती है.

पिछले 2 सालों में जिले में सड़क हादसों की स्थिति

साल दुर्घटनाएं मृतक घायल

2018 1505 381 1421

2019 1310 354 1409

साल 2020 में सड़क हादसों की स्थिति

महीने दुर्घटनाएं मृतक घायल

जनवरी 124 33 123

फरवरी 120 38 97

मार्च 92 31 78

अप्रैल 21 06 15

मई 42 20 30

जून 99 30 74

जुलाई 85 28 81

अगस्त 105 31 75

सितंबर 88 34 56

ढाबे और पेट्रोल पंप भी दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण

हाईवे के किनारे के ढाबे और पेट्रोल पंप भी सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण है. ईटीवी भारत जब नेशनल हाईवे 547 के तंसरामाल गांव के पास हकीकत जानने पहुंचा तो स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले 1 महीने में चार लोगों की जाने सड़क दुर्घटनाएं में एक ही जगह गई है. दरअसल इस जगह में एक तरफ पेट्रोल पंप है तो दूसरी तरफ ढाबा है. जहां पर बड़े वाहन सड़क के किनारे ही पार्क किए जाते हैं. जिसकी वजह से दूसरे वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते हैं और लोगों की मौत हो रही है.

Last Updated : Dec 19, 2020, 2:54 PM IST
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