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विश्व का इकलौता मंदिर, जहां अकेले विराजे हैं राजाराम, आजानुभुज रूप में देते हैं भक्तों को दर्शन

दीपावली के अवसर पर ईटीवी भारत मध्यप्रदेश लेकर आया है एक खास पेशकश राजाराम, जिसमें मिलेंगी भगवान राम के वनगमन से लेकर दीपोत्सव तक की ऐसी अनसुनी कहानियां जो मध्यप्रदेश से जुड़ी हैं. भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान छतरपुर जिले में भी काफी वक्त बिताया. यहीं उन्होंने खर और दूषण नाम के राक्षसों का वध किया था. यहां मौजूद मंदिर में श्रीराम अकेले विराजमान हैं.

अकेल विराजे श्रीराम
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Published : Oct 26, 2019, 12:05 AM IST

Updated : Oct 26, 2019, 10:02 AM IST

छतरपुर। आपने कभी भगवान श्रीराम को किसी मंदिर में अकेले विराजे देखा है, शायद नहीं देखा होगा, अमूमन प्रभुराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ ही दिखते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर से रूबरू करवा रहे हैं, जो छतरपुर की सबसे बड़ी पहाड़ी पर मौजूद होने के साथ- साथ अपनी अलग पहचान रखता है. कहा जाता है कि छतरपुर के अलावा विश्व में ऐसा दूसरा मंदिर नहीं है, जहां श्रीराम अकेले विराजमान हों. यही वजह है कि आजानुभुज के नाम से बिख्यात मंदिर हजारों सालों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

विश्व का इकलौता मंदिर, जहां अकेले विराजे हैं राजाराम,

रामायण से जुड़ी है मंदिर की कहानी

मंदिर की कहानी सीधे तौर पर रामायण से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि खर और दूषण नाम के दो राक्षस अपने साथ हजारों राक्षसों की सेना लेकर चलते थे और ऋषि-मुनियों को मार कर खा जाते थे. भगवान श्रीराम ने यह देखते हुए उसी क्षण अपने दोनों हाथों को ऊपर कर प्रतिज्ञा की कि वह इन राक्षसों का वध जरूर करेंगे. राम के इसी अवतार को लोग आजानुभुज के नाम से जानते हैं.

lord ram is seated alone in ajanubhuj temple
आजानुभुज मंदिर में अकेले विराजे श्रीराम

खर और दूषण को किया था वध

किवदंती है कि अपने वनवास के दौरान जब भगवान श्रीराम यहां से गुजर रहे थे, तभी उन्होंने खर और दूषण नाम के दोनों राक्षसों का वध किया था. यही एक ऐसा क्षण था, जब श्रीराम अकेले हुए, यही वजह है कि मंदिर में भी श्रीराम अकेले ही विराजे हैं.

4 महंत कर चुके हैं प्रभु राम की सेवा

मंदिर की स्थापना सन 14 40 में हुई थी. इससे पहले महंत हरदेवदास जी को श्रीराम ने स्वप्न में दर्शन दिए थे और कहा था कि जिनका तुम भजन करते हो, वो इस पहाड़ी पर मौजूद हैं. जिसके बाद महंत हरदेवदासजी श्रीराम की मूर्ति को निकालकर लाए और यहां स्थापित कर दिया, तब से लेकर अब तक इस मंदिर में 14 महंत प्रभु राम की सेवा कर चुके हैं.

यहीं से शुरु होता है जलसा

पहाड़ी पर होने के बाद भी श्रीराम के दर्शन के लिए भक्त यहां पहुंचते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. हर साल भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव पर होने वाला जलसा भी यहीं से शुरू होता है.

छतरपुर। आपने कभी भगवान श्रीराम को किसी मंदिर में अकेले विराजे देखा है, शायद नहीं देखा होगा, अमूमन प्रभुराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ ही दिखते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर से रूबरू करवा रहे हैं, जो छतरपुर की सबसे बड़ी पहाड़ी पर मौजूद होने के साथ- साथ अपनी अलग पहचान रखता है. कहा जाता है कि छतरपुर के अलावा विश्व में ऐसा दूसरा मंदिर नहीं है, जहां श्रीराम अकेले विराजमान हों. यही वजह है कि आजानुभुज के नाम से बिख्यात मंदिर हजारों सालों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

विश्व का इकलौता मंदिर, जहां अकेले विराजे हैं राजाराम,

रामायण से जुड़ी है मंदिर की कहानी

मंदिर की कहानी सीधे तौर पर रामायण से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि खर और दूषण नाम के दो राक्षस अपने साथ हजारों राक्षसों की सेना लेकर चलते थे और ऋषि-मुनियों को मार कर खा जाते थे. भगवान श्रीराम ने यह देखते हुए उसी क्षण अपने दोनों हाथों को ऊपर कर प्रतिज्ञा की कि वह इन राक्षसों का वध जरूर करेंगे. राम के इसी अवतार को लोग आजानुभुज के नाम से जानते हैं.

lord ram is seated alone in ajanubhuj temple
आजानुभुज मंदिर में अकेले विराजे श्रीराम

खर और दूषण को किया था वध

किवदंती है कि अपने वनवास के दौरान जब भगवान श्रीराम यहां से गुजर रहे थे, तभी उन्होंने खर और दूषण नाम के दोनों राक्षसों का वध किया था. यही एक ऐसा क्षण था, जब श्रीराम अकेले हुए, यही वजह है कि मंदिर में भी श्रीराम अकेले ही विराजे हैं.

4 महंत कर चुके हैं प्रभु राम की सेवा

मंदिर की स्थापना सन 14 40 में हुई थी. इससे पहले महंत हरदेवदास जी को श्रीराम ने स्वप्न में दर्शन दिए थे और कहा था कि जिनका तुम भजन करते हो, वो इस पहाड़ी पर मौजूद हैं. जिसके बाद महंत हरदेवदासजी श्रीराम की मूर्ति को निकालकर लाए और यहां स्थापित कर दिया, तब से लेकर अब तक इस मंदिर में 14 महंत प्रभु राम की सेवा कर चुके हैं.

यहीं से शुरु होता है जलसा

पहाड़ी पर होने के बाद भी श्रीराम के दर्शन के लिए भक्त यहां पहुंचते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. हर साल भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव पर होने वाला जलसा भी यहीं से शुरू होता है.

Intro:(राजा राम)

वैसे तो पूरी दुनिया में भगवान राम के अनेकों मंदिर मौजूद है लेकिन मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक ऐसा मंदिर मौजूद है जिसका जिक्र रामायण की चौपाई में भी किया गया है कहते हैं कि भगवान श्रीराम पूरी रामायण में कभी भी कहीं पर भी अकेले नहीं हुए लेकिन एक बार भगवान राम जब अकेले हुए और उनके इस रूप को लोगों ने अजानभुज नाम दिया और यही अजानभुज रूप इस मंदिर में मौजूद है!


Body: क्या आपने कभी भगवान श्रीराम का ऐसा कोई मंदिर देखा है जहां भगवान श्री राम माता सीता भाई लक्ष्मण एवं हनुमान के बिना मौजूद हो शायद नहीं देखा होगा आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भगवान श्री राम अकेले विराजमान हैं!

छतरपुर जिले के जान राय टोरिया पर मौजूद भगवान श्रीराम का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जो कई हजार सालों से लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है हालांकि यह मंदिर छतरपुर जिले की सबसे ऊंची पहाड़ी पर है यही वजह है कि बहुत कम लोग ही इस मंदिर पर जा पाते हैं मंदिर की खासियत यह है कि जब भी कोई भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में आकर कोई मनोकामना मांगता है तो भगवान श्री राम उसे जरूर पूरी करते हैं!

यह मंदिर छतरपुर जिले का सबसे प्राचीनतम मंदिर है मंदिर बेहद ऊंचाई पर बना हुआ है इस मंदिर की कहानी सीधे तौर पर रामायण से जुड़ी हुई है कहते हैं कि एक बार भगवान श्री राम माता सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ वन में जा रहे थे तभी उन्हें ऋषि मुनियों के माध्यम से पता चला कि क्षेत्र में खर दूषण नामक राक्षस का काफी आतंक है कहते हैं खर दूषण अपने साथ हजारों की संख्या में राक्षसों की सेना लेकर चलता था और ऋषि-मुनियों को मार कर खा जाता था भगवान श्रीराम ने यह देखते हुए उसी क्षण अपने दोनों हाथों को ऊपर कर प्रतिज्ञा की कि वह इस राक्षस का वध जरूर करेंगे! जैसे ही भगवान श्रीराम ने अपनी दोनों भुजाएं ऊपर करके राक्षस को मारने की प्रतिज्ञा की श्री राम के उसी अवतार को लोग अजानभुज के नाम से जानते हैं!
जिस वक्त भगवान राम खर दूषण नाम के राक्षस का वध कर रहे थे उस वक्त उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण से कहा था की सीता को किसी कंदरा(गुफा) के अंदर ले जाओ इतनी भयंकर राक्षसों का समूह तुम्हारी भाभी नहीं देख पाएंगे और तभी लक्ष्मण मा सीता को गुफा के अंदर ले गए केवल यही एक ऐसा क्षण था जिस समय भगवान श्रीराम अकेले रहे!

छतरपुर जिला चित्रकूट के पास से ही लगा हुआ है ऐसा माना जाता है कि जहां पर आज यह मंदिर मौजूद है कभी वहां भयंकर जंगल हुआ करता था मंदिर के महंत का मानना है कि ऐसा संभव है कि जिस समय भगवान रास बनवास में थे उस समय भगवान राम इस तरफ आए होंगे और तभी उनके इस रूप की पूजा इस मंदिर में की जाने लगी होगी!

मंदिर के महंत भगवान दास बताते हैं कि भगवान श्रीराम का ऐसा दूसरा मंदिर पूरी दुनिया में मौजूद नहीं है भगवान राम की चाहे कर्मभूमि हो या जन्मभूमि ऐसा दूसरा मंदिर आप कहीं नहीं पाएंगे महंत भगवान दास बताते हैं कि यह प्रतिमा 1440 में पूर्वज संत हरदेव दास महाराज जी को इसी पहाड़ पर मिली थी इसके बाद यहां एक छोटा सा मंदिर बना दिया गया था तब से लेकर आज तक इस प्रतिमा की लगातार पूजा-अर्चना होती आ रही है !



Conclusion:कहते हैं भगवान राम वनवास के समय उत्तर प्रदेश सहित मध्य प्रदेश के कुछ स्थानों पर भी गए भगवान श्रीराम का अजानभुज रूप की प्रतिमा पूरे भारत में कहीं नहीं है लोग ऐसा मानते हैं कि भगवान श्री राम इस मंदिर के आसपास या इस जगह पर जरूर आए होंगे तभी भगवान श्री राम के इस रूप की पूजा यहां पर की जाती है हर वर्ष भगवान राम के जन्म उत्सव से शुरू होने वाला जलसा भी यहीं से शुरू होता है!
Last Updated : Oct 26, 2019, 10:02 AM IST
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