छतरपुर। बुंदेलखंड का नाम रट-रट कर कितने अनपढ़ विद्वान बन गये, लेकिन वहां के लोगों की दीन-हीन दशा आज भी उनकी बेबसी की गवाही दे रही है. हर चुनाव में बुंदेलखंड की बदहाली का मुद्दा जोर शोर से गूंजता है, पर चुनाव बाद गधे के सिर से सींग जैसे गायब हो जाता है. बुंदेलखंड की सियासत का केंद्र मानी जाने वाली खजुराहो सीट पर कांग्रेस ने तो अपना पत्ता खोल दिया है, जबकि चार बार बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती की जीत का गवाह रही इस सीट पर अब बीजेपी पशोपेश में है कि आखिर वह किस पर दांव लगाये. हालांकि, 1999 में आखिरी बार कांग्रेस यहां जीती थी, तब से यहां बीजेपी का कब्जा है.
कांग्रेस ने खजुराहो से नगर परिषद की अध्यक्ष कविता सिंह पर दांव लगाया है, इनके पति विक्रम सिंह नातीराजा राजनगर से कांग्रेस विधायक हैं, कविता छतरपुर के शाही परिवार से संबंध रखती हैं, जबकि विक्रम सिंह की जमीनी पकड़ मानी जाती है. ऐसे में बीजेपी किसी दमदार प्रत्याशी की तलाश में है. छतरपुर, पन्ना और कटनी तक फैले इस क्षेत्र में बीजेपी ने पिछले चुनाव में नागौद राजपरिवार के सदस्य और पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया था, जबकि कांग्रेस ने दमोह के पूर्व मंत्री राजा पटेरिया को मैदान में उतारा था. आठ विधानसभा सीटों वाले संसदीय क्षेत्र में 6 सीटों पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस काबिज है.
2014 के लोकसभा चुनाव में खजुराहो के मतदाताओं की संख्या 17 लाख 2794 थी, जिसमें 795482 महिला मतदाता और 907312 पुरुष मतदाता थे, पिछली बार यहां 51,36 फीसदी मतदान हुआ था, तब बीजेपी के नागेंद्र सिंह को 474966 और कांग्रेस के राजा पटेरिया को 227476 वोट मिले थे और नागेंद्र सिंह 247490 वोटों से विजयी हुए थे, जबकि 2009 के आम चुनाव में भी बीजेपी के जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस के राजा पटेरिया को 28332 वोटों से हराया था. इस चुनाव में बसपा तीसरे स्थान पर रही.
इस बार बीजेपी की राह यहां आसान नहीं है क्योंकि सांसद आदर्श ग्राम भी बीजेपी के आदर्श की गवाही नहीं दे रहे हैं. वहां भी बेरोजगारी, पलायन, पानी की किल्लत की समस्या बनी हुई है. ऐसे में अन्य क्षेत्रों का हाल आसानी से समझा जा सकता है कि वहां किस कदर विकास की बयार चली होगी.