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राजधानी भोपाल में गहराया जल संकट, डैड लेवल के नीचे पहुंचा बड़े तालाब का पानी

राजधानी भोपाल में बड़ा तालाब होने के बाद भी यहां के बुरे हाल हैं. भोपाल में जितने भी जल स्त्रोत हैं वो आखिरी सांस ले रहे हैं.

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Published : Jun 1, 2019, 7:16 PM IST

भोपाल में गहराया जल संकट

भोपाल| देश समेत मध्यप्रदेश में आसमान से आग बरस रही है और इस भीषण गर्मी में जबरदस्त जलसंकट देखने को मिल रहा है. प्रदेश के अधिकतर जिलों में लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाने को लिए मजबूर हैं. वहीं राजधानी भोपाल में बड़ा तालाब होने के बाद भी यहां के बुरे हाल हैं. भोपाल में जितने भी जल स्त्रोत हैं वो आखिरी सांस ले रहे हैं.

भोपाल में गहराया जल संकट

राजधानी चार जलस्तत्रोत के भरोसे है नर्मदा, केरवा डैम, कोलार डैम और बड़ा तालाब लेकिन इन चारों की हालत खराब हो चुकी है. शहर का बड़ा तालाब डैड लेवल से निचे पहुंच चुका है. जिसके बाद अब पुराने शहर में जहां बड़े तालाब से पानी की सप्लाई होती है वहां सबसे ज्यादा स्थिति विकराल है. केरवा डैम में एक सप्ताह का पानी बचा हुआ है. वहीं कोलार डैम के भी आने वाले दिनों मे बुरे हाल हो सकते हैं. वहीं मौसम विभाग ने पहले ही संभावना जता दी है कि इस बार मानसून 15 जून के बजाए 20 जून के आसपास आएगा. जिससे आने वाले समय में स्थिति और भी भयावह हो सकती है.

शहर के कई इलाकों में लोग टैंकर और पानी खरीदकर अपना काम चला रहा हैं, लेकिन सवाल निगम परिषद पर उठ रह हैं. क्योंकि निगम को पहले से पता था कि बारिश कम हुई है और गर्मी में जलसंकट बढ़ेगा. उसके बाद भी नगम परिषद ने एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई करने वाले प्रस्ताव को लटका रखा था और अब जनता परेशान हो रही है.

भोपाल| देश समेत मध्यप्रदेश में आसमान से आग बरस रही है और इस भीषण गर्मी में जबरदस्त जलसंकट देखने को मिल रहा है. प्रदेश के अधिकतर जिलों में लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाने को लिए मजबूर हैं. वहीं राजधानी भोपाल में बड़ा तालाब होने के बाद भी यहां के बुरे हाल हैं. भोपाल में जितने भी जल स्त्रोत हैं वो आखिरी सांस ले रहे हैं.

भोपाल में गहराया जल संकट

राजधानी चार जलस्तत्रोत के भरोसे है नर्मदा, केरवा डैम, कोलार डैम और बड़ा तालाब लेकिन इन चारों की हालत खराब हो चुकी है. शहर का बड़ा तालाब डैड लेवल से निचे पहुंच चुका है. जिसके बाद अब पुराने शहर में जहां बड़े तालाब से पानी की सप्लाई होती है वहां सबसे ज्यादा स्थिति विकराल है. केरवा डैम में एक सप्ताह का पानी बचा हुआ है. वहीं कोलार डैम के भी आने वाले दिनों मे बुरे हाल हो सकते हैं. वहीं मौसम विभाग ने पहले ही संभावना जता दी है कि इस बार मानसून 15 जून के बजाए 20 जून के आसपास आएगा. जिससे आने वाले समय में स्थिति और भी भयावह हो सकती है.

शहर के कई इलाकों में लोग टैंकर और पानी खरीदकर अपना काम चला रहा हैं, लेकिन सवाल निगम परिषद पर उठ रह हैं. क्योंकि निगम को पहले से पता था कि बारिश कम हुई है और गर्मी में जलसंकट बढ़ेगा. उसके बाद भी नगम परिषद ने एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई करने वाले प्रस्ताव को लटका रखा था और अब जनता परेशान हो रही है.

Intro:देश समेत मध्यप्रदेश में आसमान से आग गोले बरस रहे है और इस भीषण गर्मी में जबरदस्त जलसंकट देखने को मिल रहा है....एमपी के अधिकतर जिलों में लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाने को लिए मजबूर है.... राजधानी भोपाल की बात की जाए तो यहां के हाल तो और भी बुरे हो चुके है....शहर में जितने भी जल स्त्रोत है वो आखिरी सांस ले रहे है....जिससे आने वाले समय में स्थिति और भी भायवाह हो सकती है.... निगम ने पहले कोई रोडमैप बनाया नहीं और अब बैठक कर मंथन किया जा रहा है कैसे शहर को जलसंकट से बाहर निकाला जाए....

बाइट- आलोक शर्मा, महापौर, भोपाल


बाइट, विजय दत्ता, नगर निगम, कमिश्नर  


 





 





Body:वीओ-2 राजधानी चार जलस्तत्रोत के भरोसे है नर्मदा,कैरवा डैम, कोलार डैम,  और बड़ा तालाब लेकिन चार की हालत खराब हो चुकी है बड़ा तालाब डैड लेवल से निचे पहुंच चुका है जिसके बाद अब पुराने शहर में जहां बड़े तालाब से पानी की सप्लाई होती है वहां सबसे ज्यादा स्थिति विकराल हो सकती है...कैरवा डैम में एक सप्ताह का पानी बचा है वही कोलार डैम के भी आने वाले दिनों मे बुरे हाल हो सकते है ....उधर मौसम विभाग ने पहले ही संभावना जता दी है कि इस बार मानसून 15 जून के बजाए 20 जून के आसपास आएगा....



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1.     बड़े तालाब का पानी डैड लेवल स्टोरेज (1652) के नीचे (1650.70) पहुंच चुका है 2018 में ये स्थिति 28 मई को बनी थी....


2.       कैरवा डैम में 0.7 मिलियन क्यूब पानी बचा है जो सिर्फ एक हफ्ते का है


3.    कोलार डैम का डेड स्टोरेज लेवल (500.79) मीटर के करीब पहुंच चुका है, आने वाले दिनों यहां से सप्लाई मुश्किल होगी...


Conclusion:फाइनल- शहर के कई इलाकों में लोग टैंकर और पानी खरीदकर अपना काम चला रहा है लेकिन सवाल निगम परिषद पर उठ रह है.... क्योंकि निगम को पहले से पता था कि बारिश कम हुई है और गर्मी में जलसंकट बढ़ेगा... उसके बाद बावजूद भी एक दिन छोड़कर पानी देने के अधिकारियों के प्रस्ताव को लटका रखा और अब बैठक कर रह है और दूसरी तरफ जनता परेशान हो रही है....


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