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मध्य प्रदेश उपचुनाव: 28 विधानसभा सीटों पर वोटिंग खत्म, अब काउंटिंग का इंतजार

मध्यप्रदेश के 19 जिलों के 28 विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग खत्म हो गई है, जिसमें कुल 68.46 प्रतिशत मतदाताओं ने भाग लिया. इसके साथ ही सभी 355 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो गया है.

Voting ends for Madhya Pradesh by-election 2020
खत्म हुई मध्य प्रदेश में वोटिंग
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Published : Nov 3, 2020, 6:10 PM IST

Updated : Nov 4, 2020, 6:53 AM IST

भोपाल। प्रदेश के 19 जिलों के 28 विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग खत्म हो गई है. इस पूरी मतदान प्रक्रिया में कुल 63,67,751 मतदाताओं को भाग लेना था, जिसमें से कुल 66.23 प्रतिशत मतदाताओं ने भाग लिया. सबसे कम वोटिंग 48.15 प्रतिशत ग्वालियर ईस्ट विधानसभा सीट में हुआ, जबकि सबसे ज्यादा बदनावर विधानसभा सीट में 83.20 प्रतिशत मतदाताओं ने लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लिया.

10 नवंबर का इंतजार

वोटिंग खत्म होने के साथ ही चुनावी मैदान में कूदे कुल 12 मंत्रियों के साथ ही 355 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कर के जनता ने ईवीएम में कैद हो गया है. अब जनता का फैसला रिजर्व हो गया है, जो 10 नवंबर को पता चलेगा की जनता ने क्या फैसला किया है.

2018 के मुकाबले घट गया मतदान

उपचुनाव के 28 सीटों की बात करें तो साल 2018 में हुआ विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार यहां मतदान का प्रतिशत घट गया है. 2018 में इन सीटों पर औसत मतदान 72.92 प्रतिशत था. जबकि 2020 में घटकर इस उपचुनाव में 68.46 प्रतिशत हो गया है. यानी 2018 के मुकाबले 2020 में 4.46 फीसदी वोट कम पड़े हैं.

किस फॉर्मूले से हल होगा सत्ता का गणित

उपचुनाव के परिणाम आने के साथ ही सदन में विधायकों की संख्या वर्तमान 202 से बढ़कर 229 हो जाएगी. इसलिए बीजेपी को बहुमत के 115 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए इस उपचुनाव में मात्र आठ सीटों को जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को पूरी 28 सीटें जीतनी होंगी.

कैसी है अभी की विधानसभा

प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों में से वर्तमान में बीजेपी के 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 87, चार निर्दलीय, दो बीएसपी और एक एसपी का विधायक है. बाकी 29 सीटें खाली हैं, जिनमें से दमोह विधानसभा को छोड़कर 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं.

साख का है सवाल

मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार इतनी ज्यादा विधानसभा सीटों पर एक साथ उपचुनाव हुआ है. अब उपचुनाव के परिणाम ही तय करेंगे कि 10 नवंबर के बाद कौन सी पार्टी प्रदेश में सत्ता में रहेगी. उपचुनाव शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ के साथ-साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह और नरेंद्र सिंह तोमर सहित राज्य के कई और दिग्गज नेताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं. देखते हैं कि 115 सीटों वाली जादुई आंकड़ों की पोटली किसके हाथ लगती है.

वोटिंग के दौरान हुए विवाद

  • भिंड के सोंधा में मतदान केंद्र पर चली गोलियां

मेहगांव विधानसभा सीट वोटिंग के दौरान ही कुछ लोगों ने हवाई फायर कर दिया. जिससे मतदाताओं में हड़कंप मच गया. बताया जा रहा है कि, फायरिंग करने वाले युवक दूसरे गांव से मतदान केंद्र पर पहुंचे थे. हवाई फायर के बाद मतदान को प्रभावित करने का आरोप लगाया जा रहा है.

  • पुलिस प्रशासन ने तीनों प्रत्याशी किए नजरबंद

भिंड में पुलिस ने बीजेपी प्रत्याशी रणवीर जाटव, कांग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जाटव और बसपा प्रत्याशी यशवंत पटवारी को पीडब्ल्यूडी सर्किट हाउस में नजरबंद किया. इसके साथ ही मेहगांव से कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे के भाई योगेश कटारे को पुलिस ने हिरासत में लिया है. कांग्रेस प्रत्याशी ने मतदान को प्रभावित करने और अपने कार्यकर्ताओं को परेशान करने का आरोप लगाया है.

  • मुरैना में हुई फायरिंग में तीन लोग घायल

मतदान के दौरान पचौरी पुरा मतदान केंद्र के बाहर लाइन में लगे बीजेपी समर्थकों ने कुशवाह समाज के लोगों पर लाठी-डंडों से मारपीट कर दी और फायरिंग भी की. गोली चलने की वजह से करीब आधे घंटे तक वोटिंग बंद रही. घटना की जानकारी मिलते ही तुरंत मौके पर पुलिस बल पहुंचा और हालात पर काबू किया गया, जिसके बाद मतदान व्यवस्था बहाल हुई.

क्यों कराने पड़े चुनाव

मार्च माह में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से अलग होकर भाजपा का दामन थाम लिया. उनके साथ उनके समर्थक विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी और भाजपा की सदस्यता ले ली, जिसके बाद प्रदेश में तमाम सियासी उठापटक के बीच शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी. इस चुनाव में सिंधिया के समर्थक सभी 22 पूर्व विधायकों का फैसला होना है.

दमोह में क्यों नहीं हुए चुनाव

दमोह से कांग्रेस विधायक रहे राहुल लोधी ने चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद इस्तीफा दिया था, इस लिए प्रदेश के खाली पड़ी 29 विधानसभा सीटों में से 28 पर ही चुनाव कराए गए. दमोह में अभी की परिस्थितियों में चुनाव कराना संभव नहीं था.

भोपाल। प्रदेश के 19 जिलों के 28 विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग खत्म हो गई है. इस पूरी मतदान प्रक्रिया में कुल 63,67,751 मतदाताओं को भाग लेना था, जिसमें से कुल 66.23 प्रतिशत मतदाताओं ने भाग लिया. सबसे कम वोटिंग 48.15 प्रतिशत ग्वालियर ईस्ट विधानसभा सीट में हुआ, जबकि सबसे ज्यादा बदनावर विधानसभा सीट में 83.20 प्रतिशत मतदाताओं ने लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लिया.

10 नवंबर का इंतजार

वोटिंग खत्म होने के साथ ही चुनावी मैदान में कूदे कुल 12 मंत्रियों के साथ ही 355 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कर के जनता ने ईवीएम में कैद हो गया है. अब जनता का फैसला रिजर्व हो गया है, जो 10 नवंबर को पता चलेगा की जनता ने क्या फैसला किया है.

2018 के मुकाबले घट गया मतदान

उपचुनाव के 28 सीटों की बात करें तो साल 2018 में हुआ विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार यहां मतदान का प्रतिशत घट गया है. 2018 में इन सीटों पर औसत मतदान 72.92 प्रतिशत था. जबकि 2020 में घटकर इस उपचुनाव में 68.46 प्रतिशत हो गया है. यानी 2018 के मुकाबले 2020 में 4.46 फीसदी वोट कम पड़े हैं.

किस फॉर्मूले से हल होगा सत्ता का गणित

उपचुनाव के परिणाम आने के साथ ही सदन में विधायकों की संख्या वर्तमान 202 से बढ़कर 229 हो जाएगी. इसलिए बीजेपी को बहुमत के 115 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए इस उपचुनाव में मात्र आठ सीटों को जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को पूरी 28 सीटें जीतनी होंगी.

कैसी है अभी की विधानसभा

प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों में से वर्तमान में बीजेपी के 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 87, चार निर्दलीय, दो बीएसपी और एक एसपी का विधायक है. बाकी 29 सीटें खाली हैं, जिनमें से दमोह विधानसभा को छोड़कर 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं.

साख का है सवाल

मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार इतनी ज्यादा विधानसभा सीटों पर एक साथ उपचुनाव हुआ है. अब उपचुनाव के परिणाम ही तय करेंगे कि 10 नवंबर के बाद कौन सी पार्टी प्रदेश में सत्ता में रहेगी. उपचुनाव शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ के साथ-साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह और नरेंद्र सिंह तोमर सहित राज्य के कई और दिग्गज नेताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं. देखते हैं कि 115 सीटों वाली जादुई आंकड़ों की पोटली किसके हाथ लगती है.

वोटिंग के दौरान हुए विवाद

  • भिंड के सोंधा में मतदान केंद्र पर चली गोलियां

मेहगांव विधानसभा सीट वोटिंग के दौरान ही कुछ लोगों ने हवाई फायर कर दिया. जिससे मतदाताओं में हड़कंप मच गया. बताया जा रहा है कि, फायरिंग करने वाले युवक दूसरे गांव से मतदान केंद्र पर पहुंचे थे. हवाई फायर के बाद मतदान को प्रभावित करने का आरोप लगाया जा रहा है.

  • पुलिस प्रशासन ने तीनों प्रत्याशी किए नजरबंद

भिंड में पुलिस ने बीजेपी प्रत्याशी रणवीर जाटव, कांग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जाटव और बसपा प्रत्याशी यशवंत पटवारी को पीडब्ल्यूडी सर्किट हाउस में नजरबंद किया. इसके साथ ही मेहगांव से कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे के भाई योगेश कटारे को पुलिस ने हिरासत में लिया है. कांग्रेस प्रत्याशी ने मतदान को प्रभावित करने और अपने कार्यकर्ताओं को परेशान करने का आरोप लगाया है.

  • मुरैना में हुई फायरिंग में तीन लोग घायल

मतदान के दौरान पचौरी पुरा मतदान केंद्र के बाहर लाइन में लगे बीजेपी समर्थकों ने कुशवाह समाज के लोगों पर लाठी-डंडों से मारपीट कर दी और फायरिंग भी की. गोली चलने की वजह से करीब आधे घंटे तक वोटिंग बंद रही. घटना की जानकारी मिलते ही तुरंत मौके पर पुलिस बल पहुंचा और हालात पर काबू किया गया, जिसके बाद मतदान व्यवस्था बहाल हुई.

क्यों कराने पड़े चुनाव

मार्च माह में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से अलग होकर भाजपा का दामन थाम लिया. उनके साथ उनके समर्थक विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी और भाजपा की सदस्यता ले ली, जिसके बाद प्रदेश में तमाम सियासी उठापटक के बीच शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी. इस चुनाव में सिंधिया के समर्थक सभी 22 पूर्व विधायकों का फैसला होना है.

दमोह में क्यों नहीं हुए चुनाव

दमोह से कांग्रेस विधायक रहे राहुल लोधी ने चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद इस्तीफा दिया था, इस लिए प्रदेश के खाली पड़ी 29 विधानसभा सीटों में से 28 पर ही चुनाव कराए गए. दमोह में अभी की परिस्थितियों में चुनाव कराना संभव नहीं था.

Last Updated : Nov 4, 2020, 6:53 AM IST
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