भोपाल। प्रदेश की राजधानी में स्थित गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में करीब 7 हजार मजदूर काम करते हैं. उनके परिवार का जीवनयापन गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया से जुड़ा हुआ है. कोई किसी कारखाने में काम करता है तो कोई हम्माली का काम करता है. कोई ड्राइवर का काम कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. मजदूर अलग-अलग तरीकों से अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं. लेकिन कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लगा हुआ है जिसके कारण सब कुछ ठप्प हो गया, जब इसी क्षेत्र में हमारी ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो इन मजदूरों ने अपनी दर्द भरी कहानी बयां की और हमारे माध्यम से सरकार को गुहार लगाई.
राशन को भी मोहताज
लोगों को जैसे-तैसे खाने की व्यवस्था हो रही है, तो काम बंद होने के कारण कमाई खत्म हो गई है. दूसरे शहरों में मजदूरी करने गए लोग फंस गए हैं. जो रोजी- रोटी को परेशान है. वो अपने घर जाना चाहते हैं. लेकिन वाहन बंद होने से फंस गए हैं. कोई भी जनप्रतिनिधि सुध लेने भी नहीं पहुंच रहा है. सरकार की तरफ से राहत की खबरें मिल रही हैं. लेकिन राहत के नाम पर अब तक कुछ हासिल नहीं हुआ. पुलिस की सख्ती से परेशान मजदूर और गरीब तबका लाचारी का जीवन जी रहा है.
सुनो इनकी आपबीती
गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में रहने वाली संगीता पांडे ने बताया कि हैं कि खाने के लिए हमारे पास कुछ नहीं है, बच्चे भी परेशान हैं. पानी नहीं मिल रहा है, राशन नहीं है. दुकानें खुलती हैं तो राशन खरीदने के लिए पैसा भी होना चाहिए.
जगरूप कुशवाहा का कहना है कि धंधा-पानी सब बंद हो गया है, हम लोगों के घर में खाने को भी नहीं हैं. हम लोग परेशान हैं, बाल बच्चे लेकर पड़े हुए हैं, ना घर जा सकते हैं, ना कहीं बाहर जा सकते हैं. सारी सुविधाएं बंद हो गई हैं, मजदूरी बंद होने से पैसा मिलने वाला नहीं है, कभी खा रहे हैं तो कभी भूखे पेट सो रहे हैं.
इंडस्ट्रियल एरिया में ही ड्राइवर के रूप में काम करने वाले वासुदेव पांडे बताते हैं कि बहुत परेशानी है. प्राइवेट गाड़ी चलाते हैं. लेकिन वो खड़ी हो गई है. कोई कमाई नहीं है. नल कनेक्शन का पैसा जमा किया लेकिन वो भी नहीं लगा. कोई सुध लेने भी नहीं आ रहा है.
सिस्टम पर उठते सवाल
सरकार मजदूरों और गरीब वर्ग के लोगों की मदद के लिए तरह-तरह की घोषणाएं कर रही है. तो ऐसे में सवाल सिस्टम पर भी उठने लगते हैं कि ये सुविधाएं लोगों तक पहुंच क्यों नहीं रहीं हैं. लोगों को टेलीविजन और सोशल मीडिया के माध्यम से सरकारी मदद के ऐलान और आश्वासन तो मिल रहे हैं. लेकिन 12 दिन बीत जाने के बाद भी लोगों को कुछ हासिल नहीं हुआ है.