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बिजली की दरें छुड़ा रहीं पसीना, सोलर संयंत्र देंगे राहत

प्रदेश में लगातार बढ़ती बिजली की बढ़ती दरें आम लोगों और उद्योंगों के पसीने छुड़ा रही हैं, ऐसे में आम लोगों के साख ही ऊर्जा विकास निगम और शहरीय प्रशासन सोलर पैनल लगवाने में रूचि दिखा रहे हैं.

Solar plant as alternative to rising electricity rates in MP
विकल्प बनता सोलर संयंत्र
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Published : Jan 17, 2021, 8:52 PM IST

भोपाल। बिजली की बढ़ती दरें आम लोगों और उद्योंगों के पसीने छुड़ा रही हैं. मध्यप्रदेश में बिजली दरें सभी पड़ोसी राज्यों में सबसे ज्यादा है. पिछले दस सालों में प्रदेश में बिजली की दरें दोगुनी हो गई है. बिजली की बढ़ती कीमतों को देखते हुए अब लोग सोलर पैनल लगवाने में रूचि दिखा रहे हैं. वहीं ऊर्जा विकास निगम भी जल्द ही औद्योगिक क्षेत्र के लिए जल्द ही टेंडर निकालने जा रहा है.

विकल्प बनता सोलर संयंत्र

40 किलोवाॅट क्षमता के लग चुके हैं संयंत्र

प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट बिल्डिंगों को सोलर ऊर्जा से रोशन करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत प्रदेश की सभी सरकारी बड़ी इमारतों को सोलर ऊर्जा से रोशन किया गया है. ऊर्जा विकास निगम के पदाधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में 2010-11 से अब तक 40 मेगावाॅट क्षमता के संयंत्र बिल्डिंगों पर स्थापित किए जा चुके हैं. वहीं अब सरकार रैस्को माॅडल यानी रिन्युअल एनर्जी सर्विस कंपनी के लिए जरिए सोलर पैनर स्थापित किए जा रहे हैं. इसकी खास बात पिछली निविदाओं में टैरिफ की दर 1.38 रुपए प्रति यूनिट दर आई है.

यहां लगेंगे सोलर पैनल

इस माॅडल में हितग्राही को कुछ भी पैसा नहीं लगाना पड़ा है. पूरा खर्च कंपनी वहन करती है. उधर अब ऊर्जा विकास निगम व्यवसायिक संस्थाओं और फैक्ट्रियों में भी इस माॅडल पर सोलर पैनल लगाने जा रहा है. निगम जल्द ही गोविंदपुरा, मंडीदीप, पीलूखेड़ी, पीथमपुर, मालनपुर, ग्वालियर के लिए एक साथ टेंडर निकाले जा रहा है.

साल दर साल ऐसे बढ़ती गई दरें

मध्यप्रदेश में बिजली की दरों में पिछले दस सालों में दो गुनी हो चुकी है. साल 2010-11 में घरेलू बिजली की दरें 3.92 और इंडस्ट्री की दरें 5.10 रुपए प्रति यूनिट थी, जो अब बढ़कर दो गुनी हो चुकी है. 2020 में इंडस्ट्री की बिजली दरें 8.71 रुपए प्रति यूनिट और घरेलू दरें 6.55 निर्धारित की गई हैं. यह बढोत्तरी बिजली कंपनियों के घाटे को पूरा करने के लिए की जाती है, हालांकि जानकारों की मानें तो अधिकारियों के मिस मैनेजमेंट और लापरवाही के चलते कंपनियों का घाटा बढ़ रहा है.

  • साल 2011-12 में घरेलू दरें 4.07 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 5.47
  • साल 2012-13 में घरेलू दरें 4.66 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 5.81
  • साल 2013-14 में घरेलू दरें 4.35 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 5.76
  • साल 2014-15 में घरेलू दरें 4.68 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 5.85
  • साल 2015-16 में घरेलू दरें 5.04 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 6.69
  • साल 2016-17 में घरेलू दरें 5.34 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 7.30
  • साल 2017-18 में घरेलू दरें 5.85 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 7.97
  • साल 2018-19 में घरेलू दरें 5.98 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 7.45
  • साल 2019-20 में घरेलू दरें 6.43 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 8.54
  • साल 2020-21 में घरेलू दरें 6.55 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 8.71

सोलर ऊर्जा से उद्योगों को होगा फायदा

ऊर्जा विकास निगम के प्रोजेक्ट हेड श्रीकांत देशमुख के मुताबिक उद्योगों को जहां बिजली की दरें 8 रुपए से भी ज्यादा देनी पड़ रही है, वहीं सोलर ऊर्जा उन्हें इससे कई गुना सस्ती पड़ेगी. पिछले दरें सिर्फ 1.38 रुपए प्रति यूनिट आई है. निश्चित रूप से व्यवसायिक संस्थाओं और उद्योगों को सोलर ऊर्जा से खास फायदा होगा.

उद्योगपति बोले विकल्प अच्छा, विचार करेंगे

उधर उद्योगों में सोलर से ऊर्जा दिए जाने के मामले में गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव मदनलाल गुर्जर कहते हैं कि प्रदेश में उद्योगों को मिलने वाली बिजली की दरें सभी राज्यों से सबसे ज्यादा है. सोलर ऊर्जा को लेकर किस तरह के नियम-शर्तें होती हैं, इसको देखने के बाद भी इस दिशा में कदम बढ़ाया जाएगा. उनके मुताबिक यदि बिजली की कीमतों में राहत मिलेगी, तो उद्योगों के लिए बेहतर होगा.

सोलर पैनल लगवाने पर यह आती है लागत

सोलर पैनल को अब सीधे ग्रिड से जोड़ा जा रहा है, इसलिए अब घरों में लगने वाले रूफ टाॅप सोलर पैनल की जिम्मेदारी पिछले कुछ समय से विद्युत वितरण कंपनियों को सौंप दी गई है. सोलर पैनल से बिजली 25 सालों तक मिलती है और इसके लगाने के खर्च 4 से 5 सालों में बराबर हो जाएगा.

सोलर पैनल लगवाने की योजना

एक किलो वाॅट सौर ऊर्जा के लिए करीब 10 वर्ग मीटर की जरूरत होगी. 3 किलो वाॅट तक के सोलर प्लांट पर 40 फीसदी की सब्सिडी और 3 किलोवाॅट के बाद 10 किलोवाॅट तक 20 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है.

सरकार देती है सब्सिडी

1 किलोवाॅट से ऊपर 3 किलावाॅट तक 37000 रुपए प्रति किलोवाॅट, 3 किलोवाॅट से ऊपर 10 किलोवाॅट तक 39800 रुपए प्रति किलोवाॅट का खर्च आता है. इसी तरह 10 किलावाॅट से ऊपर 100 किलावाॅट तक 36500 रुपए प्रति किलोवाॅट और 100 किलोवाॅट से ऊपर 500 किलोवाॅट तक 34900 रुपए प्रति किलोवाॅट तक खर्च आता है.

भोपाल। बिजली की बढ़ती दरें आम लोगों और उद्योंगों के पसीने छुड़ा रही हैं. मध्यप्रदेश में बिजली दरें सभी पड़ोसी राज्यों में सबसे ज्यादा है. पिछले दस सालों में प्रदेश में बिजली की दरें दोगुनी हो गई है. बिजली की बढ़ती कीमतों को देखते हुए अब लोग सोलर पैनल लगवाने में रूचि दिखा रहे हैं. वहीं ऊर्जा विकास निगम भी जल्द ही औद्योगिक क्षेत्र के लिए जल्द ही टेंडर निकालने जा रहा है.

विकल्प बनता सोलर संयंत्र

40 किलोवाॅट क्षमता के लग चुके हैं संयंत्र

प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट बिल्डिंगों को सोलर ऊर्जा से रोशन करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत प्रदेश की सभी सरकारी बड़ी इमारतों को सोलर ऊर्जा से रोशन किया गया है. ऊर्जा विकास निगम के पदाधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में 2010-11 से अब तक 40 मेगावाॅट क्षमता के संयंत्र बिल्डिंगों पर स्थापित किए जा चुके हैं. वहीं अब सरकार रैस्को माॅडल यानी रिन्युअल एनर्जी सर्विस कंपनी के लिए जरिए सोलर पैनर स्थापित किए जा रहे हैं. इसकी खास बात पिछली निविदाओं में टैरिफ की दर 1.38 रुपए प्रति यूनिट दर आई है.

यहां लगेंगे सोलर पैनल

इस माॅडल में हितग्राही को कुछ भी पैसा नहीं लगाना पड़ा है. पूरा खर्च कंपनी वहन करती है. उधर अब ऊर्जा विकास निगम व्यवसायिक संस्थाओं और फैक्ट्रियों में भी इस माॅडल पर सोलर पैनल लगाने जा रहा है. निगम जल्द ही गोविंदपुरा, मंडीदीप, पीलूखेड़ी, पीथमपुर, मालनपुर, ग्वालियर के लिए एक साथ टेंडर निकाले जा रहा है.

साल दर साल ऐसे बढ़ती गई दरें

मध्यप्रदेश में बिजली की दरों में पिछले दस सालों में दो गुनी हो चुकी है. साल 2010-11 में घरेलू बिजली की दरें 3.92 और इंडस्ट्री की दरें 5.10 रुपए प्रति यूनिट थी, जो अब बढ़कर दो गुनी हो चुकी है. 2020 में इंडस्ट्री की बिजली दरें 8.71 रुपए प्रति यूनिट और घरेलू दरें 6.55 निर्धारित की गई हैं. यह बढोत्तरी बिजली कंपनियों के घाटे को पूरा करने के लिए की जाती है, हालांकि जानकारों की मानें तो अधिकारियों के मिस मैनेजमेंट और लापरवाही के चलते कंपनियों का घाटा बढ़ रहा है.

  • साल 2011-12 में घरेलू दरें 4.07 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 5.47
  • साल 2012-13 में घरेलू दरें 4.66 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 5.81
  • साल 2013-14 में घरेलू दरें 4.35 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 5.76
  • साल 2014-15 में घरेलू दरें 4.68 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 5.85
  • साल 2015-16 में घरेलू दरें 5.04 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 6.69
  • साल 2016-17 में घरेलू दरें 5.34 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 7.30
  • साल 2017-18 में घरेलू दरें 5.85 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 7.97
  • साल 2018-19 में घरेलू दरें 5.98 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 7.45
  • साल 2019-20 में घरेलू दरें 6.43 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 8.54
  • साल 2020-21 में घरेलू दरें 6.55 और इंडस्ट्री की बिजली दरें 8.71

सोलर ऊर्जा से उद्योगों को होगा फायदा

ऊर्जा विकास निगम के प्रोजेक्ट हेड श्रीकांत देशमुख के मुताबिक उद्योगों को जहां बिजली की दरें 8 रुपए से भी ज्यादा देनी पड़ रही है, वहीं सोलर ऊर्जा उन्हें इससे कई गुना सस्ती पड़ेगी. पिछले दरें सिर्फ 1.38 रुपए प्रति यूनिट आई है. निश्चित रूप से व्यवसायिक संस्थाओं और उद्योगों को सोलर ऊर्जा से खास फायदा होगा.

उद्योगपति बोले विकल्प अच्छा, विचार करेंगे

उधर उद्योगों में सोलर से ऊर्जा दिए जाने के मामले में गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव मदनलाल गुर्जर कहते हैं कि प्रदेश में उद्योगों को मिलने वाली बिजली की दरें सभी राज्यों से सबसे ज्यादा है. सोलर ऊर्जा को लेकर किस तरह के नियम-शर्तें होती हैं, इसको देखने के बाद भी इस दिशा में कदम बढ़ाया जाएगा. उनके मुताबिक यदि बिजली की कीमतों में राहत मिलेगी, तो उद्योगों के लिए बेहतर होगा.

सोलर पैनल लगवाने पर यह आती है लागत

सोलर पैनल को अब सीधे ग्रिड से जोड़ा जा रहा है, इसलिए अब घरों में लगने वाले रूफ टाॅप सोलर पैनल की जिम्मेदारी पिछले कुछ समय से विद्युत वितरण कंपनियों को सौंप दी गई है. सोलर पैनल से बिजली 25 सालों तक मिलती है और इसके लगाने के खर्च 4 से 5 सालों में बराबर हो जाएगा.

सोलर पैनल लगवाने की योजना

एक किलो वाॅट सौर ऊर्जा के लिए करीब 10 वर्ग मीटर की जरूरत होगी. 3 किलो वाॅट तक के सोलर प्लांट पर 40 फीसदी की सब्सिडी और 3 किलोवाॅट के बाद 10 किलोवाॅट तक 20 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है.

सरकार देती है सब्सिडी

1 किलोवाॅट से ऊपर 3 किलावाॅट तक 37000 रुपए प्रति किलोवाॅट, 3 किलोवाॅट से ऊपर 10 किलोवाॅट तक 39800 रुपए प्रति किलोवाॅट का खर्च आता है. इसी तरह 10 किलावाॅट से ऊपर 100 किलावाॅट तक 36500 रुपए प्रति किलोवाॅट और 100 किलोवाॅट से ऊपर 500 किलोवाॅट तक 34900 रुपए प्रति किलोवाॅट तक खर्च आता है.

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