ETV Bharat / state

कांवड़ यात्रा से जुड़ीं धार्मिक मान्यताएं, जानिए भगवान शिव को समर्पित क्यों है ये यात्रा

author img

By

Published : Jun 30, 2020, 9:46 PM IST

Updated : Jun 30, 2020, 10:15 PM IST

कोरोना संक्रमण के चलते इस बार कांवड़ यात्रा स्थगित हो सकती है. यहां जानें कांवड़ यात्रा से जुड़ीं कुछ मान्यताएं...

File photo
फाइल फोटो

भोपाल। सावन में शिव आराधना का बड़ा महत्व है. इस दौरान जगह-जगह कांवड़ियों की लम्बी कतारें बम बम भोले के जयकारे लगाते हुए दिखतीं हैं. 6 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है. इस महीने में कांवड़ यात्रा शुरू होती है. कहने को तो ये धार्मिक आयोजन पर है, इसका सामाजिक सरोकार भी है. हर साल श्रावण मास में करोड़ों की तादाद में कांवड़िए सुदूर स्थानों से आकर गंगाजल से भरी कावड़ लेकर पदयात्रा करके अपने गांव शहर लौटते हैं. श्रावण मास की चतुर्दशी के दिन उस गंगाजल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है. लेकिन कोरोना काल के चलते माना जा रहा है कि इस बार इस यात्रा पर रोक रहेगी.

कांवड़ यात्रा का महत्व

कांवड़ यात्रा से जुड़ी मान्यताएं

कुछ लोगों का मानना है कि पहली बार श्रवण कुमार ने त्रेता युग में कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी. अपने दृष्टिहीन माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराते समय माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा के बारे में बताया. उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए श्रवण कुमार ने उन्हें कांवड़ में बैठाया और हरिद्वार लाकर गंगा स्नान कराए. वहां से वह अपने साथ गंगाजल भी लाए. माना जाता है तभी से इस यात्रा की शुरुआत हुई.

परशुराम ने चढ़ाया था भगवान शिव पर जल

ये भी माना जाता है कि कि सबसे पहले परशुराम ने कांवड़ से गंगाजल लाकर शिव का जलाभिषेक किया था. वे शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए गंगाजल लाए थे. इस कथा के अनुसार आज भी लोग गंगाजल लाकर महादेव का अभिषेक करते हैं.

देवताओं ने किया था शिव का जलाभिषेक

मान्यताओं में ये भी शामिल है कि समुद्र मंथन में निकले विष के असर को कम करने के लिए भगवान शिव ने ठंडे चंद्रमा को अपने मस्तक पर सुशोभित किया था. जिसके बाद फिर सभी देवताओं ने भोलेनाथ को गंगाजल चढ़ाया. तब से सावन में कांवड़ यात्रा शुरू हो गई.

कुल मिलाकर सावन के महीने में होने वाली ये यात्रा भगवान शिव को समर्पित होती है. ज्योतिषाचार्य राजेश के मुताबिक इस महीने शिवलिंग का जलाभिषेक करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. माना जा रहा है कि करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ी ये कांवड़ यात्रा इस बार कोविड-19 के चलते स्थिगित हो सकती है.

भोपाल। सावन में शिव आराधना का बड़ा महत्व है. इस दौरान जगह-जगह कांवड़ियों की लम्बी कतारें बम बम भोले के जयकारे लगाते हुए दिखतीं हैं. 6 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है. इस महीने में कांवड़ यात्रा शुरू होती है. कहने को तो ये धार्मिक आयोजन पर है, इसका सामाजिक सरोकार भी है. हर साल श्रावण मास में करोड़ों की तादाद में कांवड़िए सुदूर स्थानों से आकर गंगाजल से भरी कावड़ लेकर पदयात्रा करके अपने गांव शहर लौटते हैं. श्रावण मास की चतुर्दशी के दिन उस गंगाजल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है. लेकिन कोरोना काल के चलते माना जा रहा है कि इस बार इस यात्रा पर रोक रहेगी.

कांवड़ यात्रा का महत्व

कांवड़ यात्रा से जुड़ी मान्यताएं

कुछ लोगों का मानना है कि पहली बार श्रवण कुमार ने त्रेता युग में कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी. अपने दृष्टिहीन माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराते समय माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा के बारे में बताया. उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए श्रवण कुमार ने उन्हें कांवड़ में बैठाया और हरिद्वार लाकर गंगा स्नान कराए. वहां से वह अपने साथ गंगाजल भी लाए. माना जाता है तभी से इस यात्रा की शुरुआत हुई.

परशुराम ने चढ़ाया था भगवान शिव पर जल

ये भी माना जाता है कि कि सबसे पहले परशुराम ने कांवड़ से गंगाजल लाकर शिव का जलाभिषेक किया था. वे शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए गंगाजल लाए थे. इस कथा के अनुसार आज भी लोग गंगाजल लाकर महादेव का अभिषेक करते हैं.

देवताओं ने किया था शिव का जलाभिषेक

मान्यताओं में ये भी शामिल है कि समुद्र मंथन में निकले विष के असर को कम करने के लिए भगवान शिव ने ठंडे चंद्रमा को अपने मस्तक पर सुशोभित किया था. जिसके बाद फिर सभी देवताओं ने भोलेनाथ को गंगाजल चढ़ाया. तब से सावन में कांवड़ यात्रा शुरू हो गई.

कुल मिलाकर सावन के महीने में होने वाली ये यात्रा भगवान शिव को समर्पित होती है. ज्योतिषाचार्य राजेश के मुताबिक इस महीने शिवलिंग का जलाभिषेक करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. माना जा रहा है कि करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ी ये कांवड़ यात्रा इस बार कोविड-19 के चलते स्थिगित हो सकती है.

Last Updated : Jun 30, 2020, 10:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.