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साहित्य एवं कला उत्सव में शामिल हुए जयराम रमेश, इंदिरा गांधी से जुड़े किस्सों को किया याद - भोपाल न्यूज

भोपाल में चल रहे भोपाल साहित्य एवं कला उत्सव में राज्यसभा सांसद जयराम रमेश शामिल हुए. उन्होंने पर्यावरण की स्थिति और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पर्यावरण की ओर किये गए कामों को याद किया.

Jairam Ramesh attended literature and art festival
साहित्य एवं कला उत्सव में शामिल हुए जयराम रमेश
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Published : Jan 10, 2020, 11:11 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल में चल रहे भोपाल साहित्य एवं कला उत्सव में पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भारत में पर्यावरण की स्थिति और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पर्यावरण की ओर किये गए काम और उनके रोल के बारे में बात की.

साहित्य एवं कला उत्सव में शामिल हुए जयराम रमेश


जयराम रमेश ने अपनी किताब 'इंदिरा गांधी ए लाइफ ऑफ नेचर' के बारे में बात करते हुए बताया कि यह किताब इंदिरा गांधी द्वारा लिखे पर्यावरण संरक्षण के पत्रों का एक संकलन है. जो उन्होंने अपने मुख्यमंत्रियों और अपने अधिकारियों के नाम पर्यावरण और वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर लिखे थे.


जय राम रमेश ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने जब 1972 में पर्यावरण पर पहली कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी. तब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं जिन्होंने पर्यावरण के ऊपर भाषण दिया था. साथ ही पर्यावरण असंतुलन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी.


इसके अलावा भारत में भी वाइल्डलाइफ को लेकर इंदिरा गांधी का काफी झुकाव था. उनके ही कार्यकाल में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 लाया गया. मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ला और अर्जुन सिंह को उन्होंने मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए कई बार पत्र भी लिखे. इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद भी कान्हा नेशनल पार्क दौरा करने आई थीं.


वर्तमान समय में हो रहे पर्यावरणीय असंतुलन के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री निजी एजेंसियों के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों को भी जिम्मेदार मानते हैं. प्रकृति को बचाने के लिए उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में बहुत सी ऐसी परंपराएं हैं. जो पर्यावरण बचाओ के लिए बनाई गई थीं. हमें भी याद कर पर्यावरण बचाओ के लिए काम करना चाहिए.

भोपाल। राजधानी भोपाल में चल रहे भोपाल साहित्य एवं कला उत्सव में पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भारत में पर्यावरण की स्थिति और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पर्यावरण की ओर किये गए काम और उनके रोल के बारे में बात की.

साहित्य एवं कला उत्सव में शामिल हुए जयराम रमेश


जयराम रमेश ने अपनी किताब 'इंदिरा गांधी ए लाइफ ऑफ नेचर' के बारे में बात करते हुए बताया कि यह किताब इंदिरा गांधी द्वारा लिखे पर्यावरण संरक्षण के पत्रों का एक संकलन है. जो उन्होंने अपने मुख्यमंत्रियों और अपने अधिकारियों के नाम पर्यावरण और वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर लिखे थे.


जय राम रमेश ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने जब 1972 में पर्यावरण पर पहली कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी. तब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं जिन्होंने पर्यावरण के ऊपर भाषण दिया था. साथ ही पर्यावरण असंतुलन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी.


इसके अलावा भारत में भी वाइल्डलाइफ को लेकर इंदिरा गांधी का काफी झुकाव था. उनके ही कार्यकाल में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 लाया गया. मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ला और अर्जुन सिंह को उन्होंने मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए कई बार पत्र भी लिखे. इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद भी कान्हा नेशनल पार्क दौरा करने आई थीं.


वर्तमान समय में हो रहे पर्यावरणीय असंतुलन के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री निजी एजेंसियों के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों को भी जिम्मेदार मानते हैं. प्रकृति को बचाने के लिए उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में बहुत सी ऐसी परंपराएं हैं. जो पर्यावरण बचाओ के लिए बनाई गई थीं. हमें भी याद कर पर्यावरण बचाओ के लिए काम करना चाहिए.

Intro:भोपाल- राजधानी भोपाल में चल रहे भोपाल साहित्य एवं कला उत्सव में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भारत में पर्यावरण की स्थिति और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पर्यावरण की ओर किये गए काम और उनके रोल के बारे में बात की।


Body:जयराम रमेश ने अपनी किताब इंदिरा गांधी ए लाइफ ऑफ नेचर के बारे में बात करते हुए बताया कि यह किताब इंदिरा गांधी द्वारा लिखे पर्यावरण संरक्षण के पत्रों का एक संकलन है जो उन्होंने अपने मुख्यमंत्रियों, अपने अधिकारियों के नाम पर्यावरण और वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर लिखे थे।
जय राम रमेश ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने जब 1972 में पर्यावरण पर पहली कांफ्रेंस आयोजित की थी तब इंदिरा गांधी पहली प्रधानमंत्री थी जिन्होंने पर्यावरण के ऊपर भाषण दिया था साथ ही पर्यावरण असंतुलन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी।
इसके अलावा भारत में भी वाइल्डलाइफ को लेकर इंदिरा गांधी का काफी झुकाव था। उनके ही कार्यकाल मे वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 लाया गया।
मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ला और अर्जुन सिंह को उन्होंने मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए कई बार पत्र भी लिखें।
इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद भी कान्हा नेशनल पार्क दौरा करने आई थी कि वहां पर क्या स्थिति है।



Conclusion:वर्तमान समय में हो रहे पर्यावरणीय असंतुलन के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री निजी एजेंसियों के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों को भी जिम्मेदार मानते हैं। प्रकृति को बचाने के लिए उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में बहुत सी ऐसी परंपराएं हैं जो पर्यावरण बचाओ के लिए बनाई गई थी। हमें भी याद कर पर्यावरण बचाओ के लिए काम करना चाहिए।
अभी ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के कारण पर्यावरण पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पर्यावरण का मुद्दा एक राजनीतिक मुद्दा होना चाहिए।


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