भोपाल। ऐसा माना जा रहा था कि भोपाल से महापौर पद के लिए बीजेपी विधायक कृष्ण गौर पर दांव लगा सकती है. लेकिन बीजेपी संगठन ने किसी भी विधायक को उम्मीदवार बनाने से इनकार किया है. ऐसे में नए चेहरे की तलाश शुरू हो गई है. भोपाल में महापौर पद महिला आरक्षित है. शहर में फिलहाल बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा दिखाई नहीं दे रहा. इसलिए कृष्णा गौर पर निगाहें टिकी रहीं लेकिन पार्टी की गाइडलाइन से परिस्थितियां बदल रही हैं.
बीजेपी तलाश रही है युवा चेहरा : जहां तक विधायक कृष्णा गौर की बात करें तो गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र उनकी परंपरागत सीट है. कृष्णा गौर भी जानती हैं कि महापौर बनने के बाद यह सीट छोड़नी पड़ी तो वह दोबारा यहां से दावेदारी नहीं कर पाएंगी क्योंकि बीजेपी संगठन में भी उनके विरोधी बैठे हुए हैं. पार्टी के सूत्रों के मुताबिक कृष्णा गौर पहले भी महापौर रह चुकी हैं तो ऐसे में संगठन भी महिला के नए चेहरे को ढूंढ रहा है. बीजेपी में अभी तक जिला और संभागीय समितियों को नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षदों की पैनल बनाने की जवाबदारी नहीं सौंपी गई है.
बायोडाटा लेकर घूम रहे हैं दावेदार : दावेदार पशोपेश में हैं कि टिकट मांगने के लिए कहां जाएं. फिलहाल वह बीजेपी कार्यालय में बड़े नेताओं से और संगठन महामंत्री से मुलाकात कर रहे हैं. चुनाव के लिए जिला और संभागीय समितियां तक गठित नहीं हो पाई हैं. माना जा रहा है कि सांसद व विधायक अपने समर्थकों पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं. पार्टी ने उनसे जीत की जिम्मेदारी लेने को कहा है. हालांकि क्षेत्र के ऐसे लोग जो सांसद -विधायकों के समर्थन की लिस्ट में नहीं हैं, प्रदेश कार्यालय तक अपना बायोडाटा लेकर चक्कर लगा रहे हैं.
बीजेपी आज करेगी बैठक में मंथन : बीजेपी कोर ग्रुप के साथ प्रदेश चुनाव समिति की बैठक गुरुवार को होना है. लिहाजा सुबह 11बजे से ही टिकट के दावेदारों और खासतौर से महापौर प्रत्याशियों के लिए मंथन होगा. बीजेपी संगठन ने अपने सभी विधायकों को उनके क्षेत्र पंचायत और निकाय चुनाव को जिताने की जवाबदारी सौंपी है. विधायकों से यह भी कहा गया है कि चुनावी नतीजों के आधार पर ही पार्टी में उनका परफॉर्मेंस तय होगा. मुख्यमंत्री ने मंत्रियों और विधायकों से साफ कह दिया कि यह चुनाव हार गए तो आपको मंच पर बैठने के लिए जगह भी नहीं मिलेगी.
बीजेपी व कांग्रेस के अपने-अपने दावे : प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि चाहे कोई भी चुनाव हो, हम विकास के मॉडल पर चुनाव लड़ेंगे. यहां पर कांग्रेस जैसा फैसला नहीं होता. बीजेपी में समूह के निर्णय होते हैं और उसके बाद ही टिकट फाइनल होता है. फिलहाल पार्टी में महिलाएं अच्छा काम कर रही हैं और खासतौर से युवा चेहरों की मेहनत जमीन पर दिखाई दे रही है, वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि बीजेपी कुछ भी कहती रहे कि कांग्रेस खत्म हो गई है लेकिन 17 साल के बाद भी कांग्रेस कार्यालय में टिकट के दावेदारों की भीड़ लगी हुई है. (Political tussle between BJP and Congress)
(Politicians ragging ticket for councilor) (Discussion on names of mayor candidates)