भोपाल। महिला अपराधों में मध्यप्रदेश लगातार पहले पायदान पर बना हुआ है. इस दाग को मिटाने के लिए पुलिस मुख्यालय भी गंभीर नजर आ रहा है. महिला अपराधों में अब पीड़ित महिलाओं से तीन बार फीडबैक लिया जाएगा. पीड़ित महिलाओं से फीडबैक लेकर ये पता लगाया जाएगा कि वो पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट हैं या नहीं. इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने 10 सवालों का एक स्टैंडर्ड फॉर्मेट तैयार किया है.
NCRB की रिपोर्ट
पिछले कुछ सालों से मध्यप्रदेश महिला अपराधों में अव्वल बना हुआ है. हाल ही में आई एनसीआरबी की रिपोर्ट में एक बार फिर मध्यप्रदेश महिला अपराधों में पहले पायदान पर है. लिहाजा पुलिस मुख्यालय ने महिला अपराधों को गंभीरता से लेते हुए एक नई पहल की है. इस पहल के तहत पीड़ित महिलाओं से कार्रवाई के बारे में तीन बार फीडबैक लिया जाएगा. महिला शाखा फीडबैक लेकर ये पता लगाने की कोशिश करेगी कि पीड़ित महिला पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट है या नहीं.
पीड़ित महिलाओं से फीडबैक
फीडबैक लेने के लिए 10 प्रश्नों का एक फॉर्मेट तैयार किया गया है, जिसमें सबसे पहले पीड़ित महिला से ये पूछा जाएगा कि रिपोर्ट लिखवाने के लिए उसे कितनी बार थाने जाना पड़ा. थाने में पुलिस का व्यवहार कैसा था और एफआईआर की प्रति उसे निःशुल्क और तत्काल मिली या नहीं. अगर पीड़ित महिला कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है, तो जरूरत के मुताबिक उसे कानूनी सहायता मुहैया कराई जाएगी, साथ ही संबंधित पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक पहला फीडबैक पीड़ित महिला के एफआईआर दर्ज करवाने के 48 घंटों के भीतर लिया जाएगा. वहीं दूसरा फीडबैक अपराध पंजीबद्ध करने के एक महीने के भीतर और तीसरा फीडबैक कोर्ट में चार्जशीट पेश करने से पहले लिया जाएगा. इसके साथ ही पुलिस मुख्यालय ने प्रयोग के तौर पर करीब 200 से ज्यादा पीड़ित महिलाओं से फीडबैक लिया है, जहां महिलाओं ने पुलिस की कार्रवाई से असंतोष जाहिर किया है, उन क्षेत्रों के पुलिस अधिकारियों को संबंधित थाना स्टाफ के व्यवहार में सुधार और प्रशिक्षण दिए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं.