हैदराबाद। भारत शुक्रवार को अपना पहला मिसाइल ट्रैकिंग जहाज ध्रुव लॉन्च (Launching of INS Dhruva) करेगा. 10,000 टन वजनी इस जहाज में लंबी दूरी तक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक (Ballistic Missiles Tracker) करने की क्षमता है. उम्मीद की जा रही है कि यह भारत की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता (Anti Ballistic Missiles) में मील का पत्थर साबित होगा. इस जहाज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) 10 सितंबर को विशाखापत्तनम से लॉन्च करेंगे.
DRDO, NTRO और हिंदुस्तान शिपयार्ड ने बनाया जहाज
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) (Defense Research and Development Organization) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) (National Technical Research Organization) के सहयोग से हिंदुस्तान शिपयार्ड (Hindustan Shipyard) ‘आईएनएस ध्रुव’ का निर्माण किया है. ध्रुव दुश्मन पनडुब्बियों (Marine) की विस्तृत जानकारी का पता लगाने के लिए समुद्र तल का नक्शा बनाने की क्षमता रखता है. मिसाइल को ट्रैक करने वाले ये जहाज एंटिना और रडार (Radar) से लैस होते हैं. इनका काम दुश्मन के रॉकेट को ट्रैक करना होता है.
भारत बना छठवां देश
लॉन्च समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह (Navy Chief Admiral Karambir Singh) और एनटीआरओ के अध्यक्ष अनिल दासमाना तथा डीआरडीओ और नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग इस जहाज को भारतीय नौसेना के जवान, सामरिक बल कमान (एसएफसी) के साथ संचालित करेंगे. इससे पहले ऐसे जहाजों का संचालन केवल फ्रांस, अमेरिका (America), ब्रिटेन, रूस और चीन द्वारा किया जाता था. अब इस तरह के जहाज का संचालन करने वाला भारत छठवां देश बन गया है.
एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता होगी मजबूत
आईएनएस ध्रुव से आने वाले दिनों में भारत की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता मजबूत होगी. यह भारतीय शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों की ओर जाने वाली दुश्मनों की मिसाइलों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करेगा. जहाज इंडो-पैसिफिक में समुद्री जानकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन होगा. यह जहाज उस समय लॉन्च हो रहा है जब पानी के नीचे सशस्त्र और ड्रोन निगरानी का युग शुरू हो चुका है.
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तकनीक से लैस होगा आईएनएस ध्रुव
आईएनएस ध्रुव डीआरडीओ द्वारा विकसित अत्याधुनिक सक्रिय स्कैन एरे रडार या एईएसए से लैस है, जो भारत पर नजर रखने वाले जासूसी उपग्रहों की निगरानी के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में मिसाइल परीक्षणों की निगरानी के लिए विभिन्न स्पेक्ट्रम को स्कैन (Spectrum Scanning) करने की क्षमता रखता है. यह भारतीय नौसेना की क्षमता को अदन की खाड़ी से मलक्का, सुंडा, लोम्बोक, ओमबाई और वेटार जलडमरूमध्य के माध्यम से दक्षिण चीन सागर में प्रवेश मार्ग तक मजबूत करेगा.