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राहत! MP में इस गर्मी नहीं होगी बिजली की कटौती, ठंडा-ठंडा कूल का ले पाएंगे मजा - एमपी को मिला 193 मेट्रिक टन कोयला

मध्यप्रदेश वासियों को इस बार गर्मी के मौसम में बिजली से राहत मिल सकती है. एमपी की पावर जनरेटिंग कंपनियों को केंद्र की तरफ से 193 मेट्रिक टन कोयला मिला है. जो कि अनुबंधित मात्रा से 83 फीसदी ज्यादा है.

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Published : Apr 12, 2023, 7:07 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में इस बार बिजली की किल्लत नहीं होगी. एमपी की पावर जनरेटिंग कंपनियों को केंद्र की तरफ से 193 मेट्रिक टन कोयला मिला है. जो कि अनुबंधित मात्रा से 83 फीसदी ज्यादा है. इससे माना जा रहा है कि पिछले साल की तरह इस साल बिजली संकट की स्थिति नहीं बनेगी. एमपी पावर जनरेशन कंपनियों के ताप विद्युत घरों के लिए भारत सरकार की कोयला कंपनियां साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, वेस्टर्न कोलफील्ड और नॉर्थन कोलफील्ड से कोयला लेने का अनुबंध किया है.

प्रदेश में प्रति दिन 80 हज़ार टन कोयला चाहिए: प्रदेश की कंपनियों को प्रतिदिन 80 हजार टन कोयले की जरूरत होती है. ताप विद्युत गृहों में यदि कोयले की कमी हो जाती है तो बिजली उत्पादन प्रभावित होता है. पिछले साल गर्मियों में कोयले की कमी के चलते विद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ था. तब सरकार ने विदेशों से कोयला आयात किया था.

उपभोक्ताओं से लिया जाता है: कोयला स्टॉक का पैसा बिजली के टैरिफ निर्धारण में उपभोक्ताओं से 30 दिन के कोयला स्टॉक का पैसा लिया जाता है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मानक के अनुसार प्लांट और कोयला खदान की दूरी 25 किलोमीटर से कम पर 17 दिन का स्टॉक और प्लांट और कोयला खदान की दूरी 25 किलोमीटर से अधिक होने पर 26 दिन का कोयला स्टॉक रखना चाहिए.

प्रदेश में बिजली उत्पादन की स्थिति: अभी एमपी को 9000 मेगावाट बिजली कोयला आधारित ताप विद्युत गृह से और 1800 मेगावाट जल, सोलर और विंड से मिलती है. इससे पावर जनरेटिंग कंपनियों के अंतर्गत आने वाले जल विद्युत घरों से 225 मेगावाट बिजली मिलती है. वहीं प्रदेश में 3448 मेगा वाट सोलर एनर्जी का टारगेट है, जबकि उत्पादन सिर्फ 1500 मेगावाट का हो रहा है. इस समय बायोगैस से 2541 मेगावाट क्षमता की जगह सिर्फ 2372 मेगावाट बिजली बन रही है.

कुछ खबरें यहां पढ़ें

ताप विद्युत गृह- क्षमता - जरूरत

यूनिट अमरकंटक ताप विद्युत- 210 मेगा वाट - 2.8 हजार टन
संजय गांधी- 1340 -22.6 हजार टन
सारणी विद्युत 1330 18.3 हजार टन
सिंगाजी विद्युत घर - 2620 मेगावॉट 36.4 हजार टन

भोपाल। मध्यप्रदेश में इस बार बिजली की किल्लत नहीं होगी. एमपी की पावर जनरेटिंग कंपनियों को केंद्र की तरफ से 193 मेट्रिक टन कोयला मिला है. जो कि अनुबंधित मात्रा से 83 फीसदी ज्यादा है. इससे माना जा रहा है कि पिछले साल की तरह इस साल बिजली संकट की स्थिति नहीं बनेगी. एमपी पावर जनरेशन कंपनियों के ताप विद्युत घरों के लिए भारत सरकार की कोयला कंपनियां साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, वेस्टर्न कोलफील्ड और नॉर्थन कोलफील्ड से कोयला लेने का अनुबंध किया है.

प्रदेश में प्रति दिन 80 हज़ार टन कोयला चाहिए: प्रदेश की कंपनियों को प्रतिदिन 80 हजार टन कोयले की जरूरत होती है. ताप विद्युत गृहों में यदि कोयले की कमी हो जाती है तो बिजली उत्पादन प्रभावित होता है. पिछले साल गर्मियों में कोयले की कमी के चलते विद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ था. तब सरकार ने विदेशों से कोयला आयात किया था.

उपभोक्ताओं से लिया जाता है: कोयला स्टॉक का पैसा बिजली के टैरिफ निर्धारण में उपभोक्ताओं से 30 दिन के कोयला स्टॉक का पैसा लिया जाता है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मानक के अनुसार प्लांट और कोयला खदान की दूरी 25 किलोमीटर से कम पर 17 दिन का स्टॉक और प्लांट और कोयला खदान की दूरी 25 किलोमीटर से अधिक होने पर 26 दिन का कोयला स्टॉक रखना चाहिए.

प्रदेश में बिजली उत्पादन की स्थिति: अभी एमपी को 9000 मेगावाट बिजली कोयला आधारित ताप विद्युत गृह से और 1800 मेगावाट जल, सोलर और विंड से मिलती है. इससे पावर जनरेटिंग कंपनियों के अंतर्गत आने वाले जल विद्युत घरों से 225 मेगावाट बिजली मिलती है. वहीं प्रदेश में 3448 मेगा वाट सोलर एनर्जी का टारगेट है, जबकि उत्पादन सिर्फ 1500 मेगावाट का हो रहा है. इस समय बायोगैस से 2541 मेगावाट क्षमता की जगह सिर्फ 2372 मेगावाट बिजली बन रही है.

कुछ खबरें यहां पढ़ें

ताप विद्युत गृह- क्षमता - जरूरत

यूनिट अमरकंटक ताप विद्युत- 210 मेगा वाट - 2.8 हजार टन
संजय गांधी- 1340 -22.6 हजार टन
सारणी विद्युत 1330 18.3 हजार टन
सिंगाजी विद्युत घर - 2620 मेगावॉट 36.4 हजार टन

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