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14 अप्रैल तक एमपी की सभी अदालतों की कार्यवाही चीफ जस्टिस ने की मुल्तवी - Chief Justice of Madhya Pradesh

लॉकडाउन के दूसरे दिन मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस एके मित्तल ने प्रदेश की सभी अदालतों की कार्यवाही को 14 अप्रैल तक के लिए मुल्तवी करने का आदेश जारी किया है.

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हाईकोर्ट, मध्यप्रदेश
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Published : Mar 26, 2020, 2:59 PM IST

भोपाल। देशभर में कोरोना वायरस (कोविड-19) के खतरे को देखते हुए पीएम मोदी के निर्देश के बाद लॉकडाउन कर दिया गया है, अब मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस ने 14 अप्रैल तक हाईकोर्ट और प्रदेश की सभी अदालतों में काम बंद करने का आदेश दिया है, 14 अप्रैल तक हाईकोर्ट और प्रदेश की सभी अदालतों में काम बंद रहेगा.

चीफ जस्टिस एके मित्तल ने आदेश जारी किया है, जिसके तहत मुख्य पीठ जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर खंडपीठ के साथ ही प्रदेश की सभी अदालतों में पूरी तरह प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. आपात स्थिति में चीफ जस्टिस के आदेश पर ही इस दौरान कोर्ट में अति आवश्यक मामले की सुनवाई की जा सकेगी.

निचली अदालतों में भी बहुत जरूरी होने की स्थिति में संबंधित जज की अनुमति के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा. इसके अलावा अधीनस्थ अदालतों के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को ऑनलाइन उपलब्ध रहने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि अति आवश्यक परिस्थिति में काम किया जा सके. बहुत जरूरी प्रकरण के अलावा प्रदेश की किसी भी अदालत में किसी भी मामले पर सुनवाई नहीं की जाएगी.

भोपाल। देशभर में कोरोना वायरस (कोविड-19) के खतरे को देखते हुए पीएम मोदी के निर्देश के बाद लॉकडाउन कर दिया गया है, अब मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस ने 14 अप्रैल तक हाईकोर्ट और प्रदेश की सभी अदालतों में काम बंद करने का आदेश दिया है, 14 अप्रैल तक हाईकोर्ट और प्रदेश की सभी अदालतों में काम बंद रहेगा.

चीफ जस्टिस एके मित्तल ने आदेश जारी किया है, जिसके तहत मुख्य पीठ जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर खंडपीठ के साथ ही प्रदेश की सभी अदालतों में पूरी तरह प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. आपात स्थिति में चीफ जस्टिस के आदेश पर ही इस दौरान कोर्ट में अति आवश्यक मामले की सुनवाई की जा सकेगी.

निचली अदालतों में भी बहुत जरूरी होने की स्थिति में संबंधित जज की अनुमति के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा. इसके अलावा अधीनस्थ अदालतों के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को ऑनलाइन उपलब्ध रहने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि अति आवश्यक परिस्थिति में काम किया जा सके. बहुत जरूरी प्रकरण के अलावा प्रदेश की किसी भी अदालत में किसी भी मामले पर सुनवाई नहीं की जाएगी.

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