भोपाल। राज्य सरकार की नई रेत नीति पर बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं. नई रेत नीति के बाद नीलाम रेत खदानों से प्रदेश सरकार को 1 हजार 234 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है. ऑनलाइन कराई गई नीलामी में सबसे ज्यादा आय मध्यप्रदेश के होशंगाबाद और सीहोर जिले से हुई . जिसमें करीब 326 करोड़ की आय हुई है. वहीं सबसे महंगी रेत खदान जबलपुर की नीलाम हुई. जबलपुर संभाग के लिए 100 करोड रुपए आरक्षित किए गए थे, इसके विरुद्ध ठेकेदारों ने 281 करोड़ 56 लाख 76 हजार रुपए की बोली लगाई.
खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बताया कि एक साल के भीतर सरकार ने बीजेपी सरकार की तुलना में 5 गुना राजस्व बढ़ाया है. बीजेपी सरकार में रेत से सिर्फ 240 करोड़ रुपए मिलते थे. रेत की उपलब्धता के आधार पर 43 जिलों के समूह बनाए गए थे और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए निविदाएं बुलाई गई थी. उन्होंने उम्मीद जताई है कि जिन 7 जिलों में अभी निविदाओं की प्रक्रिया जारी है वहां से राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त होगा.
सबसे महंगी बिकी जबलपुर संभाग की खदानें
ज्यादातर खदानों की पूरे आरक्षित मूल्य से तीन गुना या उससे भी ज्यादा लगाई गई बोली में सबसे ज्यादा महंगी जबलपुर संभाग की खदानों बिकी है. जबलपुर के लिए 100 करोड रुपए मूल आरक्षित किया गया था. इसके विरुद्ध ठेकेदारों ने 281 करोड़ 56 लाख 76 हजार की बोली लगाई. वहीं दूसरे नंबर पर राजस्व के मामले में नर्मदापुरम संभाग दूसरे नंबर पर है.
खनिज विभाग ने संभाग की खदानों के लिए 120 करोड़ रुपए बोली आरक्षित की थी. इसके विरुद्ध 276 करोड़ 77 लाख 60 हजार की बोली लगाई गई है. सिर्फ होशंगाबाद जिले की खदानें 216 करोड़ 99 लाख 99 हजार में नीलाम हुई है.
इसी तरह इंदौर संभाग के लिए 60 करोड़ ₹99 लाख की बोली लगाई गई. जबकि यहां आरक्षित मूल्य 18 करोड़ 62 लाख 50 हजार तय किया गया था.
2020 में खदानों का संचालन कर सकेंगे ठेकेदार
ठेकेदार खदानों का संचालन अप्रैल 2020 से शुरू कर सकेंगे. ठेकेदारों को नीलामी की प्रक्रिया पूरी करने के बाद पर्यावरण और माइनिंग अनुमति के लिए आवेदन करने होंगे. अनुमति दिलाने में विभाग उनकी मदद करेगा. इस प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 3 महीने का वक्त लगेगा.