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नई रेत नीति से मालामाल मध्यप्रदेश, भरने लगा खजाना - Narmadapuram Division

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई नई रेत नीति के बेहतर परिणाम सामने आए हैं. नई रेत नीति के बाद नीलाम की गई रेत खदानों से मध्य प्रदेश को 1234 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है.

New sand policy has started showing effect
नई रेत नीति का दिखना लगा है असर
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Published : Dec 8, 2019, 9:57 AM IST

Updated : Dec 8, 2019, 3:15 PM IST

भोपाल। राज्य सरकार की नई रेत नीति पर बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं. नई रेत नीति के बाद नीलाम रेत खदानों से प्रदेश सरकार को 1 हजार 234 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है. ऑनलाइन कराई गई नीलामी में सबसे ज्यादा आय मध्यप्रदेश के होशंगाबाद और सीहोर जिले से हुई . जिसमें करीब 326 करोड़ की आय हुई है. वहीं सबसे महंगी रेत खदान जबलपुर की नीलाम हुई. जबलपुर संभाग के लिए 100 करोड रुपए आरक्षित किए गए थे, इसके विरुद्ध ठेकेदारों ने 281 करोड़ 56 लाख 76 हजार रुपए की बोली लगाई.

नई रेत नीति का दिखना लगा है असर

खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बताया कि एक साल के भीतर सरकार ने बीजेपी सरकार की तुलना में 5 गुना राजस्व बढ़ाया है. बीजेपी सरकार में रेत से सिर्फ 240 करोड़ रुपए मिलते थे. रेत की उपलब्धता के आधार पर 43 जिलों के समूह बनाए गए थे और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए निविदाएं बुलाई गई थी. उन्होंने उम्मीद जताई है कि जिन 7 जिलों में अभी निविदाओं की प्रक्रिया जारी है वहां से राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त होगा.

सबसे महंगी बिकी जबलपुर संभाग की खदानें
ज्यादातर खदानों की पूरे आरक्षित मूल्य से तीन गुना या उससे भी ज्यादा लगाई गई बोली में सबसे ज्यादा महंगी जबलपुर संभाग की खदानों बिकी है. जबलपुर के लिए 100 करोड रुपए मूल आरक्षित किया गया था. इसके विरुद्ध ठेकेदारों ने 281 करोड़ 56 लाख 76 हजार की बोली लगाई. वहीं दूसरे नंबर पर राजस्व के मामले में नर्मदापुरम संभाग दूसरे नंबर पर है.
खनिज विभाग ने संभाग की खदानों के लिए 120 करोड़ रुपए बोली आरक्षित की थी. इसके विरुद्ध 276 करोड़ 77 लाख 60 हजार की बोली लगाई गई है. सिर्फ होशंगाबाद जिले की खदानें 216 करोड़ 99 लाख 99 हजार में नीलाम हुई है.

इसी तरह इंदौर संभाग के लिए 60 करोड़ ₹99 लाख की बोली लगाई गई. जबकि यहां आरक्षित मूल्य 18 करोड़ 62 लाख 50 हजार तय किया गया था.

2020 में खदानों का संचालन कर सकेंगे ठेकेदार

ठेकेदार खदानों का संचालन अप्रैल 2020 से शुरू कर सकेंगे. ठेकेदारों को नीलामी की प्रक्रिया पूरी करने के बाद पर्यावरण और माइनिंग अनुमति के लिए आवेदन करने होंगे. अनुमति दिलाने में विभाग उनकी मदद करेगा. इस प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 3 महीने का वक्त लगेगा.

भोपाल। राज्य सरकार की नई रेत नीति पर बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं. नई रेत नीति के बाद नीलाम रेत खदानों से प्रदेश सरकार को 1 हजार 234 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है. ऑनलाइन कराई गई नीलामी में सबसे ज्यादा आय मध्यप्रदेश के होशंगाबाद और सीहोर जिले से हुई . जिसमें करीब 326 करोड़ की आय हुई है. वहीं सबसे महंगी रेत खदान जबलपुर की नीलाम हुई. जबलपुर संभाग के लिए 100 करोड रुपए आरक्षित किए गए थे, इसके विरुद्ध ठेकेदारों ने 281 करोड़ 56 लाख 76 हजार रुपए की बोली लगाई.

नई रेत नीति का दिखना लगा है असर

खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बताया कि एक साल के भीतर सरकार ने बीजेपी सरकार की तुलना में 5 गुना राजस्व बढ़ाया है. बीजेपी सरकार में रेत से सिर्फ 240 करोड़ रुपए मिलते थे. रेत की उपलब्धता के आधार पर 43 जिलों के समूह बनाए गए थे और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए निविदाएं बुलाई गई थी. उन्होंने उम्मीद जताई है कि जिन 7 जिलों में अभी निविदाओं की प्रक्रिया जारी है वहां से राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त होगा.

सबसे महंगी बिकी जबलपुर संभाग की खदानें
ज्यादातर खदानों की पूरे आरक्षित मूल्य से तीन गुना या उससे भी ज्यादा लगाई गई बोली में सबसे ज्यादा महंगी जबलपुर संभाग की खदानों बिकी है. जबलपुर के लिए 100 करोड रुपए मूल आरक्षित किया गया था. इसके विरुद्ध ठेकेदारों ने 281 करोड़ 56 लाख 76 हजार की बोली लगाई. वहीं दूसरे नंबर पर राजस्व के मामले में नर्मदापुरम संभाग दूसरे नंबर पर है.
खनिज विभाग ने संभाग की खदानों के लिए 120 करोड़ रुपए बोली आरक्षित की थी. इसके विरुद्ध 276 करोड़ 77 लाख 60 हजार की बोली लगाई गई है. सिर्फ होशंगाबाद जिले की खदानें 216 करोड़ 99 लाख 99 हजार में नीलाम हुई है.

इसी तरह इंदौर संभाग के लिए 60 करोड़ ₹99 लाख की बोली लगाई गई. जबकि यहां आरक्षित मूल्य 18 करोड़ 62 लाख 50 हजार तय किया गया था.

2020 में खदानों का संचालन कर सकेंगे ठेकेदार

ठेकेदार खदानों का संचालन अप्रैल 2020 से शुरू कर सकेंगे. ठेकेदारों को नीलामी की प्रक्रिया पूरी करने के बाद पर्यावरण और माइनिंग अनुमति के लिए आवेदन करने होंगे. अनुमति दिलाने में विभाग उनकी मदद करेगा. इस प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 3 महीने का वक्त लगेगा.

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भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई नई रेत नीति के बेहतर परिणाम सामने आए हैं। नई रेत नीति के बाद नीलाम की गई रेत खदानों से मध्य प्रदेश को 1234 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। ऑनलाइन नेताओं के जरिए कराई गई नीलामी में सबसे ज्यादा आय मध्यप्रदेश को होशंगाबाद और सीहोर जिले से करीब 326 करोड़ की हुई है। वही सबसे महंगी रेत खदान जबलपुर की नीलाम हुई। जबलपुर संभाग के लिए 100 करोड रुपए बुल आरक्षित किए गए थे इसके विरुद्ध ठेकेदारों ने 281 करोड 56 लाख 76 हजार रुपए की बोली लगाई।


Body:खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बताया कि 1 साल के भीतर सरकार ने बीजेपी सरकार की तुलना में 5 गुना राजेश बढ़ाया है बीजेपी सरकार में रेत से सिर्फ 240 करोड रुपए मिलते थे। रेत की उपलब्धता के आधार पर 43 जिलों के समूह बनाए गए थे और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए निविदाएं बुलाई गई थी उन्होंने उम्मीद जताई कि जिन 7 जिलों में अभी निविदाओं की जानी है उससे और राजस्व प्राप्त होगा।

जबलपुर संभाग की खदानें सबसे महंगी बिकी
ज्यादातर खदानों की पूरी आरक्षित मूल्य से तीन को ना या उससे भी ज्यादा लगाई गई सबसे ज्यादा महंगी जबलपुर संभाग की खदानों विकी है जबलपुर के लिए 100 करोड रुपए मूल आरक्षित किया गया था इसके विरुद्ध ठेकेदारों ने 281 करोड़ 56 लाख 76 हजार की बोली लगाई है। रेत खदानों से मुझे राजेश के मामले में नर्मदा पुरम संभाग दूसरे नंबर पर रहा है खनिज विभाग ने संभाग की खदानों के लिए 120 करोड़ रुपए बोल आरक्षित किया था इसके विरुद्ध 276 करोड़ 77 लाख ₹60000 की बोली लगाई गई है। सिर्फ होशंगाबाद जिले की खदाने 216 करोड़ 99 लाख 99000 में नीलाम हुई है। इसी तरह इंदौर संभाग के लिए 60 करोड़ ₹99 लाख की बोली लगाई गई। जबकि यहां आरक्षित मूल्य 18 करोड़ 62 लाख 50 हजार तय किया गया था।
ठेकेदार इन खदानों का संचालन अप्रैल 2020 से शुरू कर सकेंगे । ठेकेदारों को नीलामी की प्रक्रिया पूरी करने के बाद पर्यावरण और माइनिंग अनुमति के लिए आवेदन करना होंगे यह अनुमति दिलाने में विभाग उनकी मदद करेगा इस प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 3 माह का वक्त लगेगा।


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Last Updated : Dec 8, 2019, 3:15 PM IST
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