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MP urban body elections: आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में 6 दिसंबर को सुनवाई, नोटिस जारी

MP urban body elections: सुप्रीम कोर्ट ने उस स्पेशल लीव याचिका (एसएलपी) को लेकर नोटिस जारी किया है,जिसमें मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने नगरीय निकाय के अध्यक्ष पद के आरक्षण के स्टे को चुनौती दी थी. मामले पर अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी.

MP urban body elections
नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में 6 दिसंबर को सुनवाई
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Published : Dec 3, 2021, 9:01 PM IST

भोपाल। MP urban body elections: मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण के मुद्दे पर पेंच फंसता दिखा रहा है, और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. दरअसल मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव पर जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए स्टे को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सरकार द्वारा दायर स्पेशल लीव याचिका (एसएलपी) को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है और याचिकाकर्ता मानवेंद्र सिंह तोमर को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है.

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हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने लगाया है स्टे (Gwalior Bench of High Court has imposed stay)

उल्लेखनीय है कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए सरकार ने जो आरक्षण व्यवस्था तय की थी, उसके खिलाफ अधिवक्ता मानवर्द्धन सिंह तोमर ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में मानवर्द्धन सिंह ने कहा था कि दो महापौर और 79 नगर पालिका अध्यक्ष पद पर रोटेशन प्रणाली का पालन नहीं किया गया है और इन सीटों पर लंबे समय से चले आ रहे आरक्षण को ही फिर से लागू कर दिया गया है. इस याचिका पर ग्वालियर बेंच ने भी माना कि रोटेशन प्रणाली का पालन होना चाहिए था और इस आधार पर हाईकोर्ट ने 12 मार्च 2021 को चुनाव पर स्टे कर दिया.

जबलपुर हाईकोर्ट ने बरकरार रखा स्टे (Jabalpur High Court upheld the stay)

हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार ने जबलपुर हाईकोर्ट का रुख किया. जहां सरकार ने जबलपुर हाईकोर्ट की प्रिसिंपल बेंच के सामने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छे 243 और नगर पालिका अधिनियम की धारा 29 के तहत नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद पर आरक्षण का अधिकार सरकार को दिया गया है. ऐसा नहीं है कि एक पद जो आरक्षित हो गया है, उसे दोबारा आरक्षित नहीं किया जा सकता. हालांकि जबलपुर हाईकोर्ट ने भी ग्वालियर बेंच के स्टे के फैसले को बरकरार रखा था.

भोपाल। MP urban body elections: मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण के मुद्दे पर पेंच फंसता दिखा रहा है, और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. दरअसल मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव पर जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए स्टे को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सरकार द्वारा दायर स्पेशल लीव याचिका (एसएलपी) को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है और याचिकाकर्ता मानवेंद्र सिंह तोमर को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है.

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हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने लगाया है स्टे (Gwalior Bench of High Court has imposed stay)

उल्लेखनीय है कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए सरकार ने जो आरक्षण व्यवस्था तय की थी, उसके खिलाफ अधिवक्ता मानवर्द्धन सिंह तोमर ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में मानवर्द्धन सिंह ने कहा था कि दो महापौर और 79 नगर पालिका अध्यक्ष पद पर रोटेशन प्रणाली का पालन नहीं किया गया है और इन सीटों पर लंबे समय से चले आ रहे आरक्षण को ही फिर से लागू कर दिया गया है. इस याचिका पर ग्वालियर बेंच ने भी माना कि रोटेशन प्रणाली का पालन होना चाहिए था और इस आधार पर हाईकोर्ट ने 12 मार्च 2021 को चुनाव पर स्टे कर दिया.

जबलपुर हाईकोर्ट ने बरकरार रखा स्टे (Jabalpur High Court upheld the stay)

हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार ने जबलपुर हाईकोर्ट का रुख किया. जहां सरकार ने जबलपुर हाईकोर्ट की प्रिसिंपल बेंच के सामने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छे 243 और नगर पालिका अधिनियम की धारा 29 के तहत नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद पर आरक्षण का अधिकार सरकार को दिया गया है. ऐसा नहीं है कि एक पद जो आरक्षित हो गया है, उसे दोबारा आरक्षित नहीं किया जा सकता. हालांकि जबलपुर हाईकोर्ट ने भी ग्वालियर बेंच के स्टे के फैसले को बरकरार रखा था.

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