भोपाल। देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की तैयारी शुरू हो गई है. चुनाव से पहले इस पर भी सियासी संग्राम शुरू हो गया है. विपक्ष ने इसे भाजपा का चुनावी षड़यंत्र बताया है. यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बयान दिया है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री का कहना है कि राज्य सरकार समान नागरिक कानून के लिए संकल्पित है. हर वर्ग के लिए एक देश में एक कानून जरूरी है. वहीं कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए इसे चुनावी कदम बताया है.
UCC पर मंत्री सारंग का बयान: मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि देश में एक संविधान एक नियम होना चाहिए. समान नागरिक संहिता आवश्यक भी है और महत्वपूर्ण भी है. आजादी के बाद कांग्रेस की सरकारों ने लगातार इस देश में इस तरह से अलग-अलग वर्गों के लिए अलग-अलग नियम बनाकर एकात्मता का जो सूत्र है, उसके खिलाफ काम किया है. कैबिनेट मंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि कॉमन सिविल कोड इस देश के लिए जरूरी है. इससे निश्चित रूप से सभी वर्गों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि इसके कानून के ड्राफ्ट के लिए जल्द एक्सपर्ट समिति समिति बनेगी. मंत्री सारंग ने कहा कि एमपी में जल्द ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा.
कांग्रेस ने बताया चुनावी मुद्दा: वहीं कांग्रेस को लगता है कि कॉमन सिविल कोड लागू करने से उसके वोट बैंक में काफी नुकसान होगा. लिहाजा कांग्रेस बीजेपी पर राजनीतिक षड़यंत्र का आरोप लगा रही है. कांग्रेस प्रवक्ता अजय यादव का कहना है कि बीजेपी को ये सब चुनाव के वक्त ही क्यों याद आता है. भाजपा इस तरह के मुद्दे लाकर देश को तोड़ना चाहती. यदि सरकार UCCC लाना चाहती है, तो उसके लिए खुलकर चर्चा होना चाहिए. यदि कोई ड्राफ्ट बनाया जा रहा है, तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए और कांग्रेस की राय भी लेनी चाहिए.
सीएम पहले ही सिविल कोड लागू करने कह चुके हैं: बता दें सीएम शिवराज पहले ही कह चुके हैं कि समान नागरिक संहिता लागू होना चाहिए. सीएम ने पहली बार आदिवासियों के बीच कहा था कि अब समय आ गया है कि देश में समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए. सीएम शिवराज ने सवाल किया था कि एक ही देश में दो विधान क्यों? समानता के लिए नागरिकों को एक समान अवसर मिलने चाहिए.
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क्या होगा समान नागरिक संहिता लाने से: समान नागरिक संहिता अगर लागू हो जाती है, तो धर्म के आधार पर निजी कानूनों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. फिर शादी हो या तलाक या फिर विरासत, विवाद सबके लिए कानून एक होगा. अभी तलाक, शादी और संपत्ति के वारिस को लेकर अलग-अलग कानून हैं. संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख किया गया है. यह संविधान के नीति निर्देशक सिद्धातों (डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी) के तहत उल्लिखित है. संविधान निर्माताओं ने यह उम्मीद की थी कि इस विषय पर जब पूरा देश एकमत हो जाएगा, फिर इसे लागू किया जाएगा. अभी शादी, तलाक और जमीन का बंटवारा या फिर वारिस को लेकर अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानून है. इस वजह से कोर्ट पर बोझ बढ़ता जा रहा है. अलग-अलग धर्मों में इन मामलों को लेकर अलग-अलग प्रावधान हैं, इसलिए इनसे उठे हुए विवाद सालों तक लटके रहते हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड इस समस्या का निदान कर देगा. इससे देश की एकता भी मजबूत होगी. हर व्यक्ति चाहे उसका धर्म जो भी हो, एक ही कानून से निर्देशित होगा. आम लोगों को कानूनों के मकड़जाल से मुक्ति मिल पाएगी. जटिल मुद्दे सरल हो जाएंगे. क्योंकि निजी कानून खत्म हो जाएंगे, इसलिए किसी के साथ भी कोई पक्षपात नहीं हो पाएगा.