भोपाल। बदलाव से गुजर रही बीजेपी में और भी बहुत कुछ बदल रहा है. बीजेपी नेताओं के अफसोस के साथ उनके आपसी खींचतान भी अब सतह पर आ रही है. कहीं खुलकर कही इशारों में. लेकिन चुनावी साल की शुरुआत नेताओं की बेबाकी बता रही है कि बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. नए साल की अगुवाई करते शिवराज का दोहराना कि सरकरा के काम अच्छे नहीं होते तो इतना विशाल बहुमत नहीं आता. इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय का पुतला फूंका जाना और गोपाल भार्गव का दर्द कि नौ बार का विधायक मुख्यमंत्री के बराबर ही होता है. क्या बीजेपी की खींचतान बाहर आने लगी है.
तो क्या बीजेपी में सब ठीक नहीं चल रहा: बीजेपी के फैसले जो नेता से पहले जनता को चौंका गये, उनके साइड इफेक्ट्स अब दिखाई देने लगे हैं. एमपी में मुख्यमंत्री पद का नाम घोषित किए जाने के बाद बीजेपी की हारी हुई सीटों का सीन बदलने निकले शिवराज का शांत बैठ जाना और फिर वीडियो जारी करके करके अपनी ताकत दिखाना. साल के आखिरी दिन जारी किए गए शिवराज सिंह चौहान के वीडियो में निशाने कई साधे गए. इशारों इशारों में शिवराज फिर बता गए कि एमपी में बीजेपी की सरकार को मिला बहुमत उन्हीं की देन है.
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वर्ष 2023 विदा ले रहा है और 2024 का आगमन हो रहा है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 31, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
नये वर्ष का स्वागत, लेकिन जब मैं पुराने की तरफ नजर डालता हूँ, तो मन आत्मसंतोष और आनंद से भर जाता है। भारतीय जनता पार्टी ने फिर विशाल बहुमत से अब तक का सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत लेकर मध्यप्रदेश में सरकार बनाई है। इसका यह सीधा अर्थ… pic.twitter.com/bYi80grpCJ
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— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 31, 2023
नये वर्ष का स्वागत, लेकिन जब मैं पुराने की तरफ नजर डालता हूँ, तो मन आत्मसंतोष और आनंद से भर जाता है। भारतीय जनता पार्टी ने फिर विशाल बहुमत से अब तक का सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत लेकर मध्यप्रदेश में सरकार बनाई है। इसका यह सीधा अर्थ… pic.twitter.com/bYi80grpCJवर्ष 2023 विदा ले रहा है और 2024 का आगमन हो रहा है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 31, 2023
नये वर्ष का स्वागत, लेकिन जब मैं पुराने की तरफ नजर डालता हूँ, तो मन आत्मसंतोष और आनंद से भर जाता है। भारतीय जनता पार्टी ने फिर विशाल बहुमत से अब तक का सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत लेकर मध्यप्रदेश में सरकार बनाई है। इसका यह सीधा अर्थ… pic.twitter.com/bYi80grpCJ
इस वीडियो में शिवराज कहते हैं अगर हमारी सरकार के काम अच्छे नहीं होते तो बीजेपी को जनता इतना विशाल बहुमत नहीं देती. उन्होंने फिर उस लाड़ली बहना योजना का भी जिक्र किया. जिसे एमपी में बीजेपी की बड़ी जीत की वजह बता रहे हैं. इस वीडियो में शिवराज कहते हैं मन संतोष से भरा है, लेकिन उनका वीडियो जारी कर ये कहना कि एमपी में सरकार के कामकाज की बदौलत बीजेपी की भारी बहुमत मिला. इस बात की तस्दीक है कि वो संतुष्ट नहीं हैं.
गोपाल भार्गव के दर्द को क्या समझा जाए: नौ बार के विधायक मंत्री पद पाने में भी नाकामयाब रहे. पहले दर्द सह लिया, अब कह लिया. अपने समर्थको के सामने सरेआम कहा कि समर्थक और मित्र पूछते हैं, मंत्री क्यों नहीं बने तो अटपटा लगता है. फिर खुद ही को हिम्मत दिलाकर कहते हैं. नौ बार का विधायक मुख्यमंत्री के बराबर होता है. कोई काम रुकेगा नहीं. गोपाल भार्गव ने सब कह भी दिया और यूं देखिए तो कुछ कहा भी नहीं. क्या ये असंतोष कोई नई शक्ल नहीं लेगा पार्टी के भीतर.
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नेता का पुतला कार्यकर्ता ने फूंका, ये गुस्सा कहां तक जाएगा: इंदौर की देपालपुर विधानसभा में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का पुतला फूंक दिया जाना, केवल बीजेपी के अनुशासन समिति तक पहुंचा एक मामला भर नहीं है. ये कैडर बेस्ड पार्टी के भीतर बहुत तेजी से खत्म हो रहा अनुशासन है. ये बयानी भी कि अब नेता कोई हो कार्यकर्ता भी यहां किसी एक्शन की रिएक्शन देने में बहुत देर नहीं लगाएगा. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं कि 'बीजेपी में कांग्रेस के मुकाबले रिएक्शन कम होते हैं. पार्टी के निर्णय शिरोधार्य होते है, लेकिन सत्ता का संक्रमण भी तो है. व्यक्तिगत अपेक्षाएं भी हैं. जो इस तरह से बाहर आती हैं. अब ये कितनी आगे तक जाएगी, अभी कह पाना बहुत मुश्किल है. लेकिन बीजेपी संगठन की खासियत ये है कि उसके निर्णय केवल शिरोधार्य करने के लिए ही होता है. जो निर्णय के खिलाफ जाते हैं वो पार्टी में किनारे हो जाते हैं.