भोपाल। गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर बीजेपी के गलियारों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है. 2023 में क्या एमपी में बीजेपी ने मुख्यमंत्री के चेहरे को बदलने का प्लान बना लिया है. ये अटकलें अमित शाह के उस बयान पर लगाई जाने लगी हैं जिसमे उन्होंने कहा कि ''शिवराज तो सीएम हैं, लेकिन पार्टी का काम आप लोग क्यों करने लगे, पार्टी का काम पार्टी करेगी.'' उन्होंने कहा कि ''मेरा अनुरोध है कि मोदी शिवराज के नेतृत्व में जो काम हुआ है, उसे जनता तक पहुंचाइये.''
2018 की हार का कारण तो नहीं: दरअसल सूत्रों की माने तो भाजपा सहित अन्य सर्वे बता रहे हैं कि शिवराज सिंह के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी बहुत ज्यादा है. मुख्यमंत्री को बदलने की अटकलें पिछले कई महीने से चल रही हैं. इस बीच कांग्रेस भी कहने लगी है कि शिवराज मामा का चेहरे अब लोगों को उबाऊ लगने लगा है. मध्यप्रदेश के जो इंडीकेटर्स है सोशल, आपराधिक, विकास के आकंड़े, ये सब बता रहे हैं कि अब जनता ने शिवराज सरकार को हटाने का मन बना लिया है.
शिवराज ने पसंदीदा लोगों को बांटे टिकट: दरअसल 2018 में बीजेपी का वोट प्रतिशत कांग्रेस के वोट प्रतिशत से ज्यादा था, लेकिन उसे सीटें कम मिली. जिसके चलते सत्ता से बाहर होना पड़ा. हार के कारणों का विश्लेषण किया गया, पार्टी की हार की वजह टिकट वितरण माना गया. पार्टी के लोग दबी जुबान में बोलने लगे कि शिवराज सिंह चौहान ने कई टिकट मना करने के बाद भी बांटे और ये कहा कि उनकी पसंद के प्रत्याशियों को वो जिता कर लाएंगे, लेकिन जिस तरह से उनकी पसंद के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा, पार्टी की हार के लिए ये फैक्टर भी जिम्मेदार माना गया.
वरिष्ठ पत्रकार उमाशरण दुबे का कहना है कि ''अमित शाह ने 2018 में भी चुनावी बैठकें ली और अब जब 2023 में चुनाव हैं तो उन्होंने सीधे चुनावी कमान अपने हाथ में ले ली है, सभी मुद्दों पर बारीकी से चर्चा हो रही है. अमित शाह ने जो बोला है सोच समझकर बोला है, वो इसलिए कि समय-समय पर सीएम के चेहरे को बदलने की अटकलें उठती रही हैं और 2023 में शिवराज ही मुख्यमंत्री होंगे ये जरूरी नहीं है. इससे अमित शाह ने एक बैलेंस बनाने की कोशिश की है, कि आप मेहनत करिये, आपको भी मौका मिल सकता है. उनका बयान एमपी बीजेपी के लिए काफी मायने रख रहा है.''
क्या एमपी में सीएम चेहरा बदलेगा: पिछले 18 सालों से शिवराज सिंह मुख्यमंत्री हैं, उनकी सोशल इंजीनियरिंग का जादू लोगों पर बोलता है. हर रिश्ते में वे खुद को जोड़ लेते हैं. शिवराज सिंह लड़कियों में, महिलाओं में, युवाओं और बुजुर्गों में खासे लोकप्रिय हैं. लेकिन सवाल 2018 की हार से खड़े हो गए हैं. अब 2023 में सीन बिलकुल बदल गया है, चुनाव की कमान बीजेपी में अपने हाथ में ले रखी है. ऐसे में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ये बीजेपी हाईकमान तय करेगी.
सीएम चेहरे पर खूब चला था मंथन: दोबारा बीजेपी ने सरकार बनाई तो शिवराज के चहरे पर आम सहमति नहीं बनी थी, लेकिन तब कोरोना प्रदेश में फैला हुआ था और ऐसी स्थिति में पीएम नरेंद्र मोदी ने शिवराज सिंह पर भरोसा जताते हुए कहा कि ''उनका पुराना अनुभव है, लिहाजा शिवराज ही मुख्यमंत्री होंगे.'' बता दें कि एमपी में पिछड़े वर्ग का प्रतिशत तकरीबन 52 है, शिवराज भी पिछड़े वर्ग से आते हैं, ये उनके लिए एक पॉजिटिव फैक्टर है.
जनआशीर्वाद यात्रा का फॉरमेट भी बदल दिया: 2008 से लेकर 2018 तक शिवराज सिंह ही जनआशीर्वाद यात्रा का मुख्य चेहरा हुआ करते थे, लेकिन अब हाई कमान ने इस फॉरमेट में बदलाव किया और इस बार अलग अलग चित्रों के हिसाब से वहां के स्थानीय लीडर्स को प्राथमिकता दी गई है. इसके मायने साफ है कि केंद्रीय नेतृत्व भी एक चेहरे पर नहीं बल्कि स्थानीय गणित को देखते हुए अपनी सियासी गोटियां बैठा रहा है.
पीएम मोदी के सहारे प्रदेश बीजेपी: बीजेपी सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश में जो चुनाव हो रहे हैं वह पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़े जाएंगे. हर बड़े कार्यक्रम में पीएम मोदी को न्योता दिया जाता है और हमने देखा कि वह बड़े कार्यक्रमों में मध्यप्रदेश में शिरकत भी करते हैं. यानी साफ है कि उनकी योजनाओं के बलबूते फिर बीजेपी मध्य प्रदेश में सत्ता में काबिज होना चाहती है. मामला हाई कमान से जुड़ा हुआ है, 2023 में कौन होगा मुख्यमंत्री इसे लेकर बीजेपी नेता बचते नजर आ रहे हैं.