भोपाल। भारत में पिछले कुछ सालों में तेजी से क्रॉनिक किडनी रोग यानी गुर्दे खराब होने की समस्या के मामले तेजी से बढ़े हैं. स्पेशलिस्ट मानते हैं जितने मरीज डाइबिटीज़ और ब्लड प्रेशर के बढ़े है, उतना ही इजाफा किडनी के मरीजों का भी हुआ है. भारत में पिछले कुछ वर्षों में किडनी से संबंधित समास्याए तेजी से बढ़ी है और किडनी के मरीजों में पिछले पांच सालों में तेजी से इजाफा हुआ है.
टाइम-टाइम पर कराए टेस्ट
स्पेशलिस्ट का मानना है कि ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, एथरोस्क्लेरोटिक हार्ट रोग, पेरीफेरल वैस्कुलर रोग, किडनी फेलियर का उनका परिवारिक इतिहास है, तो उनमें गुर्दा खराब होने का खतरा काफी ज्यादा होता है. गुर्दा खराब होने के शुरुआती चरण में कोई भी लक्षण सामने आता नहीं, यह साइलेंट रहता है, यही वह चरण होता है जब बीमारी का इलाज पूरी तरह संभव होता है. ऐसे में शुरुआती दौर में जांच और इलाज बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. इसीलिए डॉक्टर्स यह सजेशन देते हैं कि हमें समय-समय पर अपने टेस्ट करवाते रहना चाहिए, जिससे हमें अपने बॉडी के अंदर होने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी मिलती रहे.
किडनी ट्रांसप्लांट की स्थिति
किडनी स्पेशलिस्ट डॉक्टर गोपेश के मोदी बताते हैं किडनी ट्रांसप्लांट के केसेस भारत मे तेजी से बढ़े हैं. क्योंकि आज कल ज़्यादातर लोगों में किडनी की समास्याएं देखने को मिलती हैं. उन्होंने बताया किडनी ट्रांसप्लांट में प्राथमिकता फैमिली मेंबर्स की होती है. डोनर फैमिली मेंबर ही हो तो बेहतर होता है. गोपेश मोदी बताते है कि अब किडनी ट्रांसप्लांट बहुत सक्सेस है. भारत में अब यह एक कॉमन प्रोसीजर हो गई है. जैसे जैसे किडनी से संबंधित समास्याएं बढ़ी है, वैसे-वैसे ट्रांसप्लांट के केसेस भी बढ़े हैं
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कोरोना में बंद किया गया था ट्रांसप्लांट
किडनी स्पेशलिस्ट डॉक्टर गोपेश मोदी ने बताया किडनी ट्रांसप्लांट एक मेजर ऑपरेशन है. ऐसे में कोरोना के चलते इसको लेकर काफी सावधानियां बरती गई है. उन्होंने कहा करोना काल में ट्रांसप्लांट पूरी तरह से बंद कर दिया गया था, क्योंकि कोरोना के चलते अगर ट्रांसप्लांट किया जाता तो इस इंफेक्शन का बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता. उन्होंने बताया क्योंकि कोरोना एक इंफेक्शन है, ऐसे में अगर किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता, तो डोनर और पेशेंट दोनों को इसका खतरा होता क्योंकि ट्रांसप्लांट जैसी प्रोसीजर में किसी भी इंफेक्शन का फैलना बहुत आसान हो जाता है. उन्होंने बताया कोरोना काल के चलते पिछले आठ महीने तक ट्रांसप्लांट पूरी तरह से बंद था. अब जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ है, तो ट्रांसप्लांट धीरे-धीरे नॉर्मल प्रोसीजर में आ गया है.
भोपाल के इन अस्पतालों में उपलब्ध है डायलिसिस यूनिट
नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर हिमांशु शर्मा बताते हैं कि राजधानी भोपाल में डायलिसिस की व्यवस्था अब दुरुस्त हो गई है. भोपाल के सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस उपलब्ध है. भोपाल के गांधी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, कमला नेहरू अस्पताल, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल में डाइलिसिस यूनिट मरीजों के लिए उपलब्ध है और इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी डायलिसिस उपलब्ध है. जिसमें कई सारे मरीज आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ लेकर इलाज करवा रहे हैं. किडनी के मरीजों की बढ़ती संख्या पर डॉक्टर हिमांशु का मानना है किडनी के मरीजों का अनुपात आज डाइबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों के सामान हो गया है. जितने मरीज डाइबिटीज और ब्लड प्रेशर के हैं उतने ही मरीज आज किडनी के भी हैं, क्योंकि डाइबिटीज और ब्लड प्रेशर ये दो बीमारियां किडनी के मरीजों का 95% कारण होती है.