भोपाल। कार्तिक में पूर्णिमा पर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का अधिक महत्व रहता है. ऐसे में देश की सबसे पवित्र नदियां मां गंगा, यमुना और गोदावरी के पवित्र नदियों में स्नान करने की सनातनी परंपरा है. एमपी में भी मां नर्मदा समेत कई पवित्र नदियां हैं, जिनका स्नान करने से स्वास्थ्य की रक्षा और मन स्वस्थ रहता है. फिर भी माघ, वैशाख और कार्तिक मास में इनका महत्व है.
एपमी में बहने वाली इन नदियों में करे स्नान: प्रदेश में 19 समेत कई नदियां जो पवित्र हैं. लेकिन हम प्रमुखता से कुछ खास नदियों में स्नान करने की जानकारी दे रहे हैं. अमरकंट से बहने वाली नदी मां नर्मदा प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है. इसमें स्नान करना चाहिए. इसी महू से निकलने वाले चंबल नदी में स्नान करना चाहिए. बैतूल के मुल्ताई से ताप्ती नदी में स्नान करना चाहिए. अनूपपुर जिले से निकलने वाली ताप्ती नदी, सोन नदी, बेतवा नदी, तवा नदी, उज्जैन स्थित तवा नदी, बेनगंगा नदी, केन नदी, सिंध नदी, काली सिंध नदी, गार नदी, छोटी तवा, वर्धा नदी, कुंवारी नदी, पार्वती, कुनू, धसान, टोंस नदी, माही नदी, कन्हान और पेंच नदी में स्नान करना चाहिए.
क्या है मान्यता: मान्यता है कि भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. उनके रहने का स्थान जल ही थी. भगवान विष्णु ने ये अवतार राक्षस हायग्रीव का वध करने के लिए लिया था. हायग्रीव ने चारों वेदों को चुरा था, और समुद्र की गहराई में छिपा दिया था. इसके संसार की प्राकृतिक व्यवस्था में व्यवधान आया था. परंपरा अनुसार स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इनके अलावा बड़े यज्ञ करने से जो फल मिलता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए.
इससे पुण्य प्राप्त होता है. साथ ही भगवान विष्णु की कृपा मिलती है. साथ ही इससे जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. कार्तिक स्नान का व्रत शरद पूर्णिा से शुरू होता है, और कार्तिक शुक्ल की पूर्णिमा को संपन्न करना चाहिए. परंपरा अनुसार इस दिन भगवान का भजन कर व्रत किया जाता है. साथ ही शाम के समय देव मंदिरों, गलियों चौराहों, पीपल के पेड़ और तुलसी के पौधे पर दीपक जलाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी करना चाहिए. इस बार स्नान दान की पूर्णिमा 27 नवंबर को होगी.