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कमलनाथ सरकार ने बंद किया 12 साल पुराना राज्य कृषक आयोग, कृषि सलाहकार परिषद का होगा गठन - कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव

कमलनाथ सरकार ने 12 साल पुराना राज्य कृषक आयोग को बंद कर दिया है. सरकार एक परिषद बनाने जा रही है.  जिसमें कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ, किसान नेता और कई कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक व जानकारों को शामिल किया जाएगा.

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Published : Jul 13, 2019, 7:15 PM IST

भोपाल। कमलनाथ सरकार ने 12 साल पुराना राज्य कृषक आयोग को बंद कर दिया है. सरकार एक कृषि परिषद बनाने जा रही है. जिसमें कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ, किसान नेता और कई कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक व जानकारों को शामिल किया जाएगा. बता दें इस आयोग का गठन शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में किया गया था.


कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि पिछली सरकार द्वारा बनाया गया कृषक आयोग सिर्फ खानापूर्ति के था. उससे किसानों की ना तो समस्याओं का हल हुआ और न ही उन्हें कोई लाभ मिला है. कृषक आयोग होते हुए किसानों को गोली मार दी गई. लेकिन सरकार उन्हें न्याय नहीं दिला पाई. लिहाजा आयोग को बंद कर हमारी सरकार एक परिषद बनाने जा रही है.

राज्य कृषक आयोग हुआ बंद


जिसमें कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ, किसान नेता, कई कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक और जानकारों को शामिल किया जाएगा. जिससे किसानों को लाभ होगा और उनकी समस्याएं सही मायनों में हल हो सकेगी. अजय सिंह यादव ने कहा कि यह सरकार खानापूर्ति नहीं बल्कि काम करना चाहती है. कमलनाथ सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने तो खुशी जताई है. वहीं किसान संगठनों ने भी इस फैसले पर खुशी जताई है.


किसान संगठनों का कहना है कि शिवराज सिंह द्वारा गठित किया गया आयोग सिर्फ नाम का आयोग था. इसलिए कमलनाथ सरकार का आयोग को भंग कर परिषद बनाने का फैसला स्वागत योग्य है. वहीं इस मामले में किसान यूनियन के नेता अनिल यादव ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहा है. वहीं अनिल यादव ने कहा कि संगठन के जो नेता परिषद में आएंगे, वे ईमानदारी से किसान में हित में करें. लेकिन वे सरकार और पार्टी की भाषा बोलने लगेंगे तो परिषद का कोई मतलब नहीं है.

भोपाल। कमलनाथ सरकार ने 12 साल पुराना राज्य कृषक आयोग को बंद कर दिया है. सरकार एक कृषि परिषद बनाने जा रही है. जिसमें कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ, किसान नेता और कई कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक व जानकारों को शामिल किया जाएगा. बता दें इस आयोग का गठन शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में किया गया था.


कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि पिछली सरकार द्वारा बनाया गया कृषक आयोग सिर्फ खानापूर्ति के था. उससे किसानों की ना तो समस्याओं का हल हुआ और न ही उन्हें कोई लाभ मिला है. कृषक आयोग होते हुए किसानों को गोली मार दी गई. लेकिन सरकार उन्हें न्याय नहीं दिला पाई. लिहाजा आयोग को बंद कर हमारी सरकार एक परिषद बनाने जा रही है.

राज्य कृषक आयोग हुआ बंद


जिसमें कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ, किसान नेता, कई कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक और जानकारों को शामिल किया जाएगा. जिससे किसानों को लाभ होगा और उनकी समस्याएं सही मायनों में हल हो सकेगी. अजय सिंह यादव ने कहा कि यह सरकार खानापूर्ति नहीं बल्कि काम करना चाहती है. कमलनाथ सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने तो खुशी जताई है. वहीं किसान संगठनों ने भी इस फैसले पर खुशी जताई है.


किसान संगठनों का कहना है कि शिवराज सिंह द्वारा गठित किया गया आयोग सिर्फ नाम का आयोग था. इसलिए कमलनाथ सरकार का आयोग को भंग कर परिषद बनाने का फैसला स्वागत योग्य है. वहीं इस मामले में किसान यूनियन के नेता अनिल यादव ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहा है. वहीं अनिल यादव ने कहा कि संगठन के जो नेता परिषद में आएंगे, वे ईमानदारी से किसान में हित में करें. लेकिन वे सरकार और पार्टी की भाषा बोलने लगेंगे तो परिषद का कोई मतलब नहीं है.

Intro:भोपाल। शिवराज सिंह ने अपने पहले कार्यकाल में 2006 में राज्य कृषक आयोग का गठन किया था। लेकिन कमलनाथ सरकार अब इस राज्य कृषक आयोग को बंद करने जा रही है। कमलनाथ सरकार राज्य कृषक आयोग की जगह मप्र कृषि सलाहकार परिषद का गठन करेगी। इस समिति में किसान संगठन, कृषि विशेषज्ञ और कृषि विभाग से जुड़े अधिकारी सदस्य रहेंगे। कमलनाथ सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने तो खुशी जताई है। वहीं किसान संगठनों ने भी इस फैसले पर खुशी जताई है। किसान संगठनों का कहना है कि शिवराज सिंह द्वारा गठित किया गया आयोग सिर्फ नाम का आयोग था ना काम का। इसलिए कमलनाथ सरकार का आयोग को भंग कर परिषद बनाने का फैसला स्वागत योग्य है।


Body:खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए शिवराज सिंह ने अपने पहले मुख्यमंत्रित्व काल में 2006 में राज्य कृषक आयोग का गठन किया था। हालांकि राज्य कृषक आयोग के गठन के समय कई कामकाज बताए गए थे। लेकिन आयोग ने किसानों के हित में कोई महत्वपूर्ण काम नहीं किया। अब कमलनाथ सरकार ने राज्य कृषक आयोग को बंद कर मप्र कृषि सलाहकार परिषद का गठन करने का फैसला लिया है। परिषद के गठन के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय में तैयारियां तेज भी हो गई हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय ने तय किया है कि इस परिषद में किसान संगठनों के पदाधिकारी, कृषि विशेषज्ञ और कृषि विभाग के अधिकारी रहेंगे। राज्य सरकार का मानना है कि राजनीतिक व्यक्ति को परिषद में रखने की जगह किसानों के हित में लड़ने वाले संगठन के पदाधिकारियों को जगह देनी चाहिए। ताकि किसानों के हित में काम हो सके।


Conclusion:इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि पिछली सरकार द्वारा बनाया गया कृषक आयोग सिर्फ खानापूर्ति के लिए बनाया गया था।उससे किसानों की ना तो समस्याओं का हल हुआ ना उन्हें कोई लाभ मिला। कृषक आयोग होते हुए किसानों को गोली मार दी गई। लेकिन सरकार उन्हें न्याय नहीं दिला पाई। इसलिए आयोग को बंद कर हमारी सरकार एक परिषद बनाने जा रही है। जिसमें कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ,किसान नेता,विभिन्न कृषि संस्थानों के वैज्ञानिक और जानकारों को शामिल किया जाएगा, जिससे किसानों को लाभ होगा और उनकी समस्याएं सही मायनों में हल हो सकेंगी। यह सरकार काम करना चाहती है, खानापूर्ति करना नहीं चाहती है।

वहीं इस मामले में किसान यूनियन के नेता अनिल यादव का कहना है कि पिछला जो आयोग था,वो काम नहीं कर रहा था और निष्क्रिय पड़ा था। मैं मुख्यमंत्री का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने इस दिशा में सोचा और आयोग को खत्म कर परिषद गठन करने का फैसला लिया। साथ ही उन लोगों को परिषद में शामिल करने का फैसला लिया,जो किसानों के हित में काम कर रहे हैं। अब किसान संगठन के जो नेता परिषद में आएंगे, वह ईमानदारी से किसान हित में काम करेंगे,यह पहली प्राथमिकता होना चाहिए। लेकिन अगर वह सरकार और पार्टी की भाषा बोलने लगे, तो इस परिषद का कोई मतलब नहीं है। जैसा शिवराज सिंह के समय चल रहा था कि आयोग जरूर गठित किया गया था, लेकिन पता नहीं था कि आयोग क्या और कहां काम कर रहा है।
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