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MP में बनेगा देश का पहला एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम, मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने की कवायद

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Published : Oct 9, 2020, 2:53 PM IST

देश का पहला एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम मध्यप्रदेश में बनाया जा रहा है, जिससे हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को विशेष स्वास्थ्य सुविधाएं और लाभ मिलेगा. साथ ही प्रदेश में बढ़े मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकेगा.

Unified Command Control Room
एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम

भोपाल। मध्यप्रदेश स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से ऐसे प्रदेशों में आता है, जहां बहुत सी खामियां अब भी देखी जाती है. अगर बात गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की करें, तो प्रदेश में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में काफी इजाफा हुआ है. जिसे देखते हुए मध्यप्रदेश में देश का पहला एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है, जिससे हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को विशेष लाभ और सुविधाएं मिलेंगी.

MP में बनेगा एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम

प्रदेश में ऊंचे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालिका छवि भारद्वाज का कहना है कि प्रदेश की करीब 70 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं. ये एनीमिक महिलाएं गर्भावस्था में जाती है, तो उनमें बहुत तरह के रिस्क फैक्टर होते है, जिसके कारण उनकी और बच्चे की जान को खतरा होता है.

हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का हो सही इलाज

प्रदेश में IMR और MMR के जो रेट्स है वो काफी हाई हैं, जिसे कम करने के लिए बहुत जरूरी है कि प्रत्येक गर्भवती महिला को शुरुआत से ही हाई रिस्क में चिन्हित कर उन्हें सही इलाज दें. कई सारी हाइपर टेंशन महिलाएं होती हैं, अगर उन्हें सही समय पर सही उपचार दें तो उनके सुरक्षित प्रसव की स्थिति सुनिश्चित कर सकते हैं.

एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम की स्थापना

एनीमिक गर्भवती महिलाओं के लिए प्रदेश में एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम बनाया जाएगा. जिसके संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज का कहना है कि एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम बनाने का उद्देश्य मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करना, समय रहते हाई रिस्क महिलाओं की पहचान कर उनका समयबद्ध तरीके से प्रबंधन करना, समस्याओं का निराकरण करना है. इन सभी प्रक्रिया को सुरक्षित मातृत्व आश्वासन प्रोग्राम 'सुमन' नाम दिया गया है.

ऐसा होगा एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम

एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम में 15 शीटर कॉल सेंटर होगा, जहां रिप्रोडक्टिव चाइल्ड हेल्थ पोर्टल में प्रदेश की सभी गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. साथ ही उनकी जांच की जानकारी दी जाएगी. इसकी सहायता से डॉक्टर चिन्हित कर पाएंगे कि किस जिले में, किस ब्लॉक में कितनी हाई रिस्क महिलाएं हैं. इस कॉल सेंटर से उन महिलाओं को कॉल किया जाएगा और समय-समय पर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली जाएगी.

हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान

उन्होंने कहा कि इस कंट्रोल रूम के जरिए स्वास्थ्य अमला सभी स्तर पर हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के ऊपर ध्यान देगा, जिससे उनका जो एनीमिया का स्तर है और कोई भी अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है, उससे उनकी गर्भावस्था में कोई दिक्कत ना हो. प्रदेश में हर साल करीब 20 लाख महिलाएं गर्भवती होती हैं और करीब 16 लाख बच्चों का जन्म होता है. उन्हें स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित रखा जा सके यही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का उद्देश्य है.

एक नजर आंकड़ों पर

हेल्थ बुलेटिन अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के मुताबिक 13 लाख 75 हजार 378 प्रसव में दो हजार तीन महिलाओं की मौत हुई है. वहीं 13 लाख 59 हजार 459 जन्में बच्चों में से 31 हजार 944 नवजातों की मौत हुई है.

ये भी पढ़े- सांची में चौधरी VS चौधरी, 'गौरी' तय करेंगे 'प्रभु' का भविष्य

जन्म के समय लिंगानुपात

जन्म के समय लिंगानुपात में 6 लाख 57 हजार 358 बालिकाओं का जन्म और 7 लाख दो हजार 101 बालकों का जन्म हुआ है. इन आंकड़ों के मुताबिक एक हजार लड़कों में 936 लड़कियों का लिंगानुपात है.

मार्च 2017 से मार्च 2018 के अनुसार

13 लाख 34 हजार 65 प्रसव में से 1897 महिलाओं की मौत हुई है. वहीं 13 लाख 19 हजार 807 जन्मे बच्चों में से 27 हजार 560 नवजातों की मौत हुई है.

ये भी पढे़- बेरोजगारी ने उच्च शिक्षित युवाओं को बनाया आत्मनिर्भर, शुरू किया रूफटॉप रेस्टोरेंट

साल 2017-18 और 2018-19 में प्रदेश में बढ़ रही मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर की तुलना की जाए तो साल 2018-19 में मौतों का आंकड़ा बढ़ा है. जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मिलकर इसे कम करने की कवायद में लगे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश देश में ऐसा पहला राज्य है, जहां केवल गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए इस तरह का एक एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है.

भोपाल। मध्यप्रदेश स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से ऐसे प्रदेशों में आता है, जहां बहुत सी खामियां अब भी देखी जाती है. अगर बात गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की करें, तो प्रदेश में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में काफी इजाफा हुआ है. जिसे देखते हुए मध्यप्रदेश में देश का पहला एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है, जिससे हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को विशेष लाभ और सुविधाएं मिलेंगी.

MP में बनेगा एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम

प्रदेश में ऊंचे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालिका छवि भारद्वाज का कहना है कि प्रदेश की करीब 70 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं. ये एनीमिक महिलाएं गर्भावस्था में जाती है, तो उनमें बहुत तरह के रिस्क फैक्टर होते है, जिसके कारण उनकी और बच्चे की जान को खतरा होता है.

हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का हो सही इलाज

प्रदेश में IMR और MMR के जो रेट्स है वो काफी हाई हैं, जिसे कम करने के लिए बहुत जरूरी है कि प्रत्येक गर्भवती महिला को शुरुआत से ही हाई रिस्क में चिन्हित कर उन्हें सही इलाज दें. कई सारी हाइपर टेंशन महिलाएं होती हैं, अगर उन्हें सही समय पर सही उपचार दें तो उनके सुरक्षित प्रसव की स्थिति सुनिश्चित कर सकते हैं.

एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम की स्थापना

एनीमिक गर्भवती महिलाओं के लिए प्रदेश में एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम बनाया जाएगा. जिसके संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज का कहना है कि एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम बनाने का उद्देश्य मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करना, समय रहते हाई रिस्क महिलाओं की पहचान कर उनका समयबद्ध तरीके से प्रबंधन करना, समस्याओं का निराकरण करना है. इन सभी प्रक्रिया को सुरक्षित मातृत्व आश्वासन प्रोग्राम 'सुमन' नाम दिया गया है.

ऐसा होगा एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम

एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम में 15 शीटर कॉल सेंटर होगा, जहां रिप्रोडक्टिव चाइल्ड हेल्थ पोर्टल में प्रदेश की सभी गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. साथ ही उनकी जांच की जानकारी दी जाएगी. इसकी सहायता से डॉक्टर चिन्हित कर पाएंगे कि किस जिले में, किस ब्लॉक में कितनी हाई रिस्क महिलाएं हैं. इस कॉल सेंटर से उन महिलाओं को कॉल किया जाएगा और समय-समय पर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली जाएगी.

हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान

उन्होंने कहा कि इस कंट्रोल रूम के जरिए स्वास्थ्य अमला सभी स्तर पर हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के ऊपर ध्यान देगा, जिससे उनका जो एनीमिया का स्तर है और कोई भी अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है, उससे उनकी गर्भावस्था में कोई दिक्कत ना हो. प्रदेश में हर साल करीब 20 लाख महिलाएं गर्भवती होती हैं और करीब 16 लाख बच्चों का जन्म होता है. उन्हें स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित रखा जा सके यही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का उद्देश्य है.

एक नजर आंकड़ों पर

हेल्थ बुलेटिन अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के मुताबिक 13 लाख 75 हजार 378 प्रसव में दो हजार तीन महिलाओं की मौत हुई है. वहीं 13 लाख 59 हजार 459 जन्में बच्चों में से 31 हजार 944 नवजातों की मौत हुई है.

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जन्म के समय लिंगानुपात

जन्म के समय लिंगानुपात में 6 लाख 57 हजार 358 बालिकाओं का जन्म और 7 लाख दो हजार 101 बालकों का जन्म हुआ है. इन आंकड़ों के मुताबिक एक हजार लड़कों में 936 लड़कियों का लिंगानुपात है.

मार्च 2017 से मार्च 2018 के अनुसार

13 लाख 34 हजार 65 प्रसव में से 1897 महिलाओं की मौत हुई है. वहीं 13 लाख 19 हजार 807 जन्मे बच्चों में से 27 हजार 560 नवजातों की मौत हुई है.

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साल 2017-18 और 2018-19 में प्रदेश में बढ़ रही मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर की तुलना की जाए तो साल 2018-19 में मौतों का आंकड़ा बढ़ा है. जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मिलकर इसे कम करने की कवायद में लगे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश देश में ऐसा पहला राज्य है, जहां केवल गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए इस तरह का एक एकीकृत कमांड कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है.

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