भोपाल। कोरोना वायरस को भारत में दस्तक दिए 5 महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है. कोरोना कहर के बाद किए गए लॉकडाउन ने तीन महीने पूरे किए और अब अनलॉक चल रहा है. इन पांच महीनों में तेजी से गिरती अर्थव्यवस्था से लोगों की जिंदगी भी पूरी तरह बदल गई. बड़े उद्योगधंधों से लेकर छोटे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान हुआ है. स्कूल कॉलेज बंद होने से किराए पर हॉस्टल चलाने वाले लोगों के हालत भी बेहाल है. यही वजह है कि राजधानी भोपाल में आधे से ज्यादा प्राइवेट हॉस्टल बंद हो चुके हैं.
भोपाल की बात करें तो यहां करीब 1 हजार से ज्यादा प्राइवेट हॉस्टल्स हैं, लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही ये बंद पड़े हैं. इस वक्त ऐसे इक्का दुक्का ही हॉस्टल संचालित हो रहे हैं, जिनमें वो छात्र रहते हैं, जो कहीं या तो जॉब करते हैं या फिर इंटरर्नशिप कर रहे हैं. ऐसे में हॉस्टल संचलाकों को बड़ा नुकसान हुआ है और उनके सामने बिल्डिंग का किराया देने की परेशानी भी खड़ी हो गई है.
हॉस्टल की बिल्डिंग की कीमत 25 हजार से कम नहीं होती. लिहाजा लॉकडाउन के दौरान आय के साधन बंद हो जाने से कईयों ने तो हॉस्टल ही बंद कर दिए हैं, जबकि जो हॉस्टल ओपन हैं, उन्हें घर से किराया देना पड़ रहा है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद से ही सभी छात्र अपने-अपने घर पर हैं और न तो फीस दे रहें और न वापस आ रहे हैं, जबकि उनका सामान हॉस्टल में ही रखा है.
हॉस्टल संचालकों के सामने कई समस्याएं
हॉस्टल चलाने वालों की मानें तो जिनके पास खुद की बिल्डिंग है उन्हें थोड़ी राहत है, क्योंकि बिल्डिंग का किराया नहीं देना पड़ता, जबकि जो किराए पर बिल्डिंग लिए हैं उनके सामने किराया देने की परेशानी है. कुछ हॉस्टल में लड़कियां रहती तो हॉस्टल बंद नहीं कर सकते. इसलिए हॉस्टल की साफ सफाई के लिए रखे गए कर्मचारियों और वॉर्डन की सैलरी और दूसरे खर्चे भी संचालकों को उठाने पड़ रहे हैं.
कई लोगों ने बंद कर दिए हॉस्टल
7 हॉस्टल चलाने वाले प्रखर ने बताया लॉकडाउन के पहले सातों हॉस्टल भरे हुए थे, एक भी बेड खाली नहीं था, लेकिन लॉकडाउन के बाद 2 महीने में ही सारे बच्चे अपने घर चले गए. बढ़ते कोरोना के मामलों को देख जो उम्मीद थी वो भी टूट गई. ऐसे में होस्टल को बंद करना ही बेहतर लगा, इसी तरह कई लोगों ने हॉस्टल बंद कर दिए.
शैक्षणिक संस्थान बंद होने से सबकुछ ठप
ऐसे में बड़ा सवाल है कि जब स्कूल-कॉलेज वापस शुरू होंगे तब लॉकडाउन के दौरान बंद हुए हॉस्टल में रहने वाले बच्चे कहां जाएंगे. भोपाल में हॉस्टल की फीस 5 हजार से शुरू होकर 10 हजार तक रहती है. सविधा के हिसाब से हॉस्टल फीस वसूलते हैं, लेकिन कोरोनाकाल में संचालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. इन दिनों बड़ी संख्या में हॉस्टल में एडमिशन होते थे, लेकिन शैक्षणिक संस्थान बंद होने से सबकुछ ठप पड़ा हुआ है.