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MP High Court बीएमसी के नाम परमिट पर संचालित बसों में टैक्स चोरी पर हाईकोर्ट सख्त, कई अफसरों को नोटिस जारी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल नगर निगम के नाम जारी परमिट पर शहर के बाहर संचालित हुई बसों से करोड़ों की टैक्स चोरी होने का आरोप लगाने वाले मामले को काफी गंभीरता से लिया. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर (Notice issued many officers) जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी को निर्धारित की है.

Notice issued many officers
बीएमसी के नाम परमिट पर संचालित बसों में टैक्स चोरी
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Published : Nov 26, 2022, 7:54 PM IST

जबलपुर। यह जनहित का मामला भोपाल के आरटीआई एक्टिविस्ट भूपेन्द्र कुमार जैन की ओर से दायर किया गया है. जिसमें कहा गया है कि भोपाल परिवहन विभाग ने नगर निगम के नाम परमिट जारी किया था, जिसमें बस सर्विस का ठेका मेसर्स कैपिटल रोडवे एंड फाइनेंस लिमिटेड को दिया गया था. आरोप है कि उक्त ठेका सिटी में बसों के संचालन के लिये था, लेकिन बसों का संचालन शहर से बाहर कर आर्थिक लाभ उठाया गया. आरोप है कि उक्त पूरे मामले में करोड़ों का घोटाला हुआ, जिसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों को दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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ठोस कार्रवाई नहीं होने का हवाला : इस मामले में न्यायालय ने कार्रवाई के निर्देश दिये थे, जिस पर अनावेदकों की ओर से टैक्स वसूले जाने का जवाब दिया गया था. लेकिन अब तक उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई और न ही टैक्स की वसूली की गई. इस मामले में प्रमुख सचिव परिवहन विभाग, परिवहन आयुक्त, उप परिवहन अधिकारी, सचिव स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी, आरटीओं भोपाल, निगामायुक्त भोपाल व मेसर्स कैपिटल रोडवे एंड फाइनेंस लिमिटेड को पक्षकार बनाया गया है. मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता बृजेश कुमार दुबे ने पक्ष रखा.

जबलपुर। यह जनहित का मामला भोपाल के आरटीआई एक्टिविस्ट भूपेन्द्र कुमार जैन की ओर से दायर किया गया है. जिसमें कहा गया है कि भोपाल परिवहन विभाग ने नगर निगम के नाम परमिट जारी किया था, जिसमें बस सर्विस का ठेका मेसर्स कैपिटल रोडवे एंड फाइनेंस लिमिटेड को दिया गया था. आरोप है कि उक्त ठेका सिटी में बसों के संचालन के लिये था, लेकिन बसों का संचालन शहर से बाहर कर आर्थिक लाभ उठाया गया. आरोप है कि उक्त पूरे मामले में करोड़ों का घोटाला हुआ, जिसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों को दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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