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पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासकीय समिति संभालेगी कामकाज

प्रदेश में पंचायत चुनाव की स्थिति साफ नहीं होने के चलते सरकार ने प्रशासकीय समिति बनाने का फैसला लिया है. समिति का प्रधान सरपंच होगा, जिसको खातों से राशि निकालने का अधिकार होगा. कलेक्टर को समिति बनाने और प्रधान को अधिकार देने के निर्देश दिए गए हैं.

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Published : Mar 9, 2020, 5:57 AM IST

Updated : Mar 9, 2020, 7:35 AM IST

Decision to form an administrative committee
प्रशासकीय समिति बनाने का फैसला

भोपाल| प्रदेश में मतदाता सूची तैयार नहीं होने के चलते पंचायत चुनाव की स्थिति फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है. सूची मई के अंत तक तैयार हो पाएगी. पंचायतों का कामकाज प्रभावित ना हो, इसके लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए, प्रशासकीय समिति बनाने का फैसला किया है. समिति का प्रधान वहीं सरपंच होगा, जिसका कार्यकाल समाप्त होने से समिति अस्तित्व में आएगी. इतना ही नहीं प्रधान और पंचायत सचिव को ग्राम पंचायत के खातों से राशि निकालने का अधिकार भी प्राप्त होगा.

प्रशासकीय समिति बनाने का फैसला

बता दें कि, प्रदेश में 23 हजार 922 पंचायतें हैं और अधिकांश का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. सीएम कमलनाथ की अध्यक्षता में शनिवार को देर शाम मंत्रालय में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई. पंचायतों की कमान प्रशासक को देने की जगह प्रशासकीय समिति गठित करने का सुझाव रखा गया, जिस पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति दे दी है. जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट से हरी झंडी मिल जाएगी.

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने रविवार को सभी कलेक्टरों को पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने पर प्रशासकीय समिति बनाने और खातों से आहरण के अधिकार देने के निर्देश दिए हैं. पंचायतों का कामकाज बाधित ना हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर प्रशासकीय समिति बनाई जाएगी. समिति में वे सब पदाधिकारी होंगे जो पंचायत का कार्यकाल पूरा होने से पहले पंचायत सदस्य थे.

पूर्व सरपंच को समिति का प्रधान बनाया जाएगा, साथ ही दो ऐसे व्यक्ति भी मनोनीत किए जाएंगे, जिनके नाम पंचायत क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल होंगे. मनोनयन ना होने पर भी समिति काम करती रहेगी.

भोपाल| प्रदेश में मतदाता सूची तैयार नहीं होने के चलते पंचायत चुनाव की स्थिति फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है. सूची मई के अंत तक तैयार हो पाएगी. पंचायतों का कामकाज प्रभावित ना हो, इसके लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए, प्रशासकीय समिति बनाने का फैसला किया है. समिति का प्रधान वहीं सरपंच होगा, जिसका कार्यकाल समाप्त होने से समिति अस्तित्व में आएगी. इतना ही नहीं प्रधान और पंचायत सचिव को ग्राम पंचायत के खातों से राशि निकालने का अधिकार भी प्राप्त होगा.

प्रशासकीय समिति बनाने का फैसला

बता दें कि, प्रदेश में 23 हजार 922 पंचायतें हैं और अधिकांश का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. सीएम कमलनाथ की अध्यक्षता में शनिवार को देर शाम मंत्रालय में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई. पंचायतों की कमान प्रशासक को देने की जगह प्रशासकीय समिति गठित करने का सुझाव रखा गया, जिस पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति दे दी है. जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट से हरी झंडी मिल जाएगी.

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने रविवार को सभी कलेक्टरों को पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने पर प्रशासकीय समिति बनाने और खातों से आहरण के अधिकार देने के निर्देश दिए हैं. पंचायतों का कामकाज बाधित ना हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर प्रशासकीय समिति बनाई जाएगी. समिति में वे सब पदाधिकारी होंगे जो पंचायत का कार्यकाल पूरा होने से पहले पंचायत सदस्य थे.

पूर्व सरपंच को समिति का प्रधान बनाया जाएगा, साथ ही दो ऐसे व्यक्ति भी मनोनीत किए जाएंगे, जिनके नाम पंचायत क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल होंगे. मनोनयन ना होने पर भी समिति काम करती रहेगी.

Last Updated : Mar 9, 2020, 7:35 AM IST
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