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तीरा कामत को मिली नई जिंदगी, मासूम को लगा 16 करोड़ का इंजेक्शन - क्राउड फंडिंग

मुंबई में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नाम की बीमारी से जूझ रही पांच महीने की तीरा कामत को 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन का डोज दे दिया गया है. मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले तीरा के माता-पिता ने क्राउड फंडिंग कर यह पैसे इकट्ठा किए हैं.

tira kamat
तीरा कामत
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Published : Feb 28, 2021, 12:35 PM IST

मुंबई। पांच महीने की बच्ची तीरा कामत को ऐसे इंजेक्शन का डोज दिया गया है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. तीरा SMA Type 1 (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी ) नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है, जिसके लिए उसे जोलजेन्स्मा इंजेक्शन दिया गया है, जिसके बाट तीरा इस घातक बीमारी को मात देने के लिए तैयार है. इतने महंगे इंजेक्शन के अलावा इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था. मध्यमवर्गीय परिवार के लिए इतनी बड़ी राशि जुटाकर इलाज करवाना संभव नहीं था. लेकिन तीरा के पिता ने हार नहीं मानी और क्राउड फंडिंग के जरिए पैसे इकट्टठे कर तीरा का इलाज कराया.

तीरा की मदद के लिए हर शख्स का शुक्रिया

सरकार ने फ्री किया आयात टैक्स-GST

तीरा के ट्रीटेमेंट के लिए आवश्यक इंजेक्शन को अमेरिका से आयात करवाया गया है. इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. आयात किए गए इंजेक्शन पर लगे टैक्स और GST को केंद्र सरकार ने माफ किया है. डोज को अमेरिका से आयात करने के लिए लोगों की मदद से पैसे तो जुटे लेकिन डोज पर एक्साइज ड्यूटी और GST ही सिर्फ 6.5 करोड़ रुपए था. ऐसे में तीरा के माता-पिता ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मदद और छूट के लिए आग्रह किया था. उनकी मेहनत सफल हुई और सरकार ने टैक्स और GST को माफ किया. अब डोज लगने के बाद तीरा अंडर ऑब्जर्वेशन है. जानकारी के मुताबिक एक या दो दिन में तीरा को डिस्चार्ज करा दिया जाएगा.

'हर एक शख्स का शुक्रिया'

तीरा को 26 फरवरी को डोज दे दिया गया है. जिसके बाद उसके माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्होंने हर उस शख्स का शुक्रिया अदा किया है, जिसने क्राउड फंडिंग के जरिए राशि जुटाने में मदद की है.

तीरा को नई जिंदगी देने के लिए 10 देशों से आई मदद, जगी एक उम्मीद

किस बीमारी से जूझ रही है तीरा?

तीरा को नसों से संबंधित एक दुर्लभ बीमारी है. उसे SMA यानी स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी टाइप वन नाम की रेयर जेनेटिक बीमारी है. SMA एक न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर है, जिससे धीरे-धीरे शरीर कमजोर पड़ने लगता है. ब्रेन की नर्व सेल्स और स्पाइनल कॉर्ड डैमेज होने लगते हैं. इसके अलावा बॉडी के कई हिस्सों में मूवमेंट नहीं हो पाता. इस बीमारी में, तंत्रिकाएं धीरे-धीरे मर जाती हैं और मस्तिष्क से संदेश धीमा हो जाता है. इस बीमारी के कारण, तीरा दूध पीते समय सांस नहीं ले पा रही थी. इंजेक्शन देते समय तीरा कोई विरोध नहीं कर रही थी.

फंड कैसे इकट्ठा किया गया?

भले ही सोशल मीडिया को टाइम पास माना जाता हो, लेकिन कभी-कभी यह नेक काम के लिए मददगार साबित होता है. कमात (तीरा के परिजन) ने सोशल मीडिया और NGO के जरिए मदद के लिए राशि जुटाई है. उनके पास आयात शुल्क में छूट के लिए केंद्र सरकार, पीएमओ और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ पत्राचार था. अब तक, 11 बच्चों को जोलजेन्स्मा इंजेक्शन दिया गया था और तीरा इसकी खुराक पाने वाली दूसरी लड़की है.

बेटी की दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए दंपती ने जुटाए ₹16 करोड़, अब नई समस्या हुई खड़ी

क्या है क्राउड फंडिंग?

  • क्राउड फंडिंग किसी खास प्रोजेक्ट, बिजनेस वेंचर या सामाजिक कल्याण के लिए तमाम लोगों से छोटी-छोटी रकम जुटाने की प्रक्रिया है.
  • इसमें वेब आधारित प्लेटफॉर्म या सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल किया जाता है.
  • इनके जरिए फंड जुटाने वाला संभावित दानदाताओं या निवेशकों को फंड जुटाने का कारण बताता है. अपने मकसद को वह खुलकर निवेशकों के समक्ष रखता है.
  • क्राउडफंडिंग से जुड़ी वेबसाइटें अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने के लिए फीस वसूलती हैं. यह फीस सेवाओं के बदले ली जाती है. ये फंड जुटाने में सहूलियत देती हैं. इनकी मदद से बेहद कम समय में काफी फंड जुटा लिया जाता है.

मुंबई। पांच महीने की बच्ची तीरा कामत को ऐसे इंजेक्शन का डोज दिया गया है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. तीरा SMA Type 1 (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी ) नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है, जिसके लिए उसे जोलजेन्स्मा इंजेक्शन दिया गया है, जिसके बाट तीरा इस घातक बीमारी को मात देने के लिए तैयार है. इतने महंगे इंजेक्शन के अलावा इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था. मध्यमवर्गीय परिवार के लिए इतनी बड़ी राशि जुटाकर इलाज करवाना संभव नहीं था. लेकिन तीरा के पिता ने हार नहीं मानी और क्राउड फंडिंग के जरिए पैसे इकट्टठे कर तीरा का इलाज कराया.

तीरा की मदद के लिए हर शख्स का शुक्रिया

सरकार ने फ्री किया आयात टैक्स-GST

तीरा के ट्रीटेमेंट के लिए आवश्यक इंजेक्शन को अमेरिका से आयात करवाया गया है. इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. आयात किए गए इंजेक्शन पर लगे टैक्स और GST को केंद्र सरकार ने माफ किया है. डोज को अमेरिका से आयात करने के लिए लोगों की मदद से पैसे तो जुटे लेकिन डोज पर एक्साइज ड्यूटी और GST ही सिर्फ 6.5 करोड़ रुपए था. ऐसे में तीरा के माता-पिता ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मदद और छूट के लिए आग्रह किया था. उनकी मेहनत सफल हुई और सरकार ने टैक्स और GST को माफ किया. अब डोज लगने के बाद तीरा अंडर ऑब्जर्वेशन है. जानकारी के मुताबिक एक या दो दिन में तीरा को डिस्चार्ज करा दिया जाएगा.

'हर एक शख्स का शुक्रिया'

तीरा को 26 फरवरी को डोज दे दिया गया है. जिसके बाद उसके माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्होंने हर उस शख्स का शुक्रिया अदा किया है, जिसने क्राउड फंडिंग के जरिए राशि जुटाने में मदद की है.

तीरा को नई जिंदगी देने के लिए 10 देशों से आई मदद, जगी एक उम्मीद

किस बीमारी से जूझ रही है तीरा?

तीरा को नसों से संबंधित एक दुर्लभ बीमारी है. उसे SMA यानी स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी टाइप वन नाम की रेयर जेनेटिक बीमारी है. SMA एक न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर है, जिससे धीरे-धीरे शरीर कमजोर पड़ने लगता है. ब्रेन की नर्व सेल्स और स्पाइनल कॉर्ड डैमेज होने लगते हैं. इसके अलावा बॉडी के कई हिस्सों में मूवमेंट नहीं हो पाता. इस बीमारी में, तंत्रिकाएं धीरे-धीरे मर जाती हैं और मस्तिष्क से संदेश धीमा हो जाता है. इस बीमारी के कारण, तीरा दूध पीते समय सांस नहीं ले पा रही थी. इंजेक्शन देते समय तीरा कोई विरोध नहीं कर रही थी.

फंड कैसे इकट्ठा किया गया?

भले ही सोशल मीडिया को टाइम पास माना जाता हो, लेकिन कभी-कभी यह नेक काम के लिए मददगार साबित होता है. कमात (तीरा के परिजन) ने सोशल मीडिया और NGO के जरिए मदद के लिए राशि जुटाई है. उनके पास आयात शुल्क में छूट के लिए केंद्र सरकार, पीएमओ और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ पत्राचार था. अब तक, 11 बच्चों को जोलजेन्स्मा इंजेक्शन दिया गया था और तीरा इसकी खुराक पाने वाली दूसरी लड़की है.

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क्या है क्राउड फंडिंग?

  • क्राउड फंडिंग किसी खास प्रोजेक्ट, बिजनेस वेंचर या सामाजिक कल्याण के लिए तमाम लोगों से छोटी-छोटी रकम जुटाने की प्रक्रिया है.
  • इसमें वेब आधारित प्लेटफॉर्म या सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल किया जाता है.
  • इनके जरिए फंड जुटाने वाला संभावित दानदाताओं या निवेशकों को फंड जुटाने का कारण बताता है. अपने मकसद को वह खुलकर निवेशकों के समक्ष रखता है.
  • क्राउडफंडिंग से जुड़ी वेबसाइटें अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने के लिए फीस वसूलती हैं. यह फीस सेवाओं के बदले ली जाती है. ये फंड जुटाने में सहूलियत देती हैं. इनकी मदद से बेहद कम समय में काफी फंड जुटा लिया जाता है.
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