भोपाल। कोरोना संक्रमण की वजह से मध्यप्रदेश में देरी से शुरू हुई रबी फसल के उपार्जन में अब तेजी लाने की कोशिश की जा रही है. खरीदी केंद्रों पर फसल बेचने कम संख्या में किसान पहुंच रहे हैं. पिछले दो दिनों के दौरान 1 लाख 13 हजार किसानों को उपार्जन केंद्रों पर बुलाया गया था, लेकिन 39 हज़ार 512 किसान ही फसल बेचने पहुंचे. लिहाजा अब हर रोज 1 लाख किसानों को मैसेज भेजकर खरीदी केंद्रों पर बुलाया जाएगा.
हर खरीदी केंद्र पर 20 छोटे और पांच बड़े किसानों को एसएमएस भेज कर बुलाया जाएगा. दरअसल हर साल खरीदी की तमाम जल्दबाजी के बाद भी प्री मानसून एक्टिविटी के चलते मंडियों में अनाज पानी से खराब होने की खबरें आती हैं. मध्यप्रदेश में आमतौर पर 15 जून से मानसून की दस्तक होती है. करीब 15 दिन पहले से प्री मानसून एक्टिविटी शुरू हो जाती है. कोरोना की वजह से खरीदी पहले ही करीब 20 दिन लेट शुरू हुई है. सरकार को इस बार एक करोड़ मैट्रिक टन गेहूं का उपार्जन होने का अनुमान है.
लिहाजा शासन को बारिश से पहले उपार्जन कार्य पूरा ना हो पाने की चिंता सता रही है. यही वजह है कि पिछले साल की तुलना में ज्यादा खरीदी केंद्र बनाकर गेहूं उपार्जन किया जा रहा है. इस बार 4305 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. उपार्जन केंद्रों पर कम संख्या में किसान पहुंच रहे हैं. 18 अप्रैल को 80 हज़ार किसानों को एसएमएस भेजकर बुलाया गया था, लेकिन खरीदी केंद्रों पर 25 हजार 792 किसान पहुंचे. जिससे 60 हजार मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की गई.
इसी तरह इसके पहले 17 अप्रैल को 38 हजार किसानों को एसएमएस भेजे गए थे. जिसमें से 13720 किसान ही खरीदी केंद्रों पर पहुंचे. पिछले 4 दिनों के दौरान 103287 मेट्रिक टन गेहूं की खरीदी की गई है.किसानों की खरीदी केंद्रों पर कम संख्या को देखते हुए सोमवार से एक लाख किसानों को खरीदी केंद्रों पर बुलाया जाएगा.गौरतलब है कि 15 अप्रैल से भोपाल इंदौर और उज्जैन को छोड़ बाकी प्रदेश में गेहूं उपार्जन कार्य शुरू किया गया है.