भोपाल। कमलनाथ सरकार काम में पारदर्शिता लाने के लिए विभागीय कार्यालयों को डिजिटल बनाने में लगी है. यह व्यवस्था 15 अगस्त से मंत्रालय स्तर पर शुरू हो चुकी है और अब 2 अक्टूबर को निदेशालय स्तर यानी विभागाध्यक्ष स्तर पर इसे अनिवार्य रूप से शुरू की जाएगी. इस व्यवस्था के तहत सभी सरकारी कामकाज अब कंप्यूटर पर ही होंगे. इसके लिए सभी विभागाध्यक्ष कार्यालयों को जरूरी तैयारियों के तय समय में करने के निर्देश दिए हैं.
सामान्य प्रशासन विभाग चाहता है कि सरकारी कामकाज में तेजी लाने और जवाबदेही तय करने के लिए ई-ऑफिस व्यवस्था कारगर साबित होगी. प्रयोग के तौर पर मंत्रालय में 15 अगस्त को इस व्यवस्था को लागू किया गया था. मंत्रालय स्तर के सभी अधिकारी-कर्मचारियों को इसका प्रशिक्षण भी दिया गया था. मंत्रालय स्तर पर व्यवस्था सफल होने पर अब इससे विभाग के विभागाध्यक्ष स्तर पर लागू किया जा रहा है. हालांकि यह व्यवस्था 2018 में ही लागू हो जानी थी.
पूर्वव शिवराज सरकार ने इस व्यवस्था को ऐच्छिक रूप से लागू किया था. अब कमलनाथ सरकार इस व्यवस्था को अनिवार्य रूप से लागू करने करने की कोशिश कर रही है. सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी जिला कलेक्टर को व्यवस्था लागू करने के लिए क्रियान्वयन समिति बनाने के निर्देश भी दिए हैं।
ई-ऑफिस व्यवस्था को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि देश को 21वीं सदी के पथ पर ले जाने का ध्येय राजीव गांधी का था. जो ध्येय आधुनिकता की तरफ बढ़ने का था. ई ऑफिस आधुनिकता की तरफ बढ़ने का कदम है. उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह ने इस पर विराम लगाया था. जिसे कमलनाथ सरकार ने हटाया है. प्रदेश सरकार ने ई-ऑफिस व्यवस्था लागू करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. प्रदेश निश्चित आधुनिक स्वरूप में और 21वीं सदी में बढ़ते हुए कदम के साथ दिखाई देगा.