भोपाल। प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं, जिसे देखते हुए मंत्रालय में केंद्रीय दल, मुख्य सचिव और अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में उन सभी जिलों की समीक्षा की गई, जहां बाढ़ की स्थिति बनी हुई है.
केन्द्रीय दल को इस बैठक में बाढ़ से हुए नुकसान की जानकारी दी गई. बैठक में अधिकारियों को निर्देशित भी किया गया है कि वे जल्द से जल्द अपने विभाग की रिपोर्ट 24 सितंबर तक प्रस्तुत करें. वहीं प्रदेश के 36 जिलों में क्षति बहुत अधिक हुई है. साथ ही राहत पहुंचाने, आगामी रबी फसल के संधारण और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए केन्द्रीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है. इस दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभांशु कमल, अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण इकबाल सिंह बैस, अपर मुख्य सचिव पशुपालन मनोज श्रीवास्तव, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास गौरी सिंह, अपर मुख्य सचिव वित्त अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा मोहम्मद सुलेमान सहित विभिन्न विभाग के अधिकारी मौजूद रहे.
केन्द्रीय दल पांच जिलों का दौरा करेगी, जिसमें विदिशा, रायसेन, राजगढ़, मंदसौर और आगर-मालवा शामिल हैं. इसमें ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के उप सचिव केएम सिंह, जल संसाधन मंत्रालय के संचालक मनोज पोनीकर, कृषि मंत्रालय के संचालक एके तिवारी, वित्त मंत्रालय के संचालक अमरनाथ सिंह और ऊर्जा मंत्रालय के सहायक संचालक सुमित गोयल शामिल हैं.
प्रमुख सचिव राजस्व मनीष रस्तोगी ने कहा कि भारी बारिश के चलते जनहानि और पशुधन का नुकसान हुआ है, जिसके लिए तत्काल राहत उपलब्ध कराई गई है. एसडीआरएफ ने अब तक 125 करोड़ रुपये की राहत प्रदान की है. फसलों को हुए नुकसान का सर्वेक्षण 24 सितम्बर तक पूरा होगा. राज्य सरकार ने छोटी अवधि के कृषि ऋण को मध्यम अवधि ऋण में बदलने की मांग भी की है.
इस बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में 18 सितम्बर तक 1203.5 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य से 37 प्रतिशत अधिक है. 24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 22 लाख किसानों की 9 हजार 600 करोड़ रुपए की खरीफ फसल बर्बाद हुई है. प्रदेशभर में अब तक 540 करोड़ मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. इसी क्रम में सड़कों की क्षति का अनुमान 1,566 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. प्रदेश में बाढ़ और आकाशीय बिजली से 225 लोगों और 1400 से अधित जानवरों की मौत हो गई है. साथ ही तेज बारिश से प्रदेशभर के बांधों, तालाबों और नदियों की स्थिति और बचाव के लिए किए गए कार्यों से अवगत कराया गया.