हैदराबाद। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) का हिंदू धर्म का बहुत महत्व है. यह व्रत भगवान शिव (Lord Shiva Fast) की पूजा से जुड़ा है. इसे प्रदोषम् नाम से भी जाना जाता है. जब प्रदोष व्रत शनिवार को होता है, तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं. ऐसे में प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि ये शनि ग्रह से मेल खाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ शनि देव की पूजा करना उत्तम होता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि विधि-विधान के साथ जब शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2021) किया जाता है, तो श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
शनि प्रदोष व्रत 2021 का महत्वपूर्ण समय (Shani Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
प्रदोष पूजा मुहूर्त : 06:39 शाम – 08:56 शाम
अवधि : 2 घंटे 16 मिनट
त्रयोदशी प्रारंभ : 04 सितंबर, सुबह 08:24 बजे
त्रयोदशी समाप्त : 05 सितंबर, सुबह 08:21 बजे
कब है शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat Kab Hai)
पंचांग के अनुसार (Hindi Panchang), मास की हर त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 4 सितंबर 2021 दिन शनिवार को है. इसलिए भाद्रपद मास का पहला प्रदोष व्रत 4 सितंबर को पड़ेगा, जो कि शनि प्रदोष व्रत है.
शनि प्रदोष व्रत का महत्व (Shani Pradosh Vrat ka Mahtav)
प्रदोष का हिंदी अर्थ ‘रात का पहला भाग’ होता है. इस दिन की पूजा संध्याकाल में ही की जाती है. भक्तों का ऐसा मानना है कि प्रदोष के दिन देवी पार्वती के साथ भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. अगर भक्त उपवास करेंगे और उनका आशीर्वाद लेंगे, तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी.
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शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि (Shani Pradosh Vrat Puja Vidhi)
प्रदोष व्रत की पूजा के लिए भक्त को प्रदोष काल के पहले स्नान कर लेना चाहिए. उसके बाद पूजा बेदी पर भगवान शिव, माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. उसके बाद उनके समक्ष दीपक जलाएं. अब उन्हें फूल, अक्षत, धतूरा, मदार, गन्ना आदि वे सभी चीजें अर्पित करें जो भगवान शिव को प्रिय होती है. इसके साथ है माता पार्वती को 16 श्रृंगार की चीजें अर्पित करें. उन्हें भोग लगाएं. अब धूप दीप जलाकर आरती करें और क्षमा प्रार्थना के साथ हाथ जोड़कर प्रणाम कर पूजा खत्म करें.