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ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर कोरोना संकट, घर चलाना हुआ मुश्किल

बीते वर्ष प्रदेश में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन से ट्रकों को काम नहीं मिल पाया था, जिसके कारण लगभग 20 लाख भार वाहक गाड़ियों के पहिए थम गए थे. कोरोना काल में ट्रांसपोर्ट के इस हालात के चलते रोजाना लगभग 500 करोड़ का नुकसान हुआ था. अब एक बार फिर ट्रांसपोर्ट व्यापारियों को लॉकडाउन लगने से नुकसान होने का डर सता रहा है.

Crisis on transport business
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर संकट
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Published : Apr 11, 2021, 10:16 PM IST

भोपाल। भारत में पिछले साल कोरोना संक्रमण के बढ़ने के बाद से ही ट्रांसपोर्ट व्यवसाय काफी धीमा चल रहा है. कोरोना काल में मध्य प्रदेश में लगभग 50% से अधिक फैक्ट्रियां बंद हो जाने के कारण ट्रांसपोर्ट के व्यापारियों को इससे खासा नुकसान हुआ है. प्रदेश में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में चलते इन ट्रकों को काम नहीं मिल पाया था, जिसके कारण लगभग 20 लाख भार वाहक गाड़ियों के पहिए थम गए थे. पिछले साल कोरोना काल में ट्रांसपोर्ट के इस हालात के चलते रोजाना लगभग 500 करोड़ का नुकसान हुआ था, जिसके बाद ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की हालत आज तक सामान्य नहीं हो पाई है.

  • तेल की कीमतों से भी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर असर

देश में लगातार बढ़ रही तेल की कीमतों से भी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर असर पड़ा है. पिछले साल कोरोना काल से अब तक लगभग 23 बार तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला है, प्रदेश में भी तेल के दाम लगातार प्रत्येक सप्ताह बढ़ रहे हैं. वहीं, तेल की कीमतों को लेकर भोपाल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक मालपानी का कहना है कि ट्रांसपोर्ट व्यवसाय कम होने से बेरोजगारी बढ़ गई है, उन्होंने कहा कि 'हमारी सरकार से मांग है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कम-से-कम 20% की कमी की जाए जिससे ट्रक व्यापारी फिर से सामान्य स्थिति में आ सकें.

सीधे अस्पतालों में पहुंचेगी रेमडेसिविर, सरकार ने 5 हजार डोज भेजी

  • आधे से कम हुआ ट्रांसपोर्ट व्यापार

ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि ट्रांसपोर्ट जगत में अब 50% से कम काम हो गया है. पहले हर महीने एक लाख का टर्नओवर होता था, अब वह सिर्फ 40 से 50 हजार तक रह गया है. इस कारण ट्रांसपोर्ट कंपनियों में स्टाफ को भी आधा कर दिया गया है.

Crisis on transport business
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर संकट
  • ड्राइवर-क्लीनरों के लिए घर चलाना हुआ मुश्किल

ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के ऐसे हालात को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मजदूर, क्लीनर और ड्राइवरों से बातचीत की है. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया है कि उन्हें घर चलाने में भी अब मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, पहले वे रोजोना 600-700 रुपए कमा लेते थे अब वह सिर्फ 200-300 रुपए कमा रहे हैं. इन लोगों ने आगे कहा कि अब उन्हें दोबारा से लॉकडाउन लगने का डर सता रहा है और दोबारा प्रदेश में पूर्ण रुप से लॉकडाउन लगा तो वह घर कैसे चलाएंगे. इन लोगों का यह भी कहना था कि उन्हें इन हालातों में सरकार की तरफ से कोई मदद नहींं मिल पा रही है.

MP में नहीं लगाया जाएगा लाॅकडाउन, चेन ब्रेक करने के लिए 'कोरोना कर्फ्यू'- सीएम

  • रात 10 बजे बाद शहर में लॉकडाउन

भोपाल के ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि दिन में बड़े वाहनों को शहर में आने की अनुमति नहीं होती है और जब रात में बड़े वाहन आने की अनुमति होती है तब लॉकडाउन लगा दिया जाता है. इसके चलते अब बड़े वाहन भोपाल शहर में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस कठिन परिस्थिति में उनके पास जो भी काम उसे भी वह लोग नहीं कर पा रहे हैं, शहर में व्यापारियों का माल रुका हुआ है, अब वाहनों को चलाने में बड़ी समस्याएं आ रही है. बतौर ट्रांसपोर्टर, उनको सरकार ने किसी भी प्रकार की रियारत देने का प्रयास नहीं किया है, शहर के प्रत्येक चौराहों पर पुलिस तैनात रहती है. किसी भी प्रकार की चूक होने पर उनका चालान किया जाया है और ऐसे में उनका काम करना अब मुश्किल हो गया है.

  • हमने हमेशा सेवाएं दी पर कोई सम्मान नहीं:ट्रांसपोर्टर

ट्रांसपोर्टरों ने ईटीवी भारत से कहा कि पिछले एक साल से कोरोना महामारी के दौरान काम कर रहे कई फ्रंटलाइन वर्कर्स को सम्मानित किया गया है, लेकिन इस कठिन समय में ट्रक चालकों ने अपनी दयनीय हालत में भी लगातार सेवा दी लेकिन कभी किसी ट्रांसपोर्टर को सम्मानित नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि हमने लोगों के घर राशन पहुंचाया पर हमारे काम को सरकार ने कभी नहीं सराहा है, न ही हमारी मदद के लिए कभी हाथ आगे बढ़ाए हैं. अब एक बार फिर से देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने से दोबारा लॉकडाउन के हालात बन रहे हैं, ऐसे में ट्रांसपोर्ट व्यवसायी चिंतित नजर आ रहे हैं

भोपाल। भारत में पिछले साल कोरोना संक्रमण के बढ़ने के बाद से ही ट्रांसपोर्ट व्यवसाय काफी धीमा चल रहा है. कोरोना काल में मध्य प्रदेश में लगभग 50% से अधिक फैक्ट्रियां बंद हो जाने के कारण ट्रांसपोर्ट के व्यापारियों को इससे खासा नुकसान हुआ है. प्रदेश में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में चलते इन ट्रकों को काम नहीं मिल पाया था, जिसके कारण लगभग 20 लाख भार वाहक गाड़ियों के पहिए थम गए थे. पिछले साल कोरोना काल में ट्रांसपोर्ट के इस हालात के चलते रोजाना लगभग 500 करोड़ का नुकसान हुआ था, जिसके बाद ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की हालत आज तक सामान्य नहीं हो पाई है.

  • तेल की कीमतों से भी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर असर

देश में लगातार बढ़ रही तेल की कीमतों से भी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर असर पड़ा है. पिछले साल कोरोना काल से अब तक लगभग 23 बार तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला है, प्रदेश में भी तेल के दाम लगातार प्रत्येक सप्ताह बढ़ रहे हैं. वहीं, तेल की कीमतों को लेकर भोपाल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक मालपानी का कहना है कि ट्रांसपोर्ट व्यवसाय कम होने से बेरोजगारी बढ़ गई है, उन्होंने कहा कि 'हमारी सरकार से मांग है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कम-से-कम 20% की कमी की जाए जिससे ट्रक व्यापारी फिर से सामान्य स्थिति में आ सकें.

सीधे अस्पतालों में पहुंचेगी रेमडेसिविर, सरकार ने 5 हजार डोज भेजी

  • आधे से कम हुआ ट्रांसपोर्ट व्यापार

ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि ट्रांसपोर्ट जगत में अब 50% से कम काम हो गया है. पहले हर महीने एक लाख का टर्नओवर होता था, अब वह सिर्फ 40 से 50 हजार तक रह गया है. इस कारण ट्रांसपोर्ट कंपनियों में स्टाफ को भी आधा कर दिया गया है.

Crisis on transport business
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर संकट
  • ड्राइवर-क्लीनरों के लिए घर चलाना हुआ मुश्किल

ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के ऐसे हालात को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मजदूर, क्लीनर और ड्राइवरों से बातचीत की है. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया है कि उन्हें घर चलाने में भी अब मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, पहले वे रोजोना 600-700 रुपए कमा लेते थे अब वह सिर्फ 200-300 रुपए कमा रहे हैं. इन लोगों ने आगे कहा कि अब उन्हें दोबारा से लॉकडाउन लगने का डर सता रहा है और दोबारा प्रदेश में पूर्ण रुप से लॉकडाउन लगा तो वह घर कैसे चलाएंगे. इन लोगों का यह भी कहना था कि उन्हें इन हालातों में सरकार की तरफ से कोई मदद नहींं मिल पा रही है.

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  • रात 10 बजे बाद शहर में लॉकडाउन

भोपाल के ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि दिन में बड़े वाहनों को शहर में आने की अनुमति नहीं होती है और जब रात में बड़े वाहन आने की अनुमति होती है तब लॉकडाउन लगा दिया जाता है. इसके चलते अब बड़े वाहन भोपाल शहर में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस कठिन परिस्थिति में उनके पास जो भी काम उसे भी वह लोग नहीं कर पा रहे हैं, शहर में व्यापारियों का माल रुका हुआ है, अब वाहनों को चलाने में बड़ी समस्याएं आ रही है. बतौर ट्रांसपोर्टर, उनको सरकार ने किसी भी प्रकार की रियारत देने का प्रयास नहीं किया है, शहर के प्रत्येक चौराहों पर पुलिस तैनात रहती है. किसी भी प्रकार की चूक होने पर उनका चालान किया जाया है और ऐसे में उनका काम करना अब मुश्किल हो गया है.

  • हमने हमेशा सेवाएं दी पर कोई सम्मान नहीं:ट्रांसपोर्टर

ट्रांसपोर्टरों ने ईटीवी भारत से कहा कि पिछले एक साल से कोरोना महामारी के दौरान काम कर रहे कई फ्रंटलाइन वर्कर्स को सम्मानित किया गया है, लेकिन इस कठिन समय में ट्रक चालकों ने अपनी दयनीय हालत में भी लगातार सेवा दी लेकिन कभी किसी ट्रांसपोर्टर को सम्मानित नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि हमने लोगों के घर राशन पहुंचाया पर हमारे काम को सरकार ने कभी नहीं सराहा है, न ही हमारी मदद के लिए कभी हाथ आगे बढ़ाए हैं. अब एक बार फिर से देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने से दोबारा लॉकडाउन के हालात बन रहे हैं, ऐसे में ट्रांसपोर्ट व्यवसायी चिंतित नजर आ रहे हैं

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