ETV Bharat / state

मिसालः कम्युनिटी किचन जरूरतमंदों का भर रहा पेट

कोरोना के दौर में परेशानियों का सामना करने के बाद शहर के कुछ युवाओं ने मिलकर 'कम्युनिटी किचन' नाम का एक ग्रुप बनाया. युवाओं ने इस ग्रुप के माध्यम से अस्पाताल में इलाज करवा रहे कोरोना मरीज और उनके परिजन को खाना देने की शुरूआत की. कम्युनिटी किचन की इस पहल को सदस्यों ने सोशल मीडिया पर भी साझा किया. सोशल मीडिया पर आने के बाद कई लोग इस ग्रुप से जुड़ते गए और लोगों की मदद के लिए आगे आए. वर्तमान में इस संस्था से देश-विदेश के लोग जुड़ रहे है.

author img

By

Published : May 2, 2021, 1:41 PM IST

Community kitchen is filling the needy
कम्युनिटी किचन जरूरतमंदों का भर रहा पेट

भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर ने हर ओर तबाही का आलम नजर आ रहा है. सरकार के आंकड़ों और श्मशान की हकिकत बिल्कुल अलग-अलग दिखाई दे रहे है. असर ऐसा है कि हर शख्स परेशान और लाचार दिखाई देता है. किसी को बीमारी का डर है, तो किसी को इलाज की फिक्र सता रही है. गली-मोहल्ले से लेकर रास्ते और चौराहों तक एक सा ही मंजर दिखाई देता है. अपनों की खैरियत की चिंता में लोग दवाखानों से लेकर अस्पतालों तक बेपरवाह से भाग रहे है. ना इनके खाने का ठिकाना है और ना प्यास बुझाने का इंतजाम. ऐसे में कोई आकर इनकी मदद कर दे तो उसे किसी मसीहा से कम नहीं माना जा सकता.

कम्युनिटी किचन जरूरतमंदों का भर रहा पेट

आज के दौर में ऐसे भी कुछ फिक्र मंद लोग हैं, जो इंसानियत की मिसाल बने हुए है. जिन्हें उन लोगों की फिक्र है, जो अस्पतालों में अपने परिजनों का इलाज करवाने आए हैं लेकिन उनके भोजन पानी का कोई इंतजाम नहीं है. अपनों को बचाने के लिए लाचार और बेबस लोगों के लिए राजधानी के कुछ लोग निस्वार्थ भाव से मदद के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं. अस्पतालों में जाकर रोजाना भोजन और पानी का इंतजाम कर रहे हैं. कुछ समाजसेवियों ने एक टीम बनाई है जो 'कम्युनिटी किचन' चलाती है. ये टीम सुबह से लेकर शाम तक लोगों का पेट भरने के लिए भोजन लेकर रोज पहुंच रही है, साथ ही होम क्वारंटाइन लोगों के लिए खाने की होम डिलीवरी भी कर रही है.

  • कोरोना से जंग जीत कर लिया फैसला

इस टीम में सभी लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कोरोना को हराकर जंग जीती है. अब यही लोग अस्पतालों में लोगों की मदद करने जा रहे है. इन सब ने मिलकर एक कम्युनिटी किचन बनाया है. जिसमें रोजाना करीब 400 लोगों का खाना बनता है. टीम के सदस्य सुबह 5 बजे से तैयारियों में जुट जाते हैं. एक टीम भोजन बनाने का काम करती है, तो दूसरी टीम इस भोजन को अस्पतालों में जरूरतमंदों तक पहुंचाती है. टीम की सदस्य मीता वाधवा, पूजा अयंगर, प्रशांत पांडे, देवेंदु मलिक और अविनाश चौहान जैसे सैकड़ों लोग मानव सेवा में लगे हुए हैं. सदस्यों का कहना है कि जब हम तकलीफ में थे तो हमने महसूस किया की लोगों को अस्पतालों में कोरोना का इलाज करवाने के दौरान कितनी परेशानी होती है. खासकर उन लोगों को जो मरीजों के साथ अस्पतालों में रुके हुए है. मरीज के इलाज की चिंता के चलते उनके खाने-पीने की व्यवस्था कहीं दिखाई नहीं देती. इसलिए हमने फैसला लिया की ऐसे लोगों की मदद की जाए.

इंदौर के श्मशान घाटों में अब PNG GAS से होंगे अंतिम संस्कार

  • दिल्ली के ताज होटल का काम छोड़ चला रहे कम्युनिटी किचन

देवेंदु मलिक ने मुंबई से होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया और दिल्ली की ताज एयर लिफ्ट होटल में लंबे समय तक काम किया. कोरोना संकट में लोगों की सेवा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ कर कम्युनिटी किचन के जरिए जरूरतमंदों की मदद करने का फैसला लिया. अस्पतालों में मरीजों के परिजनों के खाने-पीने के इंतजाम के साथ-साथ होम क्वारंटाइन मरीजों के लिए भी होम डिलीवरी कर रहे हैं.

  • जुड़ते गए लोग बढ़ता गया हौसला

कम्युनिटी किचन ग्रुप की सदस्य मीता वाधवा बताती है कि हमने खाना बनाने का इंतजाम तो कर लिया था, लेकिन अस्पतालों तक पहुंचाने में परेशानी हो रही थी. प्रशांत पांडे और अविनाश जैसे लोग हमारे ग्रुप से जुड़े जिससे हमारी कोशिश आगे बढ़ रही है.

परोपकारः समाजसेवा के लिए गजब का जुनून, खत्म हो गए पैसे तो प्लॉट बेचने का लिया फैसला

  • सोशल मीडिया के माध्य से चला रहे कैंपेन

कम्युनिटी किचन ग्रुप की सदस्य पूजा बताती है कि ग्रुप में भोपाल के लोगों को तो जोड़ा ही है साथ ही सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चला रहे हैं. व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर जैसे प्लेटफार्म पर लोग हमसे जुड़ रहे हैं और लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे है. हम रोजाना 400 से 500 खाने के पैकेट बाटते है. देश-विदेश से लोग मदद कर रहे है. जो लोग पहले कोरोना से ग्रसित थे वो लोग नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भोजन को वितरित करने की व्यवस्था को संभालते है.

भोपाल। कोरोना की दूसरी लहर ने हर ओर तबाही का आलम नजर आ रहा है. सरकार के आंकड़ों और श्मशान की हकिकत बिल्कुल अलग-अलग दिखाई दे रहे है. असर ऐसा है कि हर शख्स परेशान और लाचार दिखाई देता है. किसी को बीमारी का डर है, तो किसी को इलाज की फिक्र सता रही है. गली-मोहल्ले से लेकर रास्ते और चौराहों तक एक सा ही मंजर दिखाई देता है. अपनों की खैरियत की चिंता में लोग दवाखानों से लेकर अस्पतालों तक बेपरवाह से भाग रहे है. ना इनके खाने का ठिकाना है और ना प्यास बुझाने का इंतजाम. ऐसे में कोई आकर इनकी मदद कर दे तो उसे किसी मसीहा से कम नहीं माना जा सकता.

कम्युनिटी किचन जरूरतमंदों का भर रहा पेट

आज के दौर में ऐसे भी कुछ फिक्र मंद लोग हैं, जो इंसानियत की मिसाल बने हुए है. जिन्हें उन लोगों की फिक्र है, जो अस्पतालों में अपने परिजनों का इलाज करवाने आए हैं लेकिन उनके भोजन पानी का कोई इंतजाम नहीं है. अपनों को बचाने के लिए लाचार और बेबस लोगों के लिए राजधानी के कुछ लोग निस्वार्थ भाव से मदद के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं. अस्पतालों में जाकर रोजाना भोजन और पानी का इंतजाम कर रहे हैं. कुछ समाजसेवियों ने एक टीम बनाई है जो 'कम्युनिटी किचन' चलाती है. ये टीम सुबह से लेकर शाम तक लोगों का पेट भरने के लिए भोजन लेकर रोज पहुंच रही है, साथ ही होम क्वारंटाइन लोगों के लिए खाने की होम डिलीवरी भी कर रही है.

  • कोरोना से जंग जीत कर लिया फैसला

इस टीम में सभी लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कोरोना को हराकर जंग जीती है. अब यही लोग अस्पतालों में लोगों की मदद करने जा रहे है. इन सब ने मिलकर एक कम्युनिटी किचन बनाया है. जिसमें रोजाना करीब 400 लोगों का खाना बनता है. टीम के सदस्य सुबह 5 बजे से तैयारियों में जुट जाते हैं. एक टीम भोजन बनाने का काम करती है, तो दूसरी टीम इस भोजन को अस्पतालों में जरूरतमंदों तक पहुंचाती है. टीम की सदस्य मीता वाधवा, पूजा अयंगर, प्रशांत पांडे, देवेंदु मलिक और अविनाश चौहान जैसे सैकड़ों लोग मानव सेवा में लगे हुए हैं. सदस्यों का कहना है कि जब हम तकलीफ में थे तो हमने महसूस किया की लोगों को अस्पतालों में कोरोना का इलाज करवाने के दौरान कितनी परेशानी होती है. खासकर उन लोगों को जो मरीजों के साथ अस्पतालों में रुके हुए है. मरीज के इलाज की चिंता के चलते उनके खाने-पीने की व्यवस्था कहीं दिखाई नहीं देती. इसलिए हमने फैसला लिया की ऐसे लोगों की मदद की जाए.

इंदौर के श्मशान घाटों में अब PNG GAS से होंगे अंतिम संस्कार

  • दिल्ली के ताज होटल का काम छोड़ चला रहे कम्युनिटी किचन

देवेंदु मलिक ने मुंबई से होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया और दिल्ली की ताज एयर लिफ्ट होटल में लंबे समय तक काम किया. कोरोना संकट में लोगों की सेवा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ कर कम्युनिटी किचन के जरिए जरूरतमंदों की मदद करने का फैसला लिया. अस्पतालों में मरीजों के परिजनों के खाने-पीने के इंतजाम के साथ-साथ होम क्वारंटाइन मरीजों के लिए भी होम डिलीवरी कर रहे हैं.

  • जुड़ते गए लोग बढ़ता गया हौसला

कम्युनिटी किचन ग्रुप की सदस्य मीता वाधवा बताती है कि हमने खाना बनाने का इंतजाम तो कर लिया था, लेकिन अस्पतालों तक पहुंचाने में परेशानी हो रही थी. प्रशांत पांडे और अविनाश जैसे लोग हमारे ग्रुप से जुड़े जिससे हमारी कोशिश आगे बढ़ रही है.

परोपकारः समाजसेवा के लिए गजब का जुनून, खत्म हो गए पैसे तो प्लॉट बेचने का लिया फैसला

  • सोशल मीडिया के माध्य से चला रहे कैंपेन

कम्युनिटी किचन ग्रुप की सदस्य पूजा बताती है कि ग्रुप में भोपाल के लोगों को तो जोड़ा ही है साथ ही सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चला रहे हैं. व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर जैसे प्लेटफार्म पर लोग हमसे जुड़ रहे हैं और लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे है. हम रोजाना 400 से 500 खाने के पैकेट बाटते है. देश-विदेश से लोग मदद कर रहे है. जो लोग पहले कोरोना से ग्रसित थे वो लोग नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भोजन को वितरित करने की व्यवस्था को संभालते है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.