भोपाल। मध्य प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में व्यापारियों से लिए जाने वाला मंडी शुल्क अब 1.50 फीसदी की बजाय .50 फीसदी कर दिया गया है. यह छूट 14 नवंबर से आगामी तीन महीने के लिए रहेगी. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में ये निर्णय लिया गया है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार ने व्यापारियों से किए गए अपने वादे को पूरा कर दिया है. 3 महीने बाद इस छूट के परिणामों का अध्ययन कर फिर आगे के लिए फैसला लिया जाएगा.
पिछले साल हुई थी 12 सौ करोड़ की आय
साल 2019-20 में प्रदेश की कृषि उपज मंडी समितियों को मंडी फीस और अन्य स्रोत से कुल 12 सौ करोड़ रुपए की आई हुई थी. मंडी बोर्ड में करीब 4200 और मंडी समिति सेवा में करीब 2900 अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं. इसके अलावा 2970 सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारी हैं. इनके वेतन भत्तों पर पिछले साल 677 करोड़ रुपए का खर्च हुआ था.
तीन माह बाद फिर होगी समीक्षा
व्यापारियों के आश्वासन के बाद मंडी शुल्क में छूट देने का सरकार ने निर्णय लिया है. अगले तीन महीने की छूट के बाद अगर मंडियों में प्राप्त आय से मंडियों के संचालन उनके रखरखाव और कर्मचारियों के वेतन भत्तों की व्यवस्था बेहतर रूप से संचालित होती रही, तो राज्य शासन इस छूट को आगे भी जारी रखा जा सकता है.