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सरकार के पास बहुमत नहीं, इसलिए विधानसभा सत्र बुलाया जाना न्याय संगत नहीं : रामपाल सिंह

प्रदेश में 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र को लेकर कमलनाथ सरकार भले ही तैयारियां कर रही हो, लेकिन बीजेपी इसे न्याय संगत नहीं बता रही है. पूर्व मंत्री रामपाल सिंह कह रहे हैं कि सरकार अल्पमत में आ चुकी है. इस स्थिति में विधानसभा का सत्र बुलाने की बजाय उन्हें अपना बहुमत सिद्ध करना चाहिए.

Assembly session is not fair
विधानसभा का सत्र बुलाया जाना न्याय संगत नहीं
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Published : Mar 13, 2020, 9:22 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र को लेकर भले ही तैयारियां की जा रही हो, लेकिन विपक्ष विधानसभा सत्र को लेकर असमंजस की स्थिति में है. विपक्ष का मानना है कि सरकार अपना बहुमत खो चुकी है. ऐसी स्थिति में विधानसभा का सत्र बुलाया जाना न्याय संगत नहीं है. पहले सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करना चाहिए.

विधानसभा का सत्र बुलाया जाना न्याय संगत नहीं

विधानसभा सत्र के दौरान प्रदेश का बजट भी पेश किया जाना है, जिसे लेकर कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने तैयारियां भी कर ली थी. लेकिन अंतिन वक्त पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर लेना सरकार के लिए मुसीबत बन गया है. सिंधिया समर्थक 22 विधायक लगातार बेंगलुरु में बने हुए हैं और उन्होंने अपने इस्तीफे भी भेज दिए हैं. अब ऐसी स्थिति में सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करना सबसे बड़ी चुनौती है. इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष भी लगातार तैयारी कर रहा है और विधि विशेषज्ञों की राय ले रहा है.

प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री रामपाल सिंह का कहना है कि विधानसभा सत्र असमंजस की स्थिति में पहुंच गया है, क्योंकि सरकार बहुमत खो चुकी है. ऐसी स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के द्वारा विधि विशेषज्ञों से भी राय ली जा रही है. मैं स्वयं भी विधि विभाग का मंत्री रहा हूं. इसलिए इस व्यवस्था पर विचार मंथन किया जा रहा है कि आगे क्या किया जा सकता है. जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस स्वतंत्र है, उन्हें जहां जाना है, जा सकते हैं. कांग्रेस नेता भी स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं.

उन्हें न्यायालय और जनता के बीच में जाने का अधिकार है. लेकिन वे लोग अपना विश्वास खो चुके हैं और विश्वास खो जाने के बाद कांग्रेस को सरकार में एक पल भी नहीं रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट को लेकर क्या तैयारियां की गई है इस बारे में ज्यादा चर्चा नहीं की जा सकती है. लेकिन जल्दी ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता इस विषय पर मीडिया से चर्चा करेंगे. सरकार के पास बहुमत नहीं है, वो अब अल्पमत में आ गई है. इसलिए उन्हें कुर्सी छोड़ देनी चाहिए.

पूर्व कैबिनेट मंत्री ने आगे कहा कि प्रदेश में एक साल से लगातार हाहाकार मचा हुआ है. जितनी भी योजनाएं पहले चलाई जा रही थीं, वे सब पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है. कांग्रेस ने इस दौरान आपसी लड़ाई के अलावा कुछ नहीं किया है. ना किसानों का कर्ज माफ किया और ना ही बेरोजगारों को रोजगार भत्ता दिया. संबल योजना चल रही थी तो उसे भी बंद कर दिया. बेटियों को शादी में मिलने वाली राशि भी अब तक नहीं दी गई है. कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा है. अतिथि शिक्षक राजधानी में दो से तीन महीनों से डटे हुए हैं.

बेंगलुरु पहुंचे कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी के साथ हुई मारपीट को लेकर रामपाल सिंह ने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे जान-बूझकर भी इस तरह का नाटक करते हैं. उन्होंने पहले भी कुछ विधायकों को पकड़कर लाने की बात कही थी. लेकिन मीडिया के सामने उन्हीं विधायकों ने इस बात से इंकार कर दिया था कि उन्हें किसी ने भी नहीं पकड़ा है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र को लेकर भले ही तैयारियां की जा रही हो, लेकिन विपक्ष विधानसभा सत्र को लेकर असमंजस की स्थिति में है. विपक्ष का मानना है कि सरकार अपना बहुमत खो चुकी है. ऐसी स्थिति में विधानसभा का सत्र बुलाया जाना न्याय संगत नहीं है. पहले सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करना चाहिए.

विधानसभा का सत्र बुलाया जाना न्याय संगत नहीं

विधानसभा सत्र के दौरान प्रदेश का बजट भी पेश किया जाना है, जिसे लेकर कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने तैयारियां भी कर ली थी. लेकिन अंतिन वक्त पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर लेना सरकार के लिए मुसीबत बन गया है. सिंधिया समर्थक 22 विधायक लगातार बेंगलुरु में बने हुए हैं और उन्होंने अपने इस्तीफे भी भेज दिए हैं. अब ऐसी स्थिति में सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करना सबसे बड़ी चुनौती है. इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष भी लगातार तैयारी कर रहा है और विधि विशेषज्ञों की राय ले रहा है.

प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री रामपाल सिंह का कहना है कि विधानसभा सत्र असमंजस की स्थिति में पहुंच गया है, क्योंकि सरकार बहुमत खो चुकी है. ऐसी स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के द्वारा विधि विशेषज्ञों से भी राय ली जा रही है. मैं स्वयं भी विधि विभाग का मंत्री रहा हूं. इसलिए इस व्यवस्था पर विचार मंथन किया जा रहा है कि आगे क्या किया जा सकता है. जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस स्वतंत्र है, उन्हें जहां जाना है, जा सकते हैं. कांग्रेस नेता भी स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं.

उन्हें न्यायालय और जनता के बीच में जाने का अधिकार है. लेकिन वे लोग अपना विश्वास खो चुके हैं और विश्वास खो जाने के बाद कांग्रेस को सरकार में एक पल भी नहीं रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट को लेकर क्या तैयारियां की गई है इस बारे में ज्यादा चर्चा नहीं की जा सकती है. लेकिन जल्दी ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता इस विषय पर मीडिया से चर्चा करेंगे. सरकार के पास बहुमत नहीं है, वो अब अल्पमत में आ गई है. इसलिए उन्हें कुर्सी छोड़ देनी चाहिए.

पूर्व कैबिनेट मंत्री ने आगे कहा कि प्रदेश में एक साल से लगातार हाहाकार मचा हुआ है. जितनी भी योजनाएं पहले चलाई जा रही थीं, वे सब पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है. कांग्रेस ने इस दौरान आपसी लड़ाई के अलावा कुछ नहीं किया है. ना किसानों का कर्ज माफ किया और ना ही बेरोजगारों को रोजगार भत्ता दिया. संबल योजना चल रही थी तो उसे भी बंद कर दिया. बेटियों को शादी में मिलने वाली राशि भी अब तक नहीं दी गई है. कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा है. अतिथि शिक्षक राजधानी में दो से तीन महीनों से डटे हुए हैं.

बेंगलुरु पहुंचे कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी के साथ हुई मारपीट को लेकर रामपाल सिंह ने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे जान-बूझकर भी इस तरह का नाटक करते हैं. उन्होंने पहले भी कुछ विधायकों को पकड़कर लाने की बात कही थी. लेकिन मीडिया के सामने उन्हीं विधायकों ने इस बात से इंकार कर दिया था कि उन्हें किसी ने भी नहीं पकड़ा है.

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