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दिव्यांग और मूक बधिर छात्रों की किसी को नहीं फिक्र, ऑनलाइन एजुकेशन से नहीं बन पा रही बात - भोपाल न्यूज

कोरोना काल में ऑनलाइन एजुकेशन के चलते जहां संसाधनों की वजह से आधे से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित है तो वहीं दिव्यांग और मूक बधिर छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लासेस बेमतलब साबित हो रही हैं. सरकार की तरफ से मूक-बधिर छात्राओं के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

Online education system failed
दिव्यांग और मूक बधिर छात्रों की किसी को नहीं फिक्र
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Published : Aug 16, 2020, 9:01 AM IST

भोपाल। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के मद्देनजर मार्च से लागू लॉकडाउन के बाद से स्कूल और कॉलेज बंद हैं. बच्चे शिक्षा से दूर न हों, इसलिए स्कूल और कॉलेजों को शिक्षण संबंधी गतिविधियों के लिए ऑनलाइन शिक्षण माध्यमों का सहारा लेने पर मजबूर होना पड़ा है, लेकिन इस नयी व्यवस्था के चलते जहां संसधानों की वजह से आधे से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित है तो वहीं दिव्यांग और मूक बधिर छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लासेस बेमतलब साबित हो रही हैं.

दिव्यांग और मूक बधिर छात्रों की किसी को नहीं फिक्र

कोरोना के चलते पिछले पांच माह से स्कूल बंद हैं. ऐसे में इस साल स्कूली सत्र भी ऑनलाइन के माध्यम से ही शुरू हुआ है. छात्रों की कक्षाएं भी ऑनलाइन ही लगाई जा रही हैं. राजधानी के शासकीय स्कूलों में जहां संसाधनों की वजह से आधे से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित है तो वहीं जो छात्र बोल-सुन नहीं पाते या सामान्य रूप से ठीक नही हैं, वो पिछले पांच महीने से शिक्षा दूर हैं.

कोरोना काल में मूकबधिर और दिव्यांग बच्चे शैक्षणिक गतिविधियों से वंचित हैं, क्योंकि राजधानी भोपाल में लगभ 1100 ऐसे स्कूल हैं, जिसमें दिव्यांग और मूकबधिर छात्र अध्ययनरत हैं, जबकि 600 ऐसे स्कूल हैं, जिसमे स्पेशल चाइल्ड पढ़ते हैं. इन छात्रों के लिए छात्रावास भी बनाये गए हैं, जहां कई अभिभावक अपने बच्चों को उनके मानसिक विकास को विकसित करने के लिए छोड़ जाते हैं.

हालांकि लॉकडाउन के चलते ये छात्रावास खाली पड़े हुए हैं. क्योंकि कोरोना की शुरुआत में ही लॉकडाउन के पहले छात्रों को उनके घर भेज दिया गया था. भोपाल शहर में मूकबधिर और दिव्यांग छात्रों का केवल एक छात्रावास है, जबकि प्रदेश में इनके लिए कुल 60 छात्रावास हैं, जहां दिव्यांग और मूकबधिर छात्र रहते हैं.

इस मामले में प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि ऐसे छात्रों के लिए योजना बनाई जा रही जो सामान्य नहीं हैं. दिव्यांग और मूकबधिर छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए विभाग अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है और जल्द ही उन सभी छात्रों के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी.

लॉक डाउन के बाद स्कूलों को बंद किए हुए पांच महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. इतना समय गुजरने के बाद भी इन छात्रों के बारे में किसी ने नहीं सोचा. भोपाल के ईदगाह हिल्स स्थित शासकीय स्कूल की अधीक्षक प्रभा सोमवंशी ने बताया कि इन छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं से जोड़ पाना आसान नहीं है, क्योंकि जिन छात्रों को स्कूल में सामने बैठकर पढ़ाना इतना मुश्किल होता है, उन्हें ऑनलाइन एजुकेशन से जोड़ना बेहद कठिन है, हालांकि सभी छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए रिकॉर्ड लेक्चर भेजे जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें नियमित रूप से कक्षा से नहीं जोड़ा जा सकता.

भोपाल। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के मद्देनजर मार्च से लागू लॉकडाउन के बाद से स्कूल और कॉलेज बंद हैं. बच्चे शिक्षा से दूर न हों, इसलिए स्कूल और कॉलेजों को शिक्षण संबंधी गतिविधियों के लिए ऑनलाइन शिक्षण माध्यमों का सहारा लेने पर मजबूर होना पड़ा है, लेकिन इस नयी व्यवस्था के चलते जहां संसधानों की वजह से आधे से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित है तो वहीं दिव्यांग और मूक बधिर छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लासेस बेमतलब साबित हो रही हैं.

दिव्यांग और मूक बधिर छात्रों की किसी को नहीं फिक्र

कोरोना के चलते पिछले पांच माह से स्कूल बंद हैं. ऐसे में इस साल स्कूली सत्र भी ऑनलाइन के माध्यम से ही शुरू हुआ है. छात्रों की कक्षाएं भी ऑनलाइन ही लगाई जा रही हैं. राजधानी के शासकीय स्कूलों में जहां संसाधनों की वजह से आधे से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित है तो वहीं जो छात्र बोल-सुन नहीं पाते या सामान्य रूप से ठीक नही हैं, वो पिछले पांच महीने से शिक्षा दूर हैं.

कोरोना काल में मूकबधिर और दिव्यांग बच्चे शैक्षणिक गतिविधियों से वंचित हैं, क्योंकि राजधानी भोपाल में लगभ 1100 ऐसे स्कूल हैं, जिसमें दिव्यांग और मूकबधिर छात्र अध्ययनरत हैं, जबकि 600 ऐसे स्कूल हैं, जिसमे स्पेशल चाइल्ड पढ़ते हैं. इन छात्रों के लिए छात्रावास भी बनाये गए हैं, जहां कई अभिभावक अपने बच्चों को उनके मानसिक विकास को विकसित करने के लिए छोड़ जाते हैं.

हालांकि लॉकडाउन के चलते ये छात्रावास खाली पड़े हुए हैं. क्योंकि कोरोना की शुरुआत में ही लॉकडाउन के पहले छात्रों को उनके घर भेज दिया गया था. भोपाल शहर में मूकबधिर और दिव्यांग छात्रों का केवल एक छात्रावास है, जबकि प्रदेश में इनके लिए कुल 60 छात्रावास हैं, जहां दिव्यांग और मूकबधिर छात्र रहते हैं.

इस मामले में प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि ऐसे छात्रों के लिए योजना बनाई जा रही जो सामान्य नहीं हैं. दिव्यांग और मूकबधिर छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए विभाग अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है और जल्द ही उन सभी छात्रों के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी.

लॉक डाउन के बाद स्कूलों को बंद किए हुए पांच महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. इतना समय गुजरने के बाद भी इन छात्रों के बारे में किसी ने नहीं सोचा. भोपाल के ईदगाह हिल्स स्थित शासकीय स्कूल की अधीक्षक प्रभा सोमवंशी ने बताया कि इन छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं से जोड़ पाना आसान नहीं है, क्योंकि जिन छात्रों को स्कूल में सामने बैठकर पढ़ाना इतना मुश्किल होता है, उन्हें ऑनलाइन एजुकेशन से जोड़ना बेहद कठिन है, हालांकि सभी छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए रिकॉर्ड लेक्चर भेजे जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें नियमित रूप से कक्षा से नहीं जोड़ा जा सकता.

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