भोपाल। मेडिकल की पढ़ाई को हिंदी में कराने वाला मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य है. नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए महत्व दिया जा रहा है. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अब और निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल के लाल परेड मैदान से MBBS की हिंदी की पुस्तकों का विमोचन किया था. जिसके बाद हर विश्वविद्यालय अंग्रेजी में छपने वाली पुस्तकों का हिंदी में ट्रांसलेट कर छात्रों के लिए हिंदी में कोर्स भी शुरू कर रहा है. इसी कड़ी में अटल बिहारी विश्वविद्यालय ने भी चिकित्सा शास्त्र से जुड़े कई वोकेशनल कोर्स की पुस्तकें हिंदी में प्रकाशित की हैं. इनका विमोचन मंगलवार को किया गया.
हिन्दी में लिखित चिकित्सा शास्त्र की पुस्तकों का विमोचन: उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति ने इन पुस्तकों का विमोचन किया. इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि "भाषा मनुष्य के संस्कार, संचेतना और विकास का आधार होती है. भाषा की सहजता और प्रमाणिकता के द्वारा ही शिक्षार्जन संभव हो पाता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में मातृभाषा, प्रांतीय भाषा, भारतीय भाषाओं, अनुवाद और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को महत्व दिया जा रहा है. मध्यप्रदेश में चिकित्सा जैसे तकनीकी-व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पुस्तकों का हिन्दी में लेखन और अनुवाद का काम जारी है. मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी और अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा किया गया यह नवाचार सराहनीय है."
पुस्तकों के नाम: यहां डॉ. गणेशराम मेहर द्वारा लिखित तीन पुस्तकों 'डायलिसिस तकनीशियन', 'ऑपरेशन थिएटर तकनीशियन' और 'एक्सरे तकनीशियन', डॉ. प्रेमचन्द सवर्णकार द्वारा लिखित 'परिचयात्मक रोग विकृति विज्ञान और आधुनिक नैदानिक जांचे', डॉ. सुरेश तिवारी द्वारा लिखित 'पंच कर्म चिकित्सा के आधारभूत सिद्धांत' और डॉ. ए.के. द्विवेदी द्वारा लिखित 'मानव शरीर रचना विज्ञान' पुस्तक का विमोचन किया.
कर्मचारियों को अग्रिम शुभकामनाएं: सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय को जल केंद्रीय स्तर का दर्जा मिलने जा रहा है. जिसके लिए मंच से कर्मचारियों को अग्रिम शुभकामनाएं देती हूं. कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. खेमसिंह डहेरिया उपस्थित थे.