ETV Bharat / state

भोपाल साहित्य उत्सव का समापन, इतिहास, राजनीति और विज्ञान पर हुई चर्चा - Bhopal Literature Festival concludes

भोपाल के भारत भवन में चल रहे साहित्य एवं कला उत्सव के समापन में लेखकों ने अपनी किताबों के विषय पर चर्चा की.

Bhopal Literature Festival concludesBhopal Literature Festival concludes
भोपाल साहित्य उत्सव का समापन
author img

By

Published : Jan 13, 2020, 8:09 AM IST

भोपाल। शहर के भारत भवन में चल रहे भोपाल साहित्य एवं कला उत्सव का समापन हुआ. उत्सव के तीसरे दिन संस्कृति, इतिहास, पर्यावरण और खासतौर पर विज्ञान के विषयों पर चर्चा हुई. इसमें महेश रंगराजन, संतोष बकाया, मिहिर श्रीवास्तव, मृदुला रमेश, राजेश जोशी जैसे लेखकों ने अपनी किताबों और उनसे संबंधित विषयों के बारे में चर्चा की.

भोपाल साहित्य उत्सव का समापन

इस दौरान राजनीति पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ लेखक राजेश जोशी ने कहा कि आज के राजनेता साहित्य पढ़ते ही नहीं हैं. राजनीति और साहित्य के संबंधों को परिभाषित करते हुए राजेश जोशी कहते हैं कि साहित्य राजनीति का दिशा दर्शन होता है और संस्कृत ने भारतीय राजनीति को एक प्रखर दिशा दी है. आज के राजनेताओं का जुड़ाव साहित्य से नाम मात्र का है.

मधुबनी लोक कला के बारे में चर्चा करते हुए विनीता सेन ने कहा कि मधुबनी के चित्रकला पूरे विश्व में चर्चित हैं, क्योंकि कलाकार अपनी कृतियों में खुद को दर्शाता है. इन पेंटिंग्स में लोक नृत्य गीत, कथा वाचन और लोक प्रथाओं का वर्णन किया जाता है. वहीं इस चर्चा में अन्य लेखकों ने अपनी लिखी किताबों के बारे में चर्चा की.

भोपाल। शहर के भारत भवन में चल रहे भोपाल साहित्य एवं कला उत्सव का समापन हुआ. उत्सव के तीसरे दिन संस्कृति, इतिहास, पर्यावरण और खासतौर पर विज्ञान के विषयों पर चर्चा हुई. इसमें महेश रंगराजन, संतोष बकाया, मिहिर श्रीवास्तव, मृदुला रमेश, राजेश जोशी जैसे लेखकों ने अपनी किताबों और उनसे संबंधित विषयों के बारे में चर्चा की.

भोपाल साहित्य उत्सव का समापन

इस दौरान राजनीति पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ लेखक राजेश जोशी ने कहा कि आज के राजनेता साहित्य पढ़ते ही नहीं हैं. राजनीति और साहित्य के संबंधों को परिभाषित करते हुए राजेश जोशी कहते हैं कि साहित्य राजनीति का दिशा दर्शन होता है और संस्कृत ने भारतीय राजनीति को एक प्रखर दिशा दी है. आज के राजनेताओं का जुड़ाव साहित्य से नाम मात्र का है.

मधुबनी लोक कला के बारे में चर्चा करते हुए विनीता सेन ने कहा कि मधुबनी के चित्रकला पूरे विश्व में चर्चित हैं, क्योंकि कलाकार अपनी कृतियों में खुद को दर्शाता है. इन पेंटिंग्स में लोक नृत्य गीत, कथा वाचन और लोक प्रथाओं का वर्णन किया जाता है. वहीं इस चर्चा में अन्य लेखकों ने अपनी लिखी किताबों के बारे में चर्चा की.

Intro:भोपाल- राजधानी भोपाल के भारत भवन में चल रहे भोपाल साहित्य एवं कला उत्सव का समापन हुआ उत्सव के तीसरे दिन संस्कृति इतिहास पर्यावरण और खासतौर पर विज्ञान के विषयों पर चर्चा हुई।
आज महेश रंगराजन, संतोष बकाया, मिहिरश्रीवास्तव, मृदुला रमेश, राजेश जोशी जैसे लेखकों ने अपनी किताबों और उनसे संबंधित विषयों के बारे में चर्चा की।


Body:सही तो राजनीति राजनीति पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ लेखक राजेश जोशी ने कहा कि आज के राजनेता साहित्य पढ़ते ही नहीं है और आज जितने अनपढ़ नेता हिंदुस्तान के इतिहास में पहले नहीं हुए हैं। राजनीति और साहित्य के संबंधों को परिभाषित करते हुए राजेश जोशी कहते हैं कि साहित्य राजनीति का दिशा दर्शन होता है और संस्कृत साहित्य ने भारतीय राजनीति को एक प्रखर दिशा दी है। आज के राजनेताओं का जुड़ाव साहित्य से नाम मात्र का है।

मधुबनी लोक कला के बारे में चर्चा करते हुए विनीता सेना ने कहा कि मधुबनी के चित्रकला पूरे विश्व में चर्चित है क्योंकि कलाकार अपनी कृतियों में खुद को दर्शाता है इन पेंटिंग्स में लोक नृत्य गीत कथा वाचन और लोक प्रथाओं का वर्णन किया जाता है।


Conclusion:जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर द क्लाइमेट सॉल्यूशन इंडिया क्लाइमेट चेंज क्राइसिस एंड व्हाट वी कैन डू अबाउट इट की लेखिका मृदुला रमेश ने बताया कि हमें आज समाधान के बारे में सोचने की जरूरत है भारत का प्रमुख हिस्सा इस बात की परवाह नहीं करता है कि अगले सप्ताह क्या होगा इसलिए राजनेता भी इस विषय के आधार पर मतदाताओं से नहीं पूछते हैं।

समापन के दिन कई किताबों का भी विमोचन किया गया।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.