भोपाल, (भाषा-पीटीआई) मध्य प्रदेश में नवनिर्वाचित 230 विधायकों में से 90 (लगभग 39 फीसदी) पर आपराधिक मामले चल रहे हैं. इनमें से 34 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसके अन्य मानदंडों के अलावा अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान है. इन विधायकों ने नामाकंन भरते समय हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले घोषित किये थे. एक गैर लाभकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) के अनुसार, 2018 के चुनाव में 94 विधायक (41 फीसदी) ऐसे थे, जिन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की थी.
34 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले: एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में यह संख्या घटकर 90 रह गई है, जो 230 सदस्यीय सदन का लगभग 39 प्रतिशत है. यह भी बताया कि इनमें से 34 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि 2018 में ऐसे विधायकों की संख्या 47 थी. शिवपुरी जिले के पिछोर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक प्रीतम लोधी एकमात्र हैं जिन पर हत्या का आरोप है. इसके अलावा पांच अन्य नवनिर्वाचित विधायकों पर हत्या के प्रयास का आरोप है.
तीन विधायकों पर महिला अपराध दर्ज: रिपोर्ट में कहा गया कि तीन उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ महिलाओं से संबंधित आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की थी. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 2018 की 109 सीट की तुलना में इस बार 163 सीट हासिल की, जबकि कांग्रेस 2018 जीती 114 सीट की तुलना में इस बार 66 पर सिमट गई. इसके अलावा, भारत आदिवासी पार्टी एक सीट जीतने में सफल रही.
भाजपा के 51, कांग्रेस के 16 विधायकों पर केस: एडीआर ने कहा कि भाजपा के 163 में से 51 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 16 पर गंभीर मामले दर्ज हैं. कांग्रेस के 38 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 17 विधायक गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं. भारत आदिवासी पार्टी के एकमात्र विजयी उम्मीदवार पर भी आपराधिक मामला चल रहा है