भोपाल। मध्यप्रदेश में बीते दो सालों के दौरान स्कूलों में बच्चों की संख्या में करीब 28 फीसदी तक की कमी आई है, इन बीते दो सालों में प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन की संख्या में सबसे ज्यादा कमी आई है. सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं क्लास तक के 10.89 फीसदी एडमिशन कम हुए, वहीं प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन की दर 28.43 फीसदी तक गिर गई है.
स्कूलों में बच्चों की कमी को लेकर कोरोना काल से गड़बड़ाई लोगों की आर्थिक हालात को बताया जा रहा है, शिक्षक कांग्रेस के पदाधिकारियों के मुताबिक कोरोना के बाद लोगों के काम धंधे बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं, यही वजह है कि लोगों ने प्राइवेट स्कूलों में एडमिषन कराने में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई. उधर स्कूल शिक्षा मंत्री के मुताबिक सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि आर्थिक कारणों की वजह से कि किसी बच्चें का एडमिशन नहीं रूकना चाहिए.
सरकारी से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में घटे एडमिशन
मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी के बाद से प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या में कमी आई है, प्राइवेट स्कूलों में साल 2019-20 में कक्षा 1 से लेकर 8 वीं तक 42.14 लाख बच्चों का एडमिशन हुआ था, वहीं 2020-21 में प्राइवेट स्कूलों में 39.59 लाख बच्चों का ही एडमिशन कराया गया.
इसी तरह इस साल यानी 2021-22 में पहली से 8 वीं तक के 30.16 लाख बच्चों के ही एडमिशन प्राइवेट स्कूलों में हुए हैं, इस तरह बीते दो सालों में प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के एडमिशन की संख्या में करीब 28.43 फीसदी कमी आई है.
इसी तरह सरकारी स्कूलों में साल 2019-20 में पहली से आठवीं क्लास तक के 64.97 फीसदी बच्चों के एडमिशन हुए थे, साल 2020-21 में एडमिषन के आंकड़ा घटकर 62.80 लाख पर आ गया। वहीं इस साल यानी साल 2021-22 में पहली से आठवीं तक के बच्चों का सरकारी स्कूलों में 57.80 लाख एडमिशन हुए हैं, इस तरह बीते दो सालों में करीब 11 फीसदी बच्चों के दाखिलों में गिरावट आई है.
प्रदेश के इन जिलों में सबसे ज्यादा आई कमी
प्रदेश में कक्षा पहली से आठवीं तक पिछले साल की तुलना में इस साल मंदसौर में सबसे कम 63.6 फीसदी एडमिशन हुए हैं, मंदसौर में पिछले साल बच्चों की दर्ज संख्या 2.12 लाख थी, जबकि इस साल यह घटकर 1.35 लाख ही रह गई है
स्कूलों में एडमिशन की स्थिति
भोपाल में इस साल सिर्फ 71 फीसदी ही एडमिशन हुए, पिछले साल भोपाल के सरकारी और निजी स्कूलों में 2.84 लाख एडमिशन हुए थे, जबकि इस साल 2 लाख एडमिशन ही हो सके हैं, भोपाल में सरकारी स्कूलों के मुकाबले प्राइवेट स्कूलों में कम एडमिशन हुए हैं. शहर के प्राइवेट स्कूलों में सिर्फ 67.1 फीसदी एडमिशन ही हुए हैं, इसी तरह आगर मालवा में 73 फीसदी एडमिशन ही हुए हैं. यहां भी प्राइवेट स्कूलों में सिर्फ 62.3 फीसदी एडमिशन ही हो सके हैं.
इन जिलों में सबसे ज्यादा एडमिशन
छतरपुर में सबसे ज्यादा 91.7 फीसदी एडमिशन हुए हैं, छतरपुर में प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक 2.95 लाख बच्चों के दाखिले हुए.
बडवानी में 91.1 फीसदी बच्चों के एडमिशन हुए हैं, बड़वानी में इस साल 1.85 लाख बच्चों ने एडमिशन कराए.
बड़े शहरों के प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन की स्थिति
इंदौर - 69.1 फीसदी बच्चों के एडमिशन
जबलपुर - 69.6 फीसदी बच्चों के एडमिशन
भोपाल - 67.1 फीसदी बच्चों के एडमिशन
ग्वालियर - 66.7 फीसदी बच्चों के एडमिशन
बड़े शहरों के सरकार स्कूलों में एडमिशन की स्थिति
इंदौर - 83.6 फीसदी बच्चों के एडमिशन
जबलपुर - 86.3 फीसदी बच्चों के एडमिशन
भोपाल - 81.2 फीसदी बच्चों के एडमिशन
ग्वालियर - 87.4 फीसदी बच्चों के एडमिशन
2 लाख प्रवासी परिवारों का हुआ पलायन
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा हर साल स्कूलों में प्रवेश के लिए गृह संपर्क कार्यक्रम आयोजित करता है, इसके तहत इस साल चलाए गए गृह संपर्क अभियान के बाद भी प्रवासी मजदूरों के करीब 65,000 बच्चों का स्कूलों में प्रवेश नहीं कराया जा सका, कार्यक्रम के दौरान पता चला है कि 2 लाख 7 हज़ार बच्चों का परिवार पलायन कर चुका है.
स्कूली शिक्षा के साथ मजाक कर रही सरकार- कांग्रेस
बीते 2 सालों में स्कूलों में एडमिशन की दरों में गिरावट को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि प्रदेश सरकार शिक्षा के साथ मजाक कर रही है, रीवा संभाग में 700 से ज्यादा स्कूल बंद करने की तैयारी है, स्कूलों में 28 फीसदी तक प्रवेश कम हो गए हैं और सरकार सिर्फ आंखें बंद कर काम करने में जुटी है, सरकार को ना आम जनता की फिक्र है और ना ही स्कूलों की, प्रदेश में स्कूली शिक्षा व्यवस्था की हालत खराब है, सरकारी स्कूल लगातार बंद हो रहे हैं.
स्कूल शिक्षा मंत्री बोले सभी जिलों को दिए गए हैं निर्देश
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार स्कूलों में एडमिशन की कमी के लिए प्रवासी मजदूरों को बड़ी वजह बता रहे हैं, उनके मुताबिक कोरोना के दौरान बड़ी संख्या में लोग इधर से उधर हुए हैं, यही वजह है कि सरकारी स्कूलों में एडमिशन कम हुए हैं, इसको लेकर सभी जिलों के डीईओ को निर्देश दिए गए हैं कि पैसों की वजह से किसी भी बच्चे का एडमिशन प्रभावित नहीं होना चाहिए.