भिंड। मध्यप्रदेश सरकार किसानों को राहत देने के लिए समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी करने की व्यवस्था की है, लेकिन सब्जी उगाने वाले किसान भारी नुकसान का सितम झेल रहे हैं. कोरोना के चलते सब्जी उत्पादक किसान भूखो मरने की कगार पर आ गए हैं, कारण है समय पर पकी फसल का न कट पाना और जिससे अब सब्जियां खेतों में ही सड़ गई है और मंडी में कोई भी व्यापारी इनसे सब्जियां नहीं खरीद रहा है.
कभी मौसम की मार तो कभी सही दाम न मिलने से किसानों की फसलें बर्बाद होती जा रही हैं, लेकिन भिंड के दबोहा गांव की इन तस्वीरों में दिख रही फसल लॉकडाउन की भेंट चढ गई है, किसान अपने खेतों पर जाकर समय से फसल नहीं काट सके और जिनके मंडी तक न ले जा पाने का नतीजा ये हुआ कि हरी धनिया, गोभी, टमाटर, मिर्ची, बैगन और पत्ता गोभी जैसी सब्जियां पूरी तरह चौपट हो गईं.
किसानों की लागत पर लगा चूना
बर्बादी का सितम बयां करते वक्त किसानों की आंखें भर आईं, किसान आज बर्बाद हो चुका है, उधार लेकर, लोन लेकर या जमा पूंजी लगाकर बीज बोया था, लेकिन लॉकडाउन ने पूरी फसल पर पानी फेर दिया. आज इन किसानों को मुनाफे की नहीं बस इस बात की चिंता है कि इनकी लागत तक नहीं निकल पाई है.
सड़ने की वजह से नहीं बिक रही सब्जियां
गांव के किसान ने बताया कि अपने खेत में टमाटर और धनिया बोया था, समय पर नहीं काट पाने की वजह से सात फीसदी फसल पहले ही बर्बाद हो गई है, बची फसल की भी समय पर कटाई न होने और गर्मी की वजह से सड़ रही है, जिसे कोई खरीदना नहीं चाहता.
वहीं जो धनिया आम दिनों में 25 रुपए किलो के हिसाब से बिकता था, उसे अब तीन रुपए किलो में भी व्यापारी नहीं खरीद रहे हैं. किसान ने बताया कि 5 हेक्टेयर में पत्ता गोभी लगाया था, लेकिन आज सिर्फ एक हेक्टेयर में ही बचा है, समय पर कटाई न होने से उसमें कीड़े लग गए और बचा हुआ अब दिख नहीं रहा, ऐसे में लागत पूरी तरह डूब गई है.
ये है कलेक्टर का कहना
कलेक्टर का कहना है कि कोई भी सब्जी मंडी बंद नहीं है, ट्रांसपोर्ट पर रोक नहीं है, ऐसे में किसान अगर अपनी सब्जियां बेचना चाहते हैं तो वह निश्चिंत होकर सब्जी मंडी जा सकते हैं, उन्हें लगता है कि उन्हें कोई रोकेगा तो अपने क्षेत्र के एसडीएम से बात कर ले, वहां से पास जारी हो जाएंगे. सरकार ने अति आवश्यक वस्तुओं में शामिल सब्जियों की आपूर्ति की घोषणा तो की है, लेकिन उनकी खरीदी के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं कराया है.