Guru Vakri 2023: ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह में जिस गृह को सबसे शुभ कहा जाता है. वह है गुरु यानी बृहस्पति ग्रह. माना जाता है कि जिस जातक पर बृहस्पति की कृपा हो जाये उसमें सात्विक गुणों का विकास होता है. आने वाली चार सितंबर को यह ग्रह एक बड़ा बदलाव लेकर आ रहा है. ज्योतिष शास्त्रियों की गणना के अनुसार 4 सितंबर को सुख और सौभाग्य के कारक बृहस्पति ग्रह शाम 4 बजकर 58 मिनट पर मेष राशि में वक्री होने जा रहे हैं. इसका असर पांच राशियों पर होने वाला है. जो अनुकूल नहीं होगा. मतलब साफ है इन राशियों के लिए समय कठिन हो सकता है. खासकर तब जब मेष राशि में राहु की मौजूदगी गुरु चांडाल योग का निर्माण करेगी.
मेष राशि: इस राशि में बृहस्पति कुंडली के पहले भाव में वक्री होने जा रहे हैं. इसके साथ-साथ ही उनकी दृष्टि पांचवें-सातवें और नौवें भाव पर भी रहेगी. इसके परिणाम स्वरूप इस वक्री बृहस्पति आपके सोच विचार की क्षमता पर असर डालेंगे. आप गलत निर्णय ले सकते हैं, परिवार में पिता के साथ विचार मेल खाने की संभावना कम है. साथ ही पिता की बीमारी एक बार फिर आपकी परेशानी बढ़ा सकती है. खर्चों में बढ़ोतरी होगी, परिवार में किसी सदस्य की बीमारी के चलते अस्पताल के खर्चे बेवजह बढ़ सकते हैं.
वृषभ: वृषभ राशि में बृहस्पति कुंडली में बारहवें भाव में वक्री होंगे. इसके साथ साथ छठवें और आठवें भाव पर भी दृष्टि रखेंगे. जिसके परिणामस्वरूप आपके जीवन में परेशानियों की वृद्धि होगी. गलत निर्णय आर्थिक नुकसान पहुंचाएंगे. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी आपके आर्थिक खर्चों को बढ़ा सकती है.
कर्क: इस राशि के जातकों की कुंडली में बृहस्पति दसवें भाव में वक्री होंगे. वहीं उनकी दृष्टि दूसरे, चौथे और छठवें भाव पर भी रहेगी. इस बदलाव के चलते आपके जीवन में अस्थिरता आ सकती है. नौकरीपेशा जातकों को कार्यक्षेत्र संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, पिता के साथ भी रिश्ते में समस्या आ सकती है. साथ ही उनकी वही पुरानी बीमारी दोबारा से परेशान कर सकती है.
सिंह: सिंह राशि के जातकों के लिए भी बृहस्पति का वक्री होना अशुभ साबित होगा. इस राशि में बृहस्पति कुंडली के नवें भाव में वक्री होंगे. साथ ही साथ पहले तीसरे और पांचवें भाव पर भी इसकी दृष्टि रहेगी. जिसके फलस्वरूप जातक को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है. प्रेम संबंधी व्यवस्था बिगड़ सकती है. सावधानी बरतने की भी जरूरत है. लंबी दूरी की यात्रा भी करनी पड़ सकती है, लेकिन इसमें काफी कठिनाइयां सामने आने की संभावना है.
धनु: इस राशि के जातकों की कुंडली में गुरु की चाल पांचवें भाव में वक्री होगी. वहीं इसकी नजर पहले नौवें और ग्यारहवें भाव पर भी रहेगी. जिसकी वजह से डायबटीज और अन्य सेहत संबंधी समस्याएं बढ़ सकती है. इसका असर आपकी माता के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है.
कैसे बचे वक्री बृहस्पति के दुष्प्रभाव से: हमें यह तो बता दिया कि इन राशियों पर किस तरह की परिस्थितियां बृहस्पति के वक्री होने पर बनेगी है, लेकिन दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय हैं, जो राशियों के जातक के लिए फायदेमंद साबित होंगे. जब मेष राशि में बृहस्पति वक्री हो तो जातक को प्रत्येक बृहस्पतिवार को व्रत रखना चाहिए. साथ ही साथ बृहस्पति यंत्र की स्थापना कर पूजा अर्चना भी करना चाहिए. इसके अलावा अक्सर पीले रंग के वस्त्र पहनें और अपनी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति के आधार पर पीला नीलम रत्न पहनें.
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं, ज्योतिष गणना और ज्योतिषविदों की जानकारी के आधार पर है, ETV Bharat इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता.)