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अपार सम्भावनाओं से आने वाले समय में भिंड बन सकता है स्पोर्ट्स हब, पढ़ें उपलब्धि

भिंड की पहचान नए वॉटर स्पोर्ट्स हब के रूप में बन रही है, लेकिन सिर्फ जल क्रीड़ा ही नहीं इस क्षेत्र में अनेकों खेलों की सम्भावनाएं हैं. इस खास रिपोर्ट के जरिए जानिए किस तरह चम्बल की माटी देश विदेश में अपनी अलग पहचान बना रही है.

puja ojha
पूजा ओझा
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Published : Oct 8, 2021, 10:54 AM IST

Updated : Oct 9, 2021, 9:21 AM IST

भिंड। जिले की तस्वीर अब बदलने लगी है. अब चम्बल अंचल में बंदूकों की जगह मेडल नजर आने लगे हैं. यहां का युवा प्रदेश और देश में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अंचल का नाम रोशन कर रहा है. भिंड की पहचान नए वॉटर स्पोर्ट्स (Water Sports) हब के रूप में बन रही है, लेकिन सिर्फ जल क्रीड़ा ही नहीं इस क्षेत्र में अनेकों खेलों की सम्भावनाएं हैं. इस खास रिपोर्ट के जरिए जानिए किस तरह चम्बल की माटी देश विदेश में अपनी अलग पहचान बना रही है.

Puja Ojha
पूर्व कोच हितेंद्र सिंह तोमर के साथ पूजा ओझा.

पैरा ओलम्पिक के सफर का सहारा बना गौरी सरोवर
कुछ साल पहले भिंड के गौरी सरोवर में राष्ट्रीय स्तर की कैनो कयाकिंग वॉटर स्पोर्ट्स नेशनल चेंपियनशिप (Canoe Kayaking Water Sports National Championship) आयोजित हुई, जिसने जिले की पहचान को नया आयाम दिया. यहां देश भर के युवा खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में शामिल हुए. इसका असर यह हुआ कि क्षेत्रीय खिलाड़ियों और युवकों में वॉटर स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने और सीखने की अलख जगा दी. भिंड की रहने वाली पूजा ओझा (Puja Ojha) जो एक दिव्यांग खिलाड़ी हैं, ने पैरा कैनो कयाकिंग (Para Canoe Kayaking) में तीन बार नेशनल चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक लिया, एक बार अंतरराष्ट्रीय कैनो चैम्पियनशिप में हंगरी जाकर देश का प्रतिनिधित्व किया और दूसरा स्थान लाकर देश के नाम रजत पदक हासिल किया.

puja ojha
टीम के साथ पूजा ओझा साथ में कोच भी.

चार वर्षों में ही पूजा ने कई गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते और अब 2022 में आयोजित होने वाली एशियाड में हिस्सा लेने की तैयारी कर रही हैं. इनकी तरह ही ग्वालियर की प्राची यादव ने तो इस साल आयोजित हुए पैरा ओलम्पिक गेम्स 2020 में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. प्राची यादव ने भी भिंड के गौरी सरोवर पर लम्बे समय तक प्रैक्टिस की थी. यहीं से निकलकर पैरा ओलम्पिक तक का सफर तय किया.

puja ojha
पूजा ओझा कैनो कयाकिंग की पैरा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी.

भिंड में बन रही प्रदेश की दूसरी वॉटर स्पोर्ट्स ट्रेनिंग अकादमी
वॉटर स्पोर्ट्स ने भिंड को नयी पहचान दी है. खासकर 2017 में आयोजित हुई नेशनल कैनो चैम्पियनशिप के बाद केंद्र सरकार की स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Sports Authority of India) भोपाल के बाद अब इसी गौरी सरोवर पर प्रदेश का दूसरा वॉटर स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर (Sports Training Center) बनाने जा रही है, जिसके लिए विभाग कागजी कार्रवाई पूरी करने के साथ ही इसे बनाने की जिम्मेदारी भी पुलिस हाउसिंग सोसायटी को दे चुका है. जगह भी चिहिन्त हो चुका है. करीब 6 करोड़ की राशि भी स्वीकृत हो चुकी है. आने वाले कुछ वर्षों में यहां प्रदेश भर से युवा खिलाड़ी वॉटर स्पोर्ट्स की अलग-अलग विधाओं के गुर सीखने और प्रैक्टिस के लिए आएंगे, जिसका बड़ा फायदा भिंड को होगा. यहां रोजगार के अलावा खिलाड़ियों के लिए भी नए आयाम स्थापित होंगे. भिंड के युवाओं में भी खेल के प्रति सकारात्मक झुकाव देखने को मिलेगा.

prachi yadav
प्राची यादव पैरा ओलंपिक खिलाड़ी.

मार्शल गेम्स में भिंड की माटी का कोई सानी नहीं
भिंड जिले में सिर्फ वॉटर स्पोर्ट्स ही नहीं बल्कि मार्शल गेम्स यानि बल और स्फूर्ति से जुड़े खेल की भी अपार संभावनाएं समेटे हुए हैं. बीते कुछ वर्षों में किशोर और युवाओं में कराटे, ताईक्वांडो कुश्ती जैसे खेलों में काफी रुचि देखी गयी है, लेकिन संसाधनों की कमी की वजह से बच्चे उतना निखर नहीं पाते हैं. फिर भी जिले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निकले हुए एक दर्जन से ज्यादा खिलाड़ियों में ताइक्वांडो और कराटे के खिलाड़ी भी शामिल हैं. जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर मेडल अपने नाम किए. भिंड से निकले गौरव यादव, दीपक नरवरिया जैसे- खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टीम का हिस्सा रहे. वर्तमान में भिंड शहर में बने एमजेएस क्रिकेट ग्राउंड के पास संचालित आधुनिक व्यायामशाला में खेल एवं युवा कल्याण विभाग की ओर से मार्शल आर्ट्स, किक-बॉक्सिंग जैसी विधाओं की ट्रेनिंग दी जाती है, जिनके ना सिर्फ लड़के बल्कि लड़कियां भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. यहां विभाग की ओर से पदस्थ खेल प्रशिक्षक संजय सिंह द्वारा प्रशिक्षण लेकर हाल ही में युवा खिलाड़ी आदेश मिक्स मार्शल आर्ट्स की नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत कर लाए हैं.

gaurav Yadav
गौरव यादव ताइक्वांडों खिलाड़ी.

कबड्डी, एथलटिक्स, कुश्ती में भी अपार सम्भावनाएं
कैनो कयाकिंग फेडरेशन के संरक्षक और खेल प्रशिक्षक राधे गोपाल यादव मानते हैं कि चम्बल की माटी में ही कुछ ऐसा है की यहां के खिलाड़ियों में अलग ही जुझारूपन है. यहां के खिलाड़ियों की मांग भोपाल तक के कोच करते हैं. खासकर मार्शल गेम्स में बच्चे बहतरीन प्रदर्शन करते हैं. उनका मानना है कि वॉटर स्पोर्ट्स के अलावा ताइक्वांडो, कराटे, कुश्ती जैसे खेलों में बच्चे अच्छा प्रदर्शन करते हैं. इस वजह से पिछले कुछ सालों में भिंड से बहुत खिलाड़ी देश और विदेश में देश के लिए खेलने गए हैं.

raju bhadoriya
खिलाड़ी राजू भदौरिया.

एथलेटिक्स में भी भिंड के युवाओं के लिए अच्छी सम्भावना हैं, क्योंकि जिन खेलों में ताकत की जरूरत होती है, वह कैपिसिटी चम्बल अंचल के बच्चों में अच्छी है. यहां भाला फेंक, डिस्कस थ्रो जैसे खेलों में बच्चे काफी आगे तक जा सकते है. उन्होंने भिंड के विजय सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि भिंड के विजय सिंह ने डेकाडोर में लगातार 20 साल तक एशिया रिकॉर्ड अपने नाम रखा. खुद राधे गोपाल यादव की बेटी श्रेया यादव वॉटर स्पोर्ट्स में भारतीय टीम में शामिल हो चुकि हैं. हालांकि उन्हें अभी किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाया है, लेकिन जल्द वे भी विश्व पटल पर अपना नाम लिखा कर भिंड का नाम रोशन करेंगी.

adesh sagar
मिक्स मार्शल आर्ट खेलते आदेश सगर.

कमियां जिन्हें सुधारने की जरूरत
राधे गोपाल यादव के मुताबिक कुछ कमियां भी हैं, जिन्हें सुधार की जरूरत है. भिंड में खिलाड़ियों के लिए किसी भी खेल में अपर्याप्त सुविधाएं एक बड़ी समस्या है. उनका कहना है कि चाहे एथलेटिक्स हो या अन्य खेल विभाग ने पर्याप्त ट्रेनिंग टूल्स की बहुत कमी है. दूसरा उनका मानना है कि यहां के बच्चों में अनुशासन की भी कमी है, जिसकी वजह से कई बार अच्छा खेलने के बाद भी वे आगे नही बढ़ पाते. तीसरी सबसे बड़ी कमी है अच्छे कोच की क्योंकि कोच में एक लीडरशिप क्वालिटी होना चाहिए, जो अपने प्रशिक्षुओं को अनुशासित होकर खेलना सिखा सके और आगे बढ़ने में मदद करे. हालांकि भिंड में वॉटर स्पोर्ट्स को मिल रहे रिस्पोंस से जिला कलेक्टर भी काफी प्रभावित हैं. ऐसे में उन्होंने जल्द ही कैनो खिलाड़ियों के लिए लाइफ जैकेट्स और अन्य संसाधन उपलब्ध कराने की भी बात कही है.

adesh sagar
मिक्स मार्शल आर्ट में आदेश सगर ने जीता था मेडल.

वे खिलाड़ी जिन्होंने विश्व पटल पर नाम किया रोशन
प्राची यादव, पूजा ओझा, गजेंद्र कुशवाह, अजातशत्रु शर्मा ये वे दिव्यांग खिलाड़ी हैं जो दूसरों के लिए मिसाल बन चुके हैं. इन्होंने विदेशी धरती पर पानी जैसे खतरनाक खेल में भी भिंड का नाम रोशन किया है. राजू भदौरिया तो वह खिलाड़ी हैं, जिन्होंने इसी साल घुड़सवारी में भारतीय टीम में अपनी जगह बनायी है. दीपक नरवरिया ने कराटे में तो गौरव यादव और आशुतोष यादव ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में प्रतिद्वंदियों को धूल चटा दी. इनके अलावा और भी खिलाड़ी हैं जो अंचल का नाम रोशन कर रहे हैं, और ना जाने कितने ही और खिलाड़ी यहां से आगे बढ़ने को बेताब हैं.

आने वाले समय में परिस्थितियां और बदलेंगी और वॉटर स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर की तरह अन्य खेलों से जुड़े केंद्र और अकादमी भी भिंड में शुरू होंगी और जल्द भिंड एक नए स्पोर्ट्स हब के रूप में अपनी पहचान बनाएगा.

राधे गोपाल यादव, संरक्षक, कैनो कयाकिंग फेडरेशन

खेल दिवस विशेष: दिव्यांगता को मात देकर पूजा बनीं देश की पहली महिला कैनो कयाकिंग खिलाड़ी

भिंड में बच्चे काफी कुशल हैं. उन्हें बस ठीक से ट्रेनिंग की जरूरत है, जिसके लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा समय-समय पर कैंप आयोजित किए जाते हैं. इन कैम्पस में जिन बच्चों का परफॉर्मेंस अच्छा होता है- वे आगे खेलना चाहते हैं. उन्हें आगे भी ट्रेनिंग दी जाती है. हाल ही में मिक्स मार्शल आर्ट्स में युवा खिलाड़ी आदेश सगर ने नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया है. हम लगातार बच्चों को प्रोत्साहित करने और अच्छे से ट्रेनिंग कराने पर फोकस करते हैं.

संजय सिंह, खेल प्रशिक्षक, खेल एवं युवा कल्याण विभाग

भिंड। जिले की तस्वीर अब बदलने लगी है. अब चम्बल अंचल में बंदूकों की जगह मेडल नजर आने लगे हैं. यहां का युवा प्रदेश और देश में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अंचल का नाम रोशन कर रहा है. भिंड की पहचान नए वॉटर स्पोर्ट्स (Water Sports) हब के रूप में बन रही है, लेकिन सिर्फ जल क्रीड़ा ही नहीं इस क्षेत्र में अनेकों खेलों की सम्भावनाएं हैं. इस खास रिपोर्ट के जरिए जानिए किस तरह चम्बल की माटी देश विदेश में अपनी अलग पहचान बना रही है.

Puja Ojha
पूर्व कोच हितेंद्र सिंह तोमर के साथ पूजा ओझा.

पैरा ओलम्पिक के सफर का सहारा बना गौरी सरोवर
कुछ साल पहले भिंड के गौरी सरोवर में राष्ट्रीय स्तर की कैनो कयाकिंग वॉटर स्पोर्ट्स नेशनल चेंपियनशिप (Canoe Kayaking Water Sports National Championship) आयोजित हुई, जिसने जिले की पहचान को नया आयाम दिया. यहां देश भर के युवा खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में शामिल हुए. इसका असर यह हुआ कि क्षेत्रीय खिलाड़ियों और युवकों में वॉटर स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने और सीखने की अलख जगा दी. भिंड की रहने वाली पूजा ओझा (Puja Ojha) जो एक दिव्यांग खिलाड़ी हैं, ने पैरा कैनो कयाकिंग (Para Canoe Kayaking) में तीन बार नेशनल चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक लिया, एक बार अंतरराष्ट्रीय कैनो चैम्पियनशिप में हंगरी जाकर देश का प्रतिनिधित्व किया और दूसरा स्थान लाकर देश के नाम रजत पदक हासिल किया.

puja ojha
टीम के साथ पूजा ओझा साथ में कोच भी.

चार वर्षों में ही पूजा ने कई गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते और अब 2022 में आयोजित होने वाली एशियाड में हिस्सा लेने की तैयारी कर रही हैं. इनकी तरह ही ग्वालियर की प्राची यादव ने तो इस साल आयोजित हुए पैरा ओलम्पिक गेम्स 2020 में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. प्राची यादव ने भी भिंड के गौरी सरोवर पर लम्बे समय तक प्रैक्टिस की थी. यहीं से निकलकर पैरा ओलम्पिक तक का सफर तय किया.

puja ojha
पूजा ओझा कैनो कयाकिंग की पैरा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी.

भिंड में बन रही प्रदेश की दूसरी वॉटर स्पोर्ट्स ट्रेनिंग अकादमी
वॉटर स्पोर्ट्स ने भिंड को नयी पहचान दी है. खासकर 2017 में आयोजित हुई नेशनल कैनो चैम्पियनशिप के बाद केंद्र सरकार की स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Sports Authority of India) भोपाल के बाद अब इसी गौरी सरोवर पर प्रदेश का दूसरा वॉटर स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर (Sports Training Center) बनाने जा रही है, जिसके लिए विभाग कागजी कार्रवाई पूरी करने के साथ ही इसे बनाने की जिम्मेदारी भी पुलिस हाउसिंग सोसायटी को दे चुका है. जगह भी चिहिन्त हो चुका है. करीब 6 करोड़ की राशि भी स्वीकृत हो चुकी है. आने वाले कुछ वर्षों में यहां प्रदेश भर से युवा खिलाड़ी वॉटर स्पोर्ट्स की अलग-अलग विधाओं के गुर सीखने और प्रैक्टिस के लिए आएंगे, जिसका बड़ा फायदा भिंड को होगा. यहां रोजगार के अलावा खिलाड़ियों के लिए भी नए आयाम स्थापित होंगे. भिंड के युवाओं में भी खेल के प्रति सकारात्मक झुकाव देखने को मिलेगा.

prachi yadav
प्राची यादव पैरा ओलंपिक खिलाड़ी.

मार्शल गेम्स में भिंड की माटी का कोई सानी नहीं
भिंड जिले में सिर्फ वॉटर स्पोर्ट्स ही नहीं बल्कि मार्शल गेम्स यानि बल और स्फूर्ति से जुड़े खेल की भी अपार संभावनाएं समेटे हुए हैं. बीते कुछ वर्षों में किशोर और युवाओं में कराटे, ताईक्वांडो कुश्ती जैसे खेलों में काफी रुचि देखी गयी है, लेकिन संसाधनों की कमी की वजह से बच्चे उतना निखर नहीं पाते हैं. फिर भी जिले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निकले हुए एक दर्जन से ज्यादा खिलाड़ियों में ताइक्वांडो और कराटे के खिलाड़ी भी शामिल हैं. जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर मेडल अपने नाम किए. भिंड से निकले गौरव यादव, दीपक नरवरिया जैसे- खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टीम का हिस्सा रहे. वर्तमान में भिंड शहर में बने एमजेएस क्रिकेट ग्राउंड के पास संचालित आधुनिक व्यायामशाला में खेल एवं युवा कल्याण विभाग की ओर से मार्शल आर्ट्स, किक-बॉक्सिंग जैसी विधाओं की ट्रेनिंग दी जाती है, जिनके ना सिर्फ लड़के बल्कि लड़कियां भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. यहां विभाग की ओर से पदस्थ खेल प्रशिक्षक संजय सिंह द्वारा प्रशिक्षण लेकर हाल ही में युवा खिलाड़ी आदेश मिक्स मार्शल आर्ट्स की नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत कर लाए हैं.

gaurav Yadav
गौरव यादव ताइक्वांडों खिलाड़ी.

कबड्डी, एथलटिक्स, कुश्ती में भी अपार सम्भावनाएं
कैनो कयाकिंग फेडरेशन के संरक्षक और खेल प्रशिक्षक राधे गोपाल यादव मानते हैं कि चम्बल की माटी में ही कुछ ऐसा है की यहां के खिलाड़ियों में अलग ही जुझारूपन है. यहां के खिलाड़ियों की मांग भोपाल तक के कोच करते हैं. खासकर मार्शल गेम्स में बच्चे बहतरीन प्रदर्शन करते हैं. उनका मानना है कि वॉटर स्पोर्ट्स के अलावा ताइक्वांडो, कराटे, कुश्ती जैसे खेलों में बच्चे अच्छा प्रदर्शन करते हैं. इस वजह से पिछले कुछ सालों में भिंड से बहुत खिलाड़ी देश और विदेश में देश के लिए खेलने गए हैं.

raju bhadoriya
खिलाड़ी राजू भदौरिया.

एथलेटिक्स में भी भिंड के युवाओं के लिए अच्छी सम्भावना हैं, क्योंकि जिन खेलों में ताकत की जरूरत होती है, वह कैपिसिटी चम्बल अंचल के बच्चों में अच्छी है. यहां भाला फेंक, डिस्कस थ्रो जैसे खेलों में बच्चे काफी आगे तक जा सकते है. उन्होंने भिंड के विजय सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि भिंड के विजय सिंह ने डेकाडोर में लगातार 20 साल तक एशिया रिकॉर्ड अपने नाम रखा. खुद राधे गोपाल यादव की बेटी श्रेया यादव वॉटर स्पोर्ट्स में भारतीय टीम में शामिल हो चुकि हैं. हालांकि उन्हें अभी किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाया है, लेकिन जल्द वे भी विश्व पटल पर अपना नाम लिखा कर भिंड का नाम रोशन करेंगी.

adesh sagar
मिक्स मार्शल आर्ट खेलते आदेश सगर.

कमियां जिन्हें सुधारने की जरूरत
राधे गोपाल यादव के मुताबिक कुछ कमियां भी हैं, जिन्हें सुधार की जरूरत है. भिंड में खिलाड़ियों के लिए किसी भी खेल में अपर्याप्त सुविधाएं एक बड़ी समस्या है. उनका कहना है कि चाहे एथलेटिक्स हो या अन्य खेल विभाग ने पर्याप्त ट्रेनिंग टूल्स की बहुत कमी है. दूसरा उनका मानना है कि यहां के बच्चों में अनुशासन की भी कमी है, जिसकी वजह से कई बार अच्छा खेलने के बाद भी वे आगे नही बढ़ पाते. तीसरी सबसे बड़ी कमी है अच्छे कोच की क्योंकि कोच में एक लीडरशिप क्वालिटी होना चाहिए, जो अपने प्रशिक्षुओं को अनुशासित होकर खेलना सिखा सके और आगे बढ़ने में मदद करे. हालांकि भिंड में वॉटर स्पोर्ट्स को मिल रहे रिस्पोंस से जिला कलेक्टर भी काफी प्रभावित हैं. ऐसे में उन्होंने जल्द ही कैनो खिलाड़ियों के लिए लाइफ जैकेट्स और अन्य संसाधन उपलब्ध कराने की भी बात कही है.

adesh sagar
मिक्स मार्शल आर्ट में आदेश सगर ने जीता था मेडल.

वे खिलाड़ी जिन्होंने विश्व पटल पर नाम किया रोशन
प्राची यादव, पूजा ओझा, गजेंद्र कुशवाह, अजातशत्रु शर्मा ये वे दिव्यांग खिलाड़ी हैं जो दूसरों के लिए मिसाल बन चुके हैं. इन्होंने विदेशी धरती पर पानी जैसे खतरनाक खेल में भी भिंड का नाम रोशन किया है. राजू भदौरिया तो वह खिलाड़ी हैं, जिन्होंने इसी साल घुड़सवारी में भारतीय टीम में अपनी जगह बनायी है. दीपक नरवरिया ने कराटे में तो गौरव यादव और आशुतोष यादव ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में प्रतिद्वंदियों को धूल चटा दी. इनके अलावा और भी खिलाड़ी हैं जो अंचल का नाम रोशन कर रहे हैं, और ना जाने कितने ही और खिलाड़ी यहां से आगे बढ़ने को बेताब हैं.

आने वाले समय में परिस्थितियां और बदलेंगी और वॉटर स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर की तरह अन्य खेलों से जुड़े केंद्र और अकादमी भी भिंड में शुरू होंगी और जल्द भिंड एक नए स्पोर्ट्स हब के रूप में अपनी पहचान बनाएगा.

राधे गोपाल यादव, संरक्षक, कैनो कयाकिंग फेडरेशन

खेल दिवस विशेष: दिव्यांगता को मात देकर पूजा बनीं देश की पहली महिला कैनो कयाकिंग खिलाड़ी

भिंड में बच्चे काफी कुशल हैं. उन्हें बस ठीक से ट्रेनिंग की जरूरत है, जिसके लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा समय-समय पर कैंप आयोजित किए जाते हैं. इन कैम्पस में जिन बच्चों का परफॉर्मेंस अच्छा होता है- वे आगे खेलना चाहते हैं. उन्हें आगे भी ट्रेनिंग दी जाती है. हाल ही में मिक्स मार्शल आर्ट्स में युवा खिलाड़ी आदेश सगर ने नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया है. हम लगातार बच्चों को प्रोत्साहित करने और अच्छे से ट्रेनिंग कराने पर फोकस करते हैं.

संजय सिंह, खेल प्रशिक्षक, खेल एवं युवा कल्याण विभाग

Last Updated : Oct 9, 2021, 9:21 AM IST
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